बलिदान और साक्ष्यों की विजय
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

बलिदान और साक्ष्यों की विजय

by
Jul 11, 2010, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 11 Jul 2010 00:00:00

श्रीराम जन्मभूमि के लिए संघर्ष करते हुए हमारे पुरखों ने कई बार अपना रक्त बहाया, अपने आराध्य रामलला के लिए सर्वस्व बलिदान किया। वर्षों के बाद इस लम्बे मुकदमे का फैसला आया है। रामलला जहां विराजे हैं, वहां विराजे रहेंगे। वह जगह श्रीराम जन्मभूमि है, वह हमारा पावन देवस्थल है और उस पर हिन्दुओं का ही अधिकार है। माननीय उच्च न्यायालय के इस निर्णय का हम करोड़ों हिन्दू ह्मदय से अभिनंदन करते हैं।जहां तक आस्थाओं का प्रश्न है, सारा विश्व इस बात को जानता है कि अयोध्या ही भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है। श्रीराम जन्मभूमि निर्विवाद रूप से हिन्दुओं का पावन स्थल रही है। यही कारण रहा कि श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति के उस आंदोलन का विरोध करने में मुस्लिम समुदाय प्राय: उदासीन ही रहा, क्योंकि आम मुसलमान यह जानता था कि अयोध्या का वह स्थान श्रीराम जन्मभूमि ही है। 1992 में वह विवादित ढांचा ढह जाने के तुरंत बाद से ही उसके श्रीराम जन्मभूमि होने के प्रमाण मिलने आरंभ हो गए थे। गिरते ढांचे की चौड़ी-चौड़ी दीवारों के बीच से भगवान का एक बड़ा सिंहासन, घंटे-घड़ियाल आदि निकल-निकलकर गिरे थे। जिन्हें वहां मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सरकारी अभिरक्षा में लिया गया था। इस घटना ने सिद्ध किया कि बाबर के सेनापति मीरबाकी द्वारा श्रीराम जन्मभूमि का विशाल मंदिर ढहाकर बनाए गए उस ढांचे की दीवारों के बीच मंदिर की वह सारी सामग्री दफन कर दी गई होगी, जो गिरते ढांचे के बीच में प्राप्त हुई थी। इसके बाद न्यायालय द्वारा उस स्थान पर खुदाई के आदेश दिए गए, जिसमें एक जापानी “सर्वेयर” कंपनी के द्वारा किए गए “कार्बनिक परीक्षणों” में भी उस भूमि के अंदर रामायणकालीन संरचनाएं होने की पुष्टि हुई। भारतीय पुरातात्विक विभाग की खुदाई में भी वहां हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाएं तथा उस ढांचे के नीचे किसी हिन्दू मंदिर के होने संबंधी प्रत्यक्ष प्रमाण मिले थे। जिन्हें प्रमुख आधार बनाकर ही माननीय न्यायालय ने अपने निर्णय में उसे श्रीराम जन्मभूमि बताया। हमारे सभी पौराणिक ग्रंथ भी भारत में एक ही अयोध्या होने और वहां राम के जन्मस्थान होने पर एकमत हैं।मैं समझती हूं कि बहुत कम अवसर होते हैं जब हमारा मन और रोम-रोम रोमांचित होता है, इस फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए शायद यह वही क्षण है। इतिहास गवाह है कि हमने कभी भी किसी के धर्मस्थलों पर कब्जा करने की अनाधिकार चेष्टा नहीं की। अनाधिकार किसी दूसरे के हक पर बुरी नजर रखना हमारा स्वभाव ही नहीं है। क्योंकि हम सबकी इज्जत करते हैं, सबकी आस्थाओं का सम्मान करते हैं। लेकिन जिस जगह पर हमारे पुरखे श्रद्धा के साथ अपना सिर झुकाते रहे हों, वह जगह हमारी नहीं है, अगर यह कह दिया जाए तो हमारा तन-मन जो हिन्दू है, बेचैन होता है। उसे यह सोचकर पीड़ा होती है कि सब तो ठाठ में रह रहे हैं और हमारे रामलला टाट में बैठे हुए हैं?