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अतुल्य प्रजा वत्सल राजा के देश मेंसम्राट राम नवम् भूमिबल अतुल्यतेजहाथों में कमल का फूल लिए प्रार्थना करते हुए थाईलैण्ड के बौद्ध मतावलम्बीसभी छायाचित्र: तरुण विजयबैंगकाक हवाई अड्डे पर सुशोभितकूर्मावतार विष्णु की भव्य प्रतिमा…..और सागर मंथन का दृश्यप्राचीन काल में स्याम से लाओस तक का संपूर्ण क्षेत्र स्वर्णभूमि के नाम से जाना जाता था। जावा से कम्बोडिया तक का क्षेत्र तो श्रीविजय साम्राज्य के अन्तर्गत था। स्याम, जिसे अब थाईलैंड कहा जाता है, प्राचीन वैदिक सभ्यता के उत्कर्ष और उसके अनुरूप सामाजिक जीवन जीने का एक श्रेष्ठ उदाहरण है। यहां प्राचीन राजधानी को अयोध्या कहा जाता था, जिसके अवशेष आज भी विद्यमान हैं। थाईलैंड के वर्तमान सम्राट भूमिबल अतुल्यतेज हैं। उन्हें राम नवम् कहा जाता है। यहां के सम्राट श्री राम के नाम की पदवी धारण करते हैं। यहां के सभी बौद्ध मंदिरों में रामकथा के सुंदर स्वर्णिम चित्र अंकित हैं और संपूर्ण स्वर्णभूमि क्षेत्र के विभिन्न देशों के लिए प्राणदायिनी नदी का नाम है मां गंगा, जिसे उच्चारण भेद के कारण बाद में मीकांग कहा जाने लगा। सम्राट भूमिबल अतुल्यतेज बहुत लोकप्रिय और प्रजा वत्सल राजा के नाते जनता के पूज्य बने हैं। कुछ समय पूर्व ही उनके राज्यारोहण की साठवीं वर्षगांठ मनाई गई जिसमें जापान, बेल्जियम जैसे देशों के सम्राट भी शामिल हुए। परंतु भारतीय सहभागिता का कहीं कोई जिक्र दिखा तक नहीं। भारत के समाचार पत्रों ने भी इस महत्वपूर्ण घटना की प्राय: उपेक्षा ही की। शायद इसलिए कि थाईलैंड सऊदी अरब नहीं है। यहां के मंदिर, मार्ग और बाजार बहुत साफ-सुथरे और विशिष्ट पद्धति से चलने वाले हैं। सुबह सूर्योदय से तनिक पूर्व बौद्ध मंदिरों के भिक्षु नगर में भिक्षाटन के लिए नंगे पांव निकलते हैं। जगह-जगह थाई नागरिक उन्हें अन्न और फल दान में देने के लिए अपने घर के बाहर नंगे पांव हाथ में दान की वस्तुओं से भरी थाली लेकर खड़े रहते हैं। जब भिक्षु उनके द्वार के सामने आते हैं तो उनकी झोली में आटा, दाल, चावल-फल इत्यादि डालकर सम्मान के साथ प्रणाम की मुद्रा में खड़े हो जाते हैं। बौद्ध भिक्षु कोई भी सामान अलग-अलग झोलों में नहीं लेते। उनके कंधे से एक बड़ा वस्त्र गांठ बांधकर लटका रहता है, जो थैली का काम करता है। उसी में सब कुछ मिला-जुलाकर लेते हैं। मैंने भारत में देखा है, कई बार हिन्दू भक्त ठीक से प्रणाम भी नहीं करते। दोनों हाथ थोड़ा सा छाती पर लगाएंगे और मुंह से बोल देंगे-जी परनाम। इतने से ही काम चल जाता है। थाई बौद्ध भक्त दोनों हाथ प्रणाम की मुद्रा में जोड़कर छाती से लगाते हुए सिर झुकाते हैं। बौद्ध भिक्षु भिक्षा में प्राप्त सभी सामग्री अपने क्षेत्र के मंदिर के भंडार में दे देते हैं। इसी सामग्री से दिन में दो समय का भोजन बनता है। सभी मंदिरों में बौद्ध विद्यार्थी भी अध्ययन के लिए रहते हैं। उनको भी इसी भिक्षाटन से प्राप्त सामग्री से ही भोजन मिलता है।सम्राट भूमि बल अतुल्यतेज साधारण जीवन जीते हैं। उन्होंने थाईलैण्ड के कम वर्षा वाले क्षेत्रों में विमान से वर्षा के बादल बनाकर वैज्ञानिक पद्धति से किसानों की समस्याएं सुलझाने का श्रेय प्राप्त किया। गरीब ग्रामीण जनता के लिए नये और श्रेष्ठ विद्यालय खुलवाए, भ्रष्ट प्रधानमंत्रियों को बर्खास्त किया। बौद्ध मत में श्रद्धा को सर्वोच्च महत्व दिया। वेदांत और हिन्दू धर्म के अन्य विधि-विधानों को पूर्णत: अंगीकार किया। इस कारण उनके प्रति जन-श्रद्धा अनुपमेय है।बैंगकाक में परम पूज्य श्री गुरुजी की जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में एक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया था। मित्रवर दिनेश मणि दुबे जी के यहां 50 से अधिक हिन्दू उपस्थित हुए। पुण्यभूमि भारत माता का चित्र, साथ में पूज्य डाक्टर साहब तथा श्री गुरुजी के चित्र। यहां बहुत अच्छी चर्चा हुई। यहां हिन्दुओं के मन में अपने धर्म और आस्था के प्रति अपूर्व श्रद्धा है। हां, जैसे बाकी जगह है, वैसे ही यहां भी एका कम है। अलग-अलग संस्थाओं ने अलग-अलग तरीके अपनाए हुए हैं। विडम्बना यह है कि थाईलैण्ड के बारे में भारत और यूरोप में एक ही धारणा प्रचलित की गई है कि ये मौज-मस्ती और मसाज पार्लरों का देश है। थाईलैण्ड की पूरी छवि ही विलासिता के पर्यटन केन्द्र के रूप में प्रचारित कर दी गई है। लेकिन वस्तुत: स्थिति इसके विपरीत है।चीन से थाईलैंड तक जहां प्राय: सभी जगह प्राचीन हिन्दू-बौद्ध प्रचारकों की असाधारण जिजीविषा और धर्म निष्ठा का परिचय मिला वहीं संघर्षरत वर्तमान को एक स्वर्णिम भविष्य के सृजन हेतु सिद्धमना भी देखा। यह यात्रा एक अद्भुत रोमांच दे गई। मानो धर्म निष्ठा की विद्युत तरंग से पुन: साक्षात्कार हुआ और यह विश्वास और प्रगाढ़ हुआ कि जो कार्य हमारे पूर्वज अपरिमित साहस और पराक्रम के साथ कर गए वह न व्यर्थ गया, न व्यर्थ जाएगा। भविष्य कारुण्य, मैत्री, विद्या, मेधा और निपुणता से प्राणवंत हिन्दुत्व का ही है।परमाणु क्षेत्र में स्वतंत्रता न खोएं परमाणु संधि के संदर्भ में रा.स्व.संघ का मूल प्रस्तावडा. मुरली मनोहर जोशी से तरुण विजय की बातचीत अमरीका से परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में 123 समझौता हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता और परमाणु एवं ऊर्जा स्वायत्तता पर आघात करता है संधि अस्वीकार…और अब पुन: हैदराबाद!! – वि.सं.के., हैदराबाद”चलो रामसेतु” आह्वान पर रामेश्वरम् में हजारों राम भक्त एकत्र रामसेतु विस्फोटक से उड़ाने की योजना? – शंकर महादेवनडा. सुब्राह्मण्यम स्वामी की याचिका पर सेकुलर सोनिया, मनमोहन, बालू और करुणानिधि के हथौड़ों पर रोक सर्वोच्च न्यायालय का स्थगन आदेश – तरुण विजयअभी तक विमान खरीद और पंजीकरण में भारत सरकार इस्तेमाल करती रही ज्च्र्-यानी उस भारत का विमान जो “वायसराय”ज टैरीटरी”-वायसराय द्वारा नियंत्रित क्षेत्र है!! स. तरलोचन सिंह ने मामला उठाया तो सरकार बोली-अच्छा? देखेंगे!! – प्रतिनिधिअमरीकी सीनेट के बाद अब कैलिफोर्निया सीनेट में गूंजा गायत्री मंत्र – प्रतिनिधिहनुमान और महिध्वज-3इस सप्ताह आपका भविष्यऐसी भाषा-कैसी भाषा हाईकोर्ट ने सेशन जज की निंदा कीअपनी बात प्रिय बन्धुओ, सप्रेम जय श्रीराम।- त.वि.दिशादर्शन कब तक गिनेंगे?- तरुण विजयमंथन अब आतंकवाद के विरुद्ध राष्ट्रीय एकता का शंखनाद – देवेन्द्र स्वरूपअवतार दर्शन वायुदेव के अवतार मध्वाचार्यगवाक्ष महीयसी महादेवी विद्रोह की अग्नि-शिखा- शिवओम अम्बरकाशी अभाविप ने किया युवा प्रतिभाओं का सम्मान – वि.सं.के., काशीझण्डेवाला मंदिर द्वारा तुलसी-पौधों का वितरण – प्रतिनिधिपाकिस्तान में अब पोलियो दवा का कठमुल्ला विरोध -मुजफ्फर हुसैन, वरिष्ठ स्तम्भकारवाराणसी में रा.