मलेशिया
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

मलेशिया

by
Jan 4, 2007, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 04 Jan 2007 00:00:00

इस्लामी राज में तोड़े जा रहे हैं हिन्दू मंदिर-आलोक गोस्वामीदक्षिण एशिया का एक छोटा सा परंतु वैभव संपन्न देश है मलेशिया। आज वहां जो चमक-दमक और गगनचुंबी इमारतें, सड़कें दिखाई देती हैं उसके पीछे भारतवंशियों के रक्त और स्वेद का बहुत बड़ा योगदान है। उपनिवेशकाल में ब्रिटिश शासकों ने भारत से बड़ी संख्या में लोगों को मजदूरों के रूप में मलेशिया ले जाकर खेती-बाड़ी और बागवानी कराई थी। भारत, विशेषकर दक्षिण भारत के तमिलनाडु प्रांत से गए लोग बहादुर, मेहनतकश और लगनशील थे। इन्हीं भारतीयों ने धीरे-धीरे अपनी बस्तियों में अपने इष्ट देवताओं की उपासना के लिए मंदिर स्थापित किए। 31 अगस्त 1957, जब यह देश स्वतंत्र हुआ, के बाद भी ये मंदिर बने रहे और भक्तों की भारी संख्या पूजा-अर्चना के लिए इनमें आती रही। मगर मुस्लिमबहुल और इस्लामी राज वाले मलेशिया में पिछले कुछ वर्ष से इन मंदिरों को एक सुनियोजित षडंत्र के तहत खत्म किया जा रहा है। हजारों मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया, देव-प्रतिमाओं का अपमान किया गया, खण्डित किया गया। कारण पूछने पर हिन्दुओं को खानी पड़ी पुलिस की लाठी, गोली और सहने पड़े बुलडोजरों के प्रहार। हिन्दू लगातार संघर्षरत हैं मगर सत्ता में बैठे मुस्लिम शासकों के बहरे कान कुछ सुनते नहीं। पुलिस और मलय मूल के अपराधी तत्व जब चाहे, जहां चाहे मंदिरों में घुसते हैं और कुदाल फावड़े चलाकर प्रतिमाएं तोड़ डालते हैं। हिन्दू श्रद्धालुओं को अपमानित करते हैं, महिलाओं और बच्चों को ठोकरें मारते हैं।पिछले दिनों प्रयाग में सम्पन्न विश्व हिन्दू सम्मेलन में मलेशियाई हिन्दू समाज के कुछ प्रतिनिधियों ने भाग लिया था और वहां सबके सामने मलय हिन्दू समाज का दर्द रखा था। हिन्दू सेवई (सेवा) संगम के श्री एम. रामचंद्रन और मलय हिन्दू संगम के मानद महासचिव श्री परमसोथी दिल्ली भी आए थे। उन्होंने पाञ्चजन्य से बातचीत में जब मलेशिया में हिन्दुओं और मंदिरों के सत्ता की शह पर अपमान की विस्तृत जानकारी दी तो पहले तो भरोसा ही नहीं हुआ, मगर जब यह ध्यान आया कि इसी मलेशिया में एक हिन्दू मृतक को उसके परिवार के विरोध के बावजूद इस्लामी सत्ता ने दफनाने का हुक्म दिया था तो तस्वीर समझ आने लगी। पाञ्चजन्य में हमने पहले भी मलेशिया के सुप्रसिद्ध प्राचीनतम विष्णु मंदिर को ध्वस्त किए जाने का सचित्र समाचार छापा था। रामचंद्रन जी के अनुसार, मलेशिया में 20 लाख हिन्दू रहते हैं जो कुल जनसंख्या का 8-10 प्रतिशत हैं। मगर इसके बावजूद वहां के हिन्दू संकटपूर्ण स्थितियां झेल रहे हैं। देश में खुलेआम इस्लामीकरण हो रहा है। विडम्बना यह है कि मलय संसद में हिन्दू प्रतिनिधि हैं, एक मंत्री है, दो उपमंत्री हैं, संसदीय सचिव है मगर उनकी बात कोई सुनता नहीं है।राजधानी क्वालालम्पुर सहित विभिन्न स्थानों पर कुल मिलाकर 17 हजार मंदिर हैं जिनमें से अधिकांश सौ-डेढ़ सौ साल पुराने हैं। सरकार की नजर इन्हीं मंदिरों पर है और चूंकि हिन्दू समाज अपेक्षाकृत असंगठित रहा है, इसलिए एक-एक करके मंदिरों को ध्वस्त किया जा रहा है। मगर अब हिन्दू इस सबसे आहत हैं और उन्होंने संगठित होना शुरू किया है। हिन्दू सेवई संगम में पिछले 20 वर्ष से पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में रामचंद्रन जी दक्षिण पूर्वी एशिया के विभिन्न हिन्दू संगठनों को एक सूत्र में पिरोने का काम कर रहे हैं।