श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए जिन बलिदानियों ने अपने शरीर के रक्त से सरयू की धार को लाल किया, आज उन सभी का बलिदान सार्थक हो गया। उन सर्वोच्च बलिदानों को वंदन है। मैं वंदन करती हूं उस अव्यक्त त्याग को, वंदन है उस एक माता को जिसने अपने दो-दो युवा पुत्रों (कोठारी बंधुओं) को राम की जन्मभूमि पर न्योछावर कर दिया। जय श्रीराम, जय श्रीराम का मंत्रोच्चार करते हुए अपनी छातियों पर गोलियां झेल गए। उनका रक्त व्यर्थ नहीं गया। उनका बलिदान, उनका समर्पण इस फैसले से प्रसन्नता और आनंद की धारा बनकर बह निकला है। मैं समझती हूं कि सत्य की हमेशा ही विजय होती है।साधना न व्यर्थ कभी जाती। चलकर ही मंजिल मिल पाती, फिर क्या बदली क्या घाम है, चलना ही अपना काम है।लोग कहते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि के लिए इतनी व्याकुलता क्यों? तो हमने कहा हम चाहते हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी हमारी संतानें वहां सिर झुकाएं, जहां मर्यादा से जीने की प्रेरणा मिलती है। हमारे रामलला मंदिर के बिना अधूरे थे, ऐसा नहीं था। लेकिन कोटि-कोटि हिन्दू जनों की भावना है कि जो हमारे आराध्य हैं, जो अवतारी महापुरुष हैं, वो भव्य मंदिर में विराजें। वहां जाकर हमारी संतानें माथा झुकाएं। वो वहां से प्रेरणा लें। जिंदगी का वह पल जब राज सिंहासन पर बैठाने की तैयारियां हो रही थीं और वनवास का आदेश दे दिया गया, राम सबकुछ छोड़कर चुपचाप वनवासी हो गए। चौदह साल तक बिखरी हुई छोटी-छोटी ताकतों को इकट्ठा किया। सुमनों पर चलने वाले चरणों ने चौदह साल कांटों पर चलना स्वीकार किया। विश्व की दुर्दमनीय शक्तियों का दमन किया।हमारे देश का दुर्भाग्य है कि लोगों ने राम के होने का प्रमाण मांगा, तो हमने कहा- राम तो हमारे प्राणों में हैं, हमारे रोम-रोम में हैं। हम आपस में मिलते हैं तो राम-राम, जय श्रीराम बोलते हैं। थक जाते हैं तो हाय राम बोलते हैं और जीवन की यात्रा पूरी करके चलते हैं तो हमारे साथ हमारे शरीर व अर्थी के पीछे राम नाम सत्य कहते हुए चलते हैं। राम जीवन का आधार हैं, राम हमारी पहचान हैं, राम हमारी अस्मिता का प्रतीक हैं। राम अपराजित पौरुष का भाव हैं। अपराजित! ऐसा पौरुष जो पराजित नहीं होता, जो नहीं डरता, जो मौत के सामने भी सीना तान के खड़ा रहता है, राम वो अपराजित पौरुष का प्रतीक हैं। राम हमारे देश की अस्मिता हैं। ऐसे राम की जन्मभूमि पर उनका भव्य मंदिर बनेगा, इसी शुभकामना के साथ मैं करोड़ों-करोड़ उन भारतवासियों को बधाई देती हूं, जो राम को केवल एक धर्म विशेष से न जोड़कर एक आदर्श राष्ट्रपुरुष मानते हैं। द10

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

­जलालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

­जलालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

बच्चों में अस्थमा बढ़ा सकते हैं ऊनी कंबल, अध्ययन में खुलासा

हमले में मारी गई एक युवती के शव को लगभग नग्न करके गाड़ी में पीछे डालकर गाजा में जिस प्रकार प्रदर्शित किया जा रहा था और जिस प्रकार वहां के इस्लामवादी उस शव पर थूक रहे थे, उसने दुनिया को जिहादियों की पाशविकता की एक झलक मात्र दिखाई थी  (File Photo)

‘7 अक्तूबर को इस्राएली महिलाओं के शवों तक से बलात्कार किया इस्लामी हमासियों ने’, ‘द टाइम्स’ की हैरान करने वाली रिपोर्ट

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies