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गत 11 मई को गुरदासपुर (पंजाब) जिले के मानकौर सिंह गांव के 172 लोगों ने ईसाई मत छोड़कर पुन: सिख पंथ अपना लिया। गांव के गुरुद्वारे के ग्रन्थी ज्ञानी जसवन्त सिंह ने जपुजी साहिब का पाठ करके एवं कड़ाह का प्रसाद बांटकर इन लोगों को वापस अपने पंथ में लाया। उन्होंने यह भी घोषणा की कि अब यह गांव पूर्णत: ईसाई-विहीन हो चुका है। कार्यक्रम का आयोजन धर्म जागरण विभाग (पंजाब) ने किया था। इस अवसर पर धर्म जागरण विभाग पंजाब के बिरादरी प्रमुख श्री कृष्ण बमोत्रा सहित अनेक लोग उपस्थित थे। सरदार अमर सिंह, पवन महाजन आदि के प्रयासों से घरवापसी का यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री कृष्ण बमोत्रा ने कहा कि ईसाई मिशनरियों से पंजाब की सभ्यता, संस्कृति खतरे में है। इसलिए यहां मतान्तरण विरोधी कानून बनना चाहिए। धर्म जागरण के प्रदेश संयोजक श्री रामगोपाल ने बताया कि पिछले दो माह में ही गुरुदासपुर, पटियाला, फिरोजपुर, संगरूर एवं जालन्धर जिले के 400 के करीब लोगों की घरवापसी हुई है। सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भी मतान्तरण को गंभीरता से लिया है और इसे रोकने की बात कही है।गत दिनों पश्चिम बंगाल के मालदा दिले में भी जनजातीय परिवार के 70 लोगों ने ईसाइयत छोड़कर अपने पूर्वजों के धर्म को अपनाया। उल्लेखनीय है कि ये लोग कुछ साल पहले ही ईसाई बने थे। घरवापसी कार्यक्रम मालदा के निकट चित्रकूट आश्रम में आयोजित किया गया था। जनजातीय समाज की आमुर गुरु श्रीमती रेखा हेम्ब्राम के प्रयासों से आयोजित इस कार्यक्रम में शुद्धि यज्ञ हुआ और उसके बाद लोगों को फिर से जनजाति समाज में शामिल किया गया। उल्लेखनीय है कि श्रीमती रेखा हेम्ब्राम ने अब तक 10 हजार लोगों की घरवापसी कराई है। घरवापसी कार्यक्रम में हनुमान चालीसा एवं रामचरित मानस का पाठ हुआ, जिसमें सैकड़ों जनजाति बंधुओं ने भाग लिया। घरवापसी करने वाले बन्धुओं ने एक स्वर से कहा कि वे भगवान राम के अनुयायी हैं। अब वे पुन: भगवान राम की पूजा करेंगे। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री केशव राव दीक्षित सहित अनेक वरिष्ठ जन उपस्थित थे। -अमृतसर से राजीव कुमार और कोलकाता से बासुदेब पाल31
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