परमसोथी जी बताते हैं कि मलेशिया में बड़े छुपे रूप से इस्लामीकरण का षडंत्र चल रहा है। हिन्दू युवक को इस्लामी पद्धति से दफन करके सरकार ने एक प्रकार से इसकी पुष्टि ही की थी। वे कहते हैं, “क्योंकि हम वहां अल्पसंख्यक हैं इसलिए हमारी आवाज कोई नहीं सुनता है। मगर विभिन्न अंतरपांथिक सेमिनारों के जरिए हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन अपनी आवाज उठा रहे हैं। यही कारण है कि सरकार भी कभी-कभी हिन्दुओं का प्रतिनिधिमण्डल बुलाकर उनकी शिकायतें सुन भर लेती है। इस्लामवादी सरकार 60 प्रतिशत मुस्लिमों को संतुष्ट करने में जुटी रहती है क्योंकि उनसे ही उसे वोट चाहिए। वह ज्यादातर समय विपक्षी दल “पार्टी इस्लाम” से उलझी रहती है। इसी प्रक्रिया में इस्लामीकरण का दौर चलता है जिसका सीधा असर हिन्दुओं पर हो रहा है। हिन्दू प्रतिनिधिमण्डलों ने कई बार सरकार को ज्ञापन सौंपे हैं और मंदिरों को तोड़ने से बाज आने की अपील की है, पर सत्ता खामोश है। इतना ही नहीं, संयुक्त राष्ट्र को भी मलय हिन्दुओं की पीड़ा से अवगत कराया गया है।मलेशिया में हिन्दू संगम जैसे 136 संगठन विभिन्न धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजन करके हिन्दुओं को संगठित करने का प्रयास कर रहे हैं। मंदिरों के प्रबंधनों को भी एकजुट करने की कोशिश की जा रही है। इसका उद्देश्य है कि पूजा-अर्चना के साथ ही मंदिर समाज-केन्द्र भी बनें ताकि समस्याओं का संगठित होकर सामना किया जा सके। हिन्दू विद्यालय प्रकल्प के अंतर्गत प्राथमिक स्तर के 40 स्कूल मंदिरों में ही चलाए जा रहे हैं। मलय सरकार ने जहां एक ओर पुराने मंदिरों को ध्वस्त किया है वहीं दूसरी ओर नई कालोनियों में मंदिरों के लिए भूखण्ड नहीं छोड़ा है। हां, क्वालालम्पुर के बाहरी इलाके में मल शोधन संयंत्र के पास एक वीरान पड़े भूखण्ड पर मंदिर बना लेने का आदेश जरूर दिया था, जिसे हिन्दुओं ने माना नहीं है।श्री रामचंद्रन और परमसोथी जी बात करते-करते आवेश में आ जाते और अपने झोले में रखे कुछ कागजात और ज्ञापन पत्रों की प्रतियां दिखाते। उन्होंने हिन्दू मंदिरों पर “सरकारी हमलों” की एक सीडी भी दी जिसमें मलय पुलिस के संरक्षण में अपराधी तत्व हिन्दुओं को धमकाते और मंदिर, मूर्तियां तोड़ते साफ दिखाई देते हैं। वह दृश्य तो भीतर तक झकझोर देता है जिसमें मंदिर तोड़ने आए बुलडोजरों के आगे हिन्दू महिलाएं अपने बच्चों सहित खड़ी दिखीं। वे चीखते-चिल्लाते हैं, धरने-प्रदर्शन करते हैं, पर पुलिस उल्टे उन पर लाठियां भांजती है। क्वालालम्पुर के फेडरल टेरिटरी प्रांत यानी क्वालालम्पुर प्रशासन और स्थानीय हिन्दू समाज के बीच एक आपसी समझ के बाद एक समिति गठित की गई है। इसके बाद से प्रांत के किसी भी हिन्दू मंदिर को ध्वस्त करने से पूर्व समिति से चर्चा अनिवार्य हो गई है। लेकिन, रामचन्द्रन व्यथित होकर कहते हैं, इसके बावजूद क्वालालम्पुर में दो मंदिर ध्वस्त किए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री निवास के सामने हिन्दुओं ने विरोध प्रदर्शन किए, अनेक पत्र भेजे मगर प्रधानमंत्री की ओर से कोई जवाब तक नहीं आया। हिन्दू राइट्स एक्शन फोर्स संस्था गठित की गई जिससे 50 हिन्दू संगठन जुड़े हैं। यानी प्रतिरोध की भरपूर कोशिशें हो रही हैं मगर कोई नतीजा नहीं निकलता दिखाई दे रहा है। मलय हिन्दू परेशान हैं। वे भारत की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। उन्हें लगता है कि अगर उनकी मदद के लिए कोई आगे आएगा तो भारत के हिन्दू ही। मलेशियाई संविधान की धारा-2 धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार तो देती है पर व्यवहार रूप में ऐसा होता नहीं है। परमसोथी जी कहते हैं कि भारत सहित दुनियाभर में बसे हिन्दू हमारी पीड़ा को समझें और उसके खिलाफ आवाज उठाएं। कोई हमारा हाथ थामे, हम संकट में हैं।21

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

बच्चों में अस्थमा बढ़ा सकते हैं ऊनी कंबल, अध्ययन में खुलासा

हमले में मारी गई एक युवती के शव को लगभग नग्न करके गाड़ी में पीछे डालकर गाजा में जिस प्रकार प्रदर्शित किया जा रहा था और जिस प्रकार वहां के इस्लामवादी उस शव पर थूक रहे थे, उसने दुनिया को जिहादियों की पाशविकता की एक झलक मात्र दिखाई थी  (File Photo)

‘7 अक्तूबर को इस्राएली महिलाओं के शवों तक से बलात्कार किया इस्लामी हमासियों ने’, ‘द टाइम्स’ की हैरान करने वाली रिपोर्ट

राजस्थान में भारतीय वायुसेना का Jaguar फाइटर प्लेन क्रैश

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies