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बंगलादेश के हिन्दू हमलों के बीच धर्मनिष्ठा – बंगलादेश से लौटकर तरुण विजय
बंगलादेश के बारे में दो पहलुओं से सोचा जा सकता है। एक, वहां के हिन्दुओं पर विभाजन के बाद से लगातार अत्याचार बढ़े हैं। 1947 में 29.7 प्रतिशत हिन्दू आबादी आज 10 प्रतिशत से कम पर सिमट आई है।
कोमिल्ला के चंचल घोष पर मुस्लिम जिहादियों का हमला
अस्थिर राजनीति के जिहादी तेवर लेकिन तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी है
धामराई की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा स्थानीय जनता ने भारतीय उच्चायुक्त वीणा सीकरी को नायक बनाया
रमणाकाली मंदिर की जगह बदली तो हिन्दू चुप नहीं बैठेंगे -मेजर जनरल चित्तरंजन दत्त (अ.प्रा.), अध्यक्ष, हिन्दू बौद्ध क्रिश्चियन ऐक्य परिषद
मानव संसाधन विकