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गर्मियों में ऐसे करें पक्षियों की रक्षामेनका गांधी, सांसद, लोकसभाअनूप यादव, श्री मंगल नगर, इन्दौर (म.प्र.)आजकल पक्षी बहुत अधिक मर रहे हैं। मेरे जैसे लोग उनके बचाव में क्या कर सकते हैं?गर्मियों में छाया के अभाव में बहुत पक्षी मरते हैं। उन्हें पानी नहीं मिलता जिसमें वे नहा सकें तथा खुद को ठंडा रख सकें। और भोजन नहीं मिलता क्योंकि शहरों में अधिकांश वृक्षों पर कोई फल अथवा बीज भी नहीं होते हैं। इन पक्षियों के लिए आप मिट्टी के बर्तनों में पानी भर कर रख सकते हैं। उनमें पके हुए चावल, रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े और कुछ फल के टुकड़े डालें। इससे कई पक्षियों की जान बच सकती है। यदि आपके घर के पास में कोई पार्क है तो आस-पास के निवासियों से सलाह करके एक छोटा तालाब बना सकते हैं। अपनी कालोनी में पीपल, जामुन तथा शहतूत के पेड़ लगाएं।विनोद तिवारी, गंगापुर, ग्वालियर (म.प्र.)मैं स्थानीय गोशाला के लिए क्या कर सकता हूं?पहले यह सुनिश्चित कर लें कि वह कोई डेयरी न हो। कई गोशाला संचालक यह कहकर लोगों से गाय मांग ले जाते हैं कि वे उनकी सेवा करेंगे। परन्तु गोशालाओं में उन गायों की स्थिति बहुत खराब रहती है। उनके पास उनकी देखभाल के लिए कोई कर्मचारी नहीं होता है। यदि आपको लगे कि अमुक गोशाला ठीक है तो वहां के किसी कर्मचारी या चिकित्सक के वेतन के लिए पैसा दे सकते हैं। आप वहां अनाज तथा हरा चारा एवं गुड़ ले जाकर दे सकते हैं। वहां किसी निर्माण कार्य में भी आप सहयोग दे सकते हैं।नितिन कुमार, अलगधाम नगर, उज्जैन (म.प्र.)लोग कहते हैं कि शाकाहारी को प्रोटीन, विटामिन बी-12 तथा लौह तत्व नहीं मिलते। शाकाहारी रहते हुए मैं इन्हें कैसे प्राप्त कर सकता हूं?आप इन सभी को हरी सब्जियों को खाकर प्राप्त कर सकते हैं।नंद कुमार शर्मा, मोदी नगर, गाजियाबाद (उ.प्र.)मैं वन्यजीवों की रक्षा करना चाहता हूं, मेरे पास अभ्यारण्यों में जाने के लिए पैसा अथवा समय नहीं है। मैं अपने शहर में क्या कर सकता हूं?अभ्यारण्यों में जाकर कोई भी जंगली पशुओं की रक्षा नहीं करता है। जंगली पशुओं की हत्या की जाती है क्योंकि उनके शरीर के अंगों को अथवा उन्हें जिंदा शहरों में बेचा जाता है। एक छोटा सा समूह बनाइए और अपने शहर में पक्षी बेचने वालों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अंतर्गत गिरफ्तार करवाइए। पक्षी को जब्त कर लें और उन्हें किसी जंगल वाले क्षेत्र में छोड़ दें। बंदर तथा भालू के मदारियों के साथ भी ऐसा ही करें और इन पशुओं को वन विभाग अथवा किसी पशु कल्याण समूह को दे दें। यदि आपको कोई कछुआ, नेवला, दुर्लभ मछली मिले तो उसे बेचने वाले को तुरंत गिरफ्तार करवाएं। यदि आप शहर में पशुओं की बिक्री को समाप्त कर सकते हैं तो आप जंगल में पशुओं की रक्षा कर लेंगे।पशु कल्याण आंदोलन में भाग लेने के इच्छुक पाठकश्रीमती मेनका गांधी से 14, अशोक रोड, नई दिल्ली-110001के पते पर अथवा gandhim@parlis.nic.inपर सम्पर्क कर सकते हैं।इस स्तम्भ में हर पखवाड़े प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और शाकाहार को समर्पित प्रसारक श्रीमती मेनका गांधी शाकाहार, पशु-पक्षी प्रेम तथा प्रकृति से सम्बंधित पाठकों के प्रश्नों का उत्तर देती हैं। अपना प्रश्न भेजते समय कृपया निम्नलिखित चौखाने का प्रयोग करें।श्रीमती मेनका गांधी”सरोकार” स्तम्भ / द्वारा, सम्पादक, पाञ्चजन्यसंस्कृति भवन, देशबन्धु गुप्ता मार्ग, झण्डेवाला, नई दिल्ली-11005529
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