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पाठकीय
अंक-सन्दर्भ *16 अक्तूबर,2011
भ्रष्टाचारियों का गठबंधन पुरस्कृत पत्र सौर ऊर्जा है अनन्त स्रोत आजकल संसार के अधिकांश कार्यों में ऊर्जा का उपयोग हो रहा है। जिन कार्यों का सहज कार्यान्वयन हाथों से हो जाता है, वैज्ञानिकों ने उनके लिए ऊर्जा द्वारा संचालित होने वाले उपकरण तैयार कर लिए हैं। महिलाओं के घरेलू कार्य भी आज बिजली की सहायता से किए जा रहे हैं। बिजली उत्पादन के स्रोत हैं जल, खनिज तेल, कोयला, परमाणु आदि। एक ओर तो विज्ञान ऊर्जा का दैनिक जीवन में प्रयोग निरन्तर बढ़ाता जा रहा है, दूसरी ओर वैज्ञानिक इस विषय पर चिन्तन करने को विवश हैं कि खनिज तेल और कोयला जब धरती के गर्भ में चुक जाएगा तब ऊर्जा प्राप्ति के लिए क्या करेंगे? इस समस्या के समाधान हेतु जो विकल्प खोजे गए हैं उनमें सौर ऊर्जा सर्वाधिक भरोसे का विकल्प है। परमाणु शक्ति, हाइड्रोजन शक्ति, समुद्री तरंगों से ऊर्जा उत्पादन सभी अत्यधिक महंगे विकल्प हैं। पारंपरिक संसाधन से कई गुना अधिक व्यय इनके लिए अपेक्षित है। सौर ऊर्जा ही वास्तव में ऐसा सस्ता और सर्वत्र उपलब्ध विकल्प है जो निरन्तर और अनन्त है। अत: यह सर्वोत्तम है। इसके समाप्त होने की भी कोई संभावना नहीं है। सूर्य एक विशाल अग्निपिंड है जिसका अर्धव्यास भी लगभग 15 लाख किलोमीटर है। इसके तापमान का अनुमान 2 करोड़ डिग्री सेल्सियस है। इसकी बाहरी परत का तापमान भी 6000 डिग्री सेल्सियस आंका गया है। हमारी पृथ्वी से सूर्य की दूरी 9 करोड़ 30 लाख मील है। इस दूरी को सूर्य की किरणें आठ मिनट में तय कर लेती हैं। इतनी दूरी पर प्राप्त गर्मी भी जब 44 डिग्री तक पहुंचती है तो सहन करना कठिन हो जाता है। इस प्रकार की सूर्य किरणों को समेट कर ऊर्जा का विशाल उत्पादन किया जा सकता है। भारत के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग और भी अधिक सरलता से प्राप्त हो सकता है। यहां सर्दी के मौसम में भी अनेक क्षेत्र ऐसे हैं जो ठंडे नहीं होते। अत: उन दिनों में भी भारत में सौर ऊर्जा बराबर मिल सकती है। अब आवश्यकता इस संबंध में शोध करने की है ताकि अधिक ऊर्जा की प्राप्ति हमें कम लागत से मिल सके। अभी तक जो संयंत्र बने हैं उनके आकार को छोटा करने की तथा उपयोगिता को बढ़ाने की दिशा में कार्य किया जाना शेष है। सर्वप्रथम एक अमरीकी इंजीनियर जॉन ऐरिकसन ने 1870 में सौर ऊर्जा के प्रयोग से स्टीम इंजन संचालित किया। सन् 1913 में सौर ऊर्जा से भाप उत्पन्न करके एक विशाल संयंत्र तैयार किया गया जिससे नील नदी का जल खेतों तक पहुंचाया गया। 1954 में सौर ऊर्जा से बिजली बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके लिए सिलिकॉन के “सैल” तैयार किए गए। ये “सैल” एकत्रित ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करते हैं। अब तो सभी अंतरिक्ष यानों में सौर ऊर्जा का प्रमुख रूप से प्रयोग किया जाता है। प्रकाशकीय ऊर्जा प्राप्ति के लिए “सैल” बनाए जाते हैं। उन सैलों पर सौर ऊर्जा केन्द्रित होती है फिर ये “सैल” उसे विद्युत में बदल देते हैं। अब तो ऐसी विद्युत को ग्रिड में भी स्थानान्तरित करने की विधि खोज ली गई है। दूसरी तकनीक तापीय सौर ऊर्जा कहलाती है। इस तकनीक में पैराबोलिक किरणों की सहायता से प्रकाश को एक बिन्दु पर केन्द्रित किया जाता है। फिर इसे एक रिसीवर टर्बन में एकत्र कर लेते हैं। इससे संयंत्र का संचालन करके बिजली तैयार हो जाती है। सौर ऊर्जा के उत्पादन की विविध विधियां अभी खोजी जा रही हैं। सौर तापीय चूल्हे भी प्रयोग किए जा रहे हैं। सौर लालटेन गांवों में प्रचलित हो गई है। दूरदराज के ग्रामीण अस्पतालों में सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली