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आज की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि हमारे किशोर और युवा “कैरियर” को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम से संबंधित किताबें तो बहुत पढ़ते हैं, लेकिन उनके सामाजिक सरोकारों और राष्ट्रीय जीवन दृष्टि को विकसित करने वाला अध्ययन न के बराबर रहता है। हमारे पर्व-त्यौहार, महापुरुष, संस्कृति, धर्म, जीवन मूल्य, रिश्तों की ऊष्मा, इतिहास की प्रेरक गाथाएं और साहित्य जैसे विषय उनसे अछूते रहते हैं। उनकी इस जानकारी को समृद्ध करने वाली पुस्तकें भी यत्र-तत्र ही दिखाई पड़ती हैं। अगर कहीं हैं भी, तो इतनी गंभीर शैली में कि उनका चंचल मन ऊब जाए।इन दोनों ही कमियों को पूरी करने के लिए सुरुचि प्रकाशन ने अत्यंत रोचक शैली में विस्तृत जानकारी का भण्डार लिए “भारत परिचय-प्रश्न मंच” पुस्तक प्रकाशित की है। डा. हरिश्चन्द्र बथ्र्वाल द्वारा लिखित यह 80 पृष्ठों की पुस्तक भारतवर्ष, पुण्य स्थल, प्राचीन वाङ्मय, भारतीय राष्ट्रवाद, इतिहास, भारतीय मूल के धार्मिक पंथ, कालगणना और खगोल, दर्शन, संस्कृति और जीवनमूल्य, व्याकरण, गणित, पुराणों के कुछ विशेष प्रसंग, उपवेद (विविध विज्ञान), भारतीय शिक्षा और संस्कृति का वैश्विक प्रसार जैसे 14 संक्षिप्त खण्डों में विभाजित है। प्रश्नोत्तर शैली में लिखी गई यह पुस्तक किशोरों के मनोविज्ञान को ध्यान में रखकर बेहद रुचिकर और ज्ञानवर्धक बन पड़ी है। 1999 में पुस्तक का प्रथम संस्करण प्रकाशित होने पर इसका अभूतपूर्व स्वागत हुआ और अपने संशोधित व संवर्धित रूप में यह पुस्तक का द्वितीय संस्करण है।दरअसल हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था में अपने बाल, किशोर और तरुण वर्गों का सामान्य ज्ञान बढ़ाने के लिए जो जानकारी उन्हें दी जाती रही है या प्रसार माध्यमों द्वारा जो प्रश्न मंच आयोजित किए जाते हैं उनमें संसार भर की बहुत सी सूचनाएं तो होती हैं किन्तु स्वयं अपने देश, अपने समाज, अपने राष्ट्र, उसकी संस्कृति, उसका दर्शन, ज्ञान-विज्ञान, आदर्श, जीवनमूल्य, इतिहास और साहित्य की जानकारी का बहुधा अकाल- सा पड़ा रहता है। पाठ्य पुस्तकों में इन पर जो जानकारियां दी भी जाती हैं, उनमें अनेक बार विदेशी स्वार्थों से प्रेरित-प्रभावित ऐसे कथित बुद्धिजीवियों की लिखी अनर्गल बातें सम्मिलित होती हैं जो इस देश के इतिहास, यहां की संस्कृति और सभ्यता का वर्णन यहां उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर नहीं, विदेशी बुद्धि कोष से मिले निर्देशों के अनुसार करते हैं।हमारी नयी पीढ़ी देश की आत्मा का साक्षात्कार कर सके, ऐसे कुछ प्रश्न और उनके उत्तर इस पुस्तक में दिए गए हैं जो उस विषय में सामान्य ज्ञान तो कराते ही हैं, यह जिज्ञासा भी जगाते हैं कि इनका विस्तार से अध्ययन किया जाए। जैसे, जिस भारतवर्ष को आज “इंडिया” कहकर एक भूभाग के रूप में चिन्हित किया जाता है, वह इस धरा पर कितना श्रेष्ठ देश है, उसकी महिमा क्या है, इस अध्याय की शुरुआत करते हुए विष्णुपुराण में वर्णित संस्कृत का यह पद लिखा गया है गायन्ति देवा: किल गीतकानि। धन्यास्तु ते भारत-भूमिभागे। स्वर्गापवर्गास्पद मार्गभूते/ भवन्ति भूय: पुरुषा: सुरत्वात्।। अर्थात यह वह भूमि है जिसकी प्रशंसा के गीत देवता भी गाते हुए कहते हैं कि यहां पर मनुष्य का जन्म पाना देवत्व प्राप्त करने से भी बढ़कर है। कुछ अध्यायों के प्रारंभ में बनाए गए पूरे पृष्ठ के चित्र बहुत आकर्षक व जानकारीपरक हैं। वास्तव में यह पुस्तक प्रकाशित कर लेखक व सुरुचि प्रकाशन ने नयी पीढ़ी के लिए साहित्य सृजन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह पुस्तक वास्तव में नई पीढ़ी के लिए एक उपहार है। प्रतिनिधि18
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