स्व.संघ और दृष्टिहीन कल्याण संघ ने मनाया रक्षाबंधन उत्सव प्राचीन भारतीय संस्कृति का साक्षात् प्रमाण है रामसेतु – -इन्द्रेश कुमार, सदस्य, अ.भा. कार्यकारी मण्डल, रा.स्व.संघरामसेतु : एक आत्मालाप – राजेश गोगनापंजाब केसरी समूह की ओर से आतंकवाद पीड़ितों के लिए राहत सामग्री की 223वीं खेप रवाना – प्रतिनिधिडा. ऋचा सत्यार्थी को भारती-रत्न सम्मान”दी लाइव्स एण्ड हिस्ट्री आफ दी डेरा बगाईज” पुस्तक का लोकार्पण जड़ से जुड़े रहें और आगे बढ़ें – -जगदीश खट्टर, अध्यक्ष, मारुति उद्योग लिमिटेडछड़ी मुबारक के पवित्र गुफा पहुंचने के साथ ही बाबा अमरनाथ यात्रा सम्पन्न – खजूरिया एस.कान्तदुर्ग में वनांचल शिक्षा सेवा न्यास द्वारा व्यक्तित्व विकास शिविर भविष्य गढ़ने का भगीरथ प्रयास – प्रतिनिधिरक्षा सूत्र के साथ रामसेतु रक्षा का संकल्प – प्रतिनिधिराष्ट्र सेविका समिति ने तीज पर लिया पर्यावरण रक्षा का संकल्प – प्रतिनिधिदिल्ली की महिला पार्षदों से प्रमिला ताई का आह्वान काम ऐसे करें कि महिलाओं की प्रतिष्ठा बढ़े – प्रतिनिधिदेश का पहला गोविज्ञान केन्द्र उत्तराखण्ड में – दिल्ली ब्यूरोश्रीकृष्ण आयोग रपट के सन्दर्भ में एक वरिष्ठ विश्लेषक का विश्लेषण सेकुलर मीडिया का झूठा प्रचार बनाम मुम्बई दंगों का सच – सन्मित्रहिन्दी की तूती बोलेगी ही यूरोप में हिन्दी भाषा प्रतियोगिता के विजेता छात्र-छात्राओं का भारत भ्रमण – प्रतिनिधिसेवा भारती के कार्यकर्ताओं से आचार्य महाप्रज्ञ ने कहा- समाज के दर्द को अपना दर्द समझें – प्रतिनिधिटी.टी.- जाह्नवी कहानी प्रतियोगिता (द्वितीय) के परिणाम घोषित – प्रतिनिधिपश्चिमी संस्कृति के प्रतिकार हेतु हिन्दू अर्थशास्त्र ही विकल्प – ह्मदयनारायण दीक्षितबच्चों को धार्मिक शिक्षा भी मिलनी चाहिए -गोविन्द सिंह नेगी, प्राचार्य, भारतीय विद्या भवन (मेहता विद्यालय)विश्व कीर्तिमानों की गिनीज पुस्तक में दर्ज हुआ अट्टुकल भगवती मंदिर का पोंगाला उत्सव – प्रदीप कुमार2कृपालु पाठक इस स्तम्भ हेतु हिन्दी की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अंग्रेजी के अस्वीकार्य प्रयोग के उदाहरण हमें भेजें। भेजने का तरीका यह है कि जिस लेख, सम्पादकीय, समाचार आदि में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग खटकने वाला और अनावश्यक प्रतीत हो, उसकी एक कतरन अथवा मूल अंश की छायाप्रति हमें भेज दें। कतरन या छायाप्रति के नीचे समाचारपत्र या पत्रिका का नाम, उसके प्रकाशन की तिथि तथा पत्र-पत्रिका के प्रकाशन के स्थान का स्पष्ट उल्लेख करना आवश्यक है। साथ में अपना पता भी पिनकोड सहित साफ-साफ लिखकर भेजें। प्रत्येक प्रकाशित उदाहरण पर 50 रुपए का पुरस्कार है। जो पाठक अस्वीकार्य शीर्षक के स्थान पर प्रयुक्त हो सकने वाले शीर्षक का स्वीकार्य सुझाव भी भेजेंगे, उन्हें 50 रु. का अतिरिक्त पुरस्कार दिया जाएगा। -सं.हाईकोर्ट ने सेशन जज की निंदा कीयह शीर्षक है नई दिल्ली से प्रकाशित हिन्दुस्तान के 22 अगस्त, 07 में छपे एक समाचार का। इसे भेजने वाली हैं- अनुप्रिया, 494, साईट-1, विकासपुरी, नई दिल्ली-110018और इनका सुझावउक्त पंक्ति इस प्रकार भी लिखी जा सकती थी-उच्च न्यायालय ने सत्र न्यायाधीश की निंदा कीपताऐसी भाषा-कैसी भाषा?पाञ्चजन्य, संस्कृति भवन, देशबंधु गुप्ता मार्ग, झण्डेवाला, नई दिल्ली-1100553
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