से न केवल प्रकाश व्यवस्था सम्पन्न की जा रही है, अपितु “रेफ्रीजिरेटर” भी चलाए जा रहे हैं, जिनमें आवश्यक औषधियां तथा इंजेक्शन सरलता से सुरक्षित रखे जा सकें। जमीन से पानी निकालने तथा खेतों की सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा का प्रयोग करने के प्रयोग किए जा रहे हैं। आशा है समाज, वैज्ञानिकों तथा व्यापारिक संस्थानों की रुचि इस दिशा में बढ़ेगी। -मायाराम पतंग एफ-63, पंचशील गार्डन, नवीन शाहदरा दिल्ली-110032 हर सप्ताह एक चुटीले, हृदयग्राही पत्र पर 100 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।-सं. सम्पादकीय “राजनीतिक चुनौती को समझें” के अन्तर्गत यह आकलन बिल्कुल सही है कि घपले-घोटालों और भ्रष्टाचार में पूरी तरह डूबी कांग्रेसनीत संप्रग सरकार लोककल्याणकारी राज की संकल्पना को धता बताकर पूरी तरह अपने सत्ता स्वार्थों में लिप्त है। यह अब तक की सबसे निकृष्ट सरकार है। भ्रष्टाचार विरोधी अण्णा हजारे को जेल और अलगाववादियों से मेल, यही इस भ्रष्ट सरकार की नियति और नीति है। इसका और अधिक दिन सत्ता में बने रहना देश के हित में नहीं है। -आर.सी. गुप्ता द्वितीय ए-201, नेहरू नगर, गाजियाबाद (उ.प्र.) द सम्पादकीय में सरकार को ठीक समय पर सही सलाह दी गई है। आज राष्ट्र और जनता के सामने बहुत-सी चुनौतियां हैं ये चुनौतियां खुद सरकार ने पैदा की हैं। भ्रष्टाचार, कालाधन, आतंकवाद, नक्सलवाद जैसी समस्याओं के पीछे सरकार का ही योगदान है। सरकार इन चुनौतियों को गंभीरता से ले, अन्यथा लोग उसे सबक अवश्य सिखाएंगे। -लक्ष्मी चन्द गांव-बांध, डाक-भावगड़ी, वाया-पट्टा (महलोंग) जिला-सोलन-173233 (हि.प्र.) द नेहरू के समय से ही कांग्रेस लोगों को छल रही है। गलती खुद करती है, और दोष बड़ी चालाकी से दूसरे पर मढ़ देती है। नोट-वोट काण्ड में ऐसा ही हो रहा है। नोट के बल पर मनमोहन सरकार बची थी। किन्तु जिन्होंने इस काण्ड को उजागर किया उन्हें ही जेल में डाल दिया गया है, जबकि जिनकी सरकार बची वे अब भी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। -हरेन्द्र प्रसाद साह नया टोला कटिहार-854105 (बिहार) उन्हें वे क्यों नहीं दिखते पिछले दिनों प्रसिद्ध वकील प्रशान्त भूषण पर कुछ युवाओं ने हमला किया। इसे कुछ लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार बता रहे हैं। किसी भी हमले को ठीक नहीं ठहराया जा सकता है। किन्तु यहां यह भी देखना चाहिए कि प्रशान्त भूषण ने जो बयान दिया था क्या वह ठीक था? उन्हें वे 4 लाख कश्मीरी हिन्दू क्यों नहीं दिख रहे हैं, जो अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए हैं? 1947 में पाकिस्तान से आए हिन्दू उन्हें क्यों नहीं दिखते, जो कश्मीर में रह रहे हैं, किन्तु उन्हें अभी तक भारत की नागरिकता नहीं मिली है? -बी. एल. सचदेवा 263, आई.एन.ए. मार्केट, नई दिल्ली-110023 स्वयंसेवकों के संस्कार सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत द्वारा विजयादशमी के अवसर पर दिए गए उद्बोधन को विस्तृत रूप में प्रकाशित कर पाञ्चजन्य ने स्वयंसेवकों का मन जीत लिया। सरसंघचालक जी ने बिल्कुल सही कहा है कि संघ के स्वयंसेवक भ्रष्टाचार के विरोध में चलने वाले आन्दोलनों में भाग लेते हैं। वास्तव में स्वयंसेवक किसी भी अच्छे काम में स्वभाव से ही लगते हैं। संघ उन्हें ऐसा संस्कार ही देता है कि वे हर अच्छे अभियान से अपने आप जुड़ जाते हैं। जो संघ को समझेगा वह कभी संघ को बदनाम नहीं करेगा। -वीरेन्द्र सिंह जरयाल 28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर, दिल्ली-110051 द संघ ने तो कालेधन और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बाबा रामदेव और अण्णा हजारे का प्रारंभ से समर्थन किया था। जन्तर-मन्तर पर आमरण-अनशन पर बैठे अण्णा हजारे से संघ का एक प्रतिनिधिमण्डल भी मिला था। कांग्रेस और दिग्विजय सिंह को किसने कहा था कि वे अण्णा हजारे और बाबा रामदेव का समर्थन न करें? देशहित में जो काम होता है, उसका समर्थन करना हर नागरिक का कर्तव्य है। -त्रिलोक चन्द गुप्त चौन्ताला, सहारनपुर (उ.