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हममें से अधिकांश यह जानते हैं कि वेदों में ज्ञान का वह अमूल्य भंडार समाहित है जो हर युग की कसौटी पर खरा उतरता है। यानी हमारा समय कितना ही बदल चुका हो लेकिन अगर गंभीरता से अध्ययन और चिंतन किया जाए तो अनेक व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और वैश्विक समस्याओं के समाधान वेद-मंत्रों से प्राप्त किए जा सकते हैं। मानवमात्र का प्राचीनतम चिंतन वेदों में ही निहित है । इसीलिए सभी दर्शनों का मूल वेदों को ही माना जाता है। वेदों का वेदत्व (विशेषता) यही है कि जो इसे जिस दृष्टि से पढ़ता है, उसे वही सब यहां मिल जाता है।आज बाजारवादी चमक-दमक और भौतिक उपलब्धियों को प्राप्त करने की आपाधापी में हम सभी अपनी इस मूल पहचान से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे प्रतिकूल समय में भी प्राचीन सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति आस्थावान कुछ विद्वतजन समाज में सकारात्मक विचारधारा को संप्रेषित करने के लिए प्रयत्नशील हैं। इसी कड़ी में संस्कृत भाषा की गहन अध्येता और विदुषी डा. प्रवेश सक्सेना द्वारा रचित पुस्तक, “ऋग्वेद- युवाओं के लिए” हाल में ही प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक में ऋग्वेद से चुने गए 100 ऐसे मंत्रों को मूल रूप में संकलित किया गया है जो विशेषत: युवा वर्ग के लिए उपयोगी हैं। जहां तक इस पुस्तक की समीक्षा का प्रश्न है तो इसके संपादन, व्याख्या और प्रस्तुतिकरण को तो परखा जा सकता है लेकिन इसकी मूल सामग्री जिस आदिग्रंथ से ली गई है, वह किसी भी प्रकार की आलोचना और समीक्षा से परे है।ऋग्वेद में संकलित कुल दस हजार से अधिक मंत्रों में से युवाओं के लिए सर्वाधिक उपयोगी 100 मंत्रों के चयन का कठिन कार्य रचनाकार ने बहुत ही परिश्रम और बुद्धिमत्ता के साथ किया है, इस बात का सहज अनुमान पुस्तक को पढ़कर लगाया जा सकता है। मंत्रों की सरल व्याख्या बोधगम्य भाषा में की गई है। पुस्तक में संग्रहीत सभी श्लोकों को विषयानुसार दस शीर्षकों में वर्गीकृत किया गया है- शिक्षा, स्वास्थ्य (निरोगता, दीर्घायु, क्रीड़ा), स्वास्थ्य (योग, ध्यान, हंसी), धर्म, अर्थ, घर-परिवार, समाज, राष्ट्र, पर्यावरण व वैश्विकता से संबंधित श्लोकों की व्याख्या लेखिका ने वर्तमान संदर्भों से जोड़ते हुए की है। पुस्तक को पढ़ते समय यह बात साफ तौर पर उभरती है कि लेखिका ने पुस्तक का प्रारूप निश्चित करते समय विशेष रूप से इस बात का ध्यान रखा है कि युवा वर्ग को स्वयं के प्रति, परिवार के प्रति, अपने समाज के प्रति तथा राष्ट्र के प्रति और सम्पूर्ण विश्व के प्रति जागरूक बनाया जा सके। पुस्तक में संकलित श्लोकों में उन सभी प्रमुख समस्याओं की न सिर्फ चर्चा की गई है जो आज समस्त मानवता के सामने मुंह बाए खड़ी हैं बल्कि उनसे जूझने और उन्हें परास्त करने के रास्ते भी सुझाए गए हैं। विशेष तौर पर समाज, पर्यावरण और विश्व कल्याण को स्पष्ट करने वाले श्लोक अत्यंत प्रासंगिक हैं।कहना होगा कि यह पुस्तक केवल युवाओं के लिए ही नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायी है जो मन से युवा है और सम्पूर्ण विश्व को खुशहाल और समृद्ध देखना चाहता है।। । ।युवाओं के लिए वेद श्रृंखला के अंतर्गत डा. प्रवेश सक्सेना ने सामवेद : युवाओं के लिए में सामवेद से चयनित 93 मंत्रों को व्याख्यायित किया है। हम सभी जानते हैं कि सामवेद को गीत-संगीत का मूल ग्रंथ माना जाता है। इसलिए पुस्तक में समाहित मंत्रों के माध्यम से जीवन को आनन्दमय बनाने की अनेक विधियां वर्णित हैं। इस कृति में स्वर, संगीत और मधुर-वाणी की विशेषताओं को न केवल रेखांकित किया गया है बल्कि उसके महत्व को भी स्पष्ट किया गया है।पुस्तक में संकलित सभी श्लोक अपने विशिष्ट अर्थ एवं गांभीर्य के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण और वर्तमान परिवेश के अनुसार प्रासंगिक भी हैं। इस पर भी कुछ श्लोक विशेष रूप से युवाओं के लिए प्रेरणास्पद हैं। उदाहरण के तौर पर सामवेद से उद्धृत 92वें श्लोक में युवा वर्ग से अपनी क्षुद्र इच्छाओं, कामनाओं को पराजित कर महान उद्देश्य की प्राप्ति का आह्वान किया गया है। इसी तरह 196वें श्लोक में अपने आत्मस्वरूप को पहचान कर अपनी संपूर्ण सामथ्र्य और शक्ति को जाग्रत करने की प्रेरणा दी गई है। यह इसलिए भी आवश्यक है कि आत्महीनता से ग्रस्त होकर जीवन के कठिन संघर्षों को परास्त नहीं किया जा सकता है। इसी क्रम में विश्व बंधुत्व की भावना को 226वें श्लोक में, अत्याचार और अन्याय का सामना करने की प्रेरणा 336वें श्लोक में, व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय और समस्त जगत के कल्याणार्थ लक्ष्य निर्धारित कर उसे प्राप्त करने की तीव्र उत्कंठा को 372वें श्लोक में और परोपकार की महत्ता को 645वें श्लोक में व्याख्यायित किया गया है। पुस्तक की एक विशेषता यह भी है कि इसमें विश्व की युवाशक्ति को न केवल नैतिक स्तर पर बल्कि व्यावहारिक स्तर पर भी चेतनाशील बनने की प्रेरणा दी गई है। अन्न संरक्षण, पशु-पक्षियों से प्रेम और अपने आस-पास के पर्यावरण के प्रति जागरूकता से संबंधित कई श्लोकों की सरल शब्दों में व्याख्या की गई है।कहा जा सकता है कि ऋग्वेद एवं सामवेद पर आधारित यह दोनों पुस्तकें जीवन को समग्रता में आनंदमय बनाने और समस्त मानव जगत के उत्थान की दिशा में आगे बढ़ने के लिए युवाओं को मूल्यवान सूत्र प्रदान करने में पूर्णत: सक्षम हैं।दपुस्तकों के नाम- ऋग्वेद : युवाओं के लिए – सामवेद-युवाओं के लिए लेखक – डा. प्रवेश सक्सेना प्रकाशक – आर्य प्रकाशन मंडल, सरस्वती भंडार, गांधी नगर, नई दिल्ली मूल्य – दो सौ रु मात्र (प्रत्येक पुस्तक)19
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