प्र.) पाकिस्तानी हरकतें श्री नरेन्द्र सहगल का लेख “देशहित में रोकना होगा पाकिस्तान का हिंसक हस्तक्षेप” पढ़ा। पाकिस्तान भारत से मैदानी जंग कभी नहीं जीत सकता, यह तथ्य वह जानता है। इसलिए छद्म युद्ध के द्वारा हमें कमजोर करने की साजिश कर रहा है। पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन योजनाबद्ध ढंग से न केवल कश्मीर में, बल्कि पूरे भारत में अव्यवस्था एवं अराजकता उत्पन्न कर रहे हैं। आज जरूरत है कठोर प्रशासनिक और राजनीतिक इच्छा-शक्ति की। -मनोहर “मंजुल” पिपल्या-बुजुर्ग, प. निमाड़-451225 (म.प्र.) मन की अभिव्यक्ति श्री शिवओम अम्बर ने गवाक्ष “राष्ट्रीय नेताओं की ऐतिहासिक भूलें” में जो मत व्यक्त किया है वह करोड़ों भारतीयों के मन की अभिव्यक्ति है। अपने देश में एक ऐसा “स्वार्थी” परिवार उभरा, जिसने स्वहित के लिए देशहित से जुड़े मुद्दों पर अनेक बार समझौते किए। किन्तु उनकी चारण-मण्डली ने प्रचारित किया कि इस परिवार ने देश के लिए त्याग का जो उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह कहीं नहीं मिलता है। -काली मोहन सिंह गायत्री मंदिर, मंगलबाग, आरा भोजपुर-802301 (बिहार) साजिश की बू चर्चा-सत्र में मे.ज. (से.नि.) शेरू थपलियाल ने भारतीय थल सेनाध्यक्ष जनरल वी.के.सिंह की जन्मतिथि पर उठ रहे सवालों को निरर्थक बताया है। उन्होंने दस्तावेजों के आधार पर जो बातें कही हैं उनसे किसी साजिश की बू आती है। जनरल सिंह अपने खुले विचारों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कुछ समय पहले कहा था कि चीन ने पाक सीमा पर सड़क निर्माण कर लिया है। उन्होंने यह भी खुलासा किया था कि सीमापार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 40 आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं। ऐसे सेनाध्यक्ष का मनोबल गिराना ठीक नहीं है। -प्रदीप सिंह राठौर मेडिकल कालेज, कानपुर (उ.प्र.) “युवराज” की मोटर साइकिल यात्रा पिछले दिनों कांग्रेस के “युवराज” गोपालगढ़ (राजस्थान) गए, जहां पुलिस की गोली से 8 लोग मारे गए थे। “युवराज” वहां के एक घोषित अपराधी, जो मुसलमान है, की मोटरसाइकिल पर बैठकर गलियों में घूमे, मस्जिदों में गए। “युवराज” को एस.पी.जी. सुरक्षा मिली हुई है। कांग्रेस उन्हें भावी प्रधानमंत्री घोषित करने में हिचकती नहीं हैं। किन्तु “युवराज” इतने भोले हैं कि वे किसी अनजान व्यक्ति की मोटर साइकिल पर बैठ जाएंगे? ऐसा तो हो नहीं सकता। फिर वे किसी अपराधी की मोटर साइकिल पर बैठकर क्या संदेश देना चाहते हैं? लोग तो यही मान रहे हैं कि सत्ता के लिए “युवराज” अपराधियों को पालने लगे हैं। -मनोज भारद्वाज बल्लभ बाड़ी, कोटा (राजस्थान) सात अरब के पार बढ़ते-बढ़ते हो गये, सात अरब के पार पहुंचेगा किस छोर पर, जाने यह संसार। जाने यह संसार, भूख से लोग बिलखते फिर भी नहीं नियन्त्रण जनसंख्या पर करते। कह “प्रशांत” संसाधन हैं घट रहे निरन्तर मगर बोझ बढ़ता जाता धरती माता पर।। -प्रशांत पञ्चांग वि.सं.2068 तिथि वार ई. सन् 2011 मार्गशीर्ष कृष्ण 3 रवि 13 नवम्बर, 2011 “” “” 4 सोम 14 “” “” (श्रीगणेश चतुर्थी व्रत) “” “” 5 मंगल 15 “” “” “” “” 6 बुध 16 “” “” “” “” 7 गुरु 17 “” “” “” “” 8 शुक्र 18 “” “” “” “” 9 शनि 19 “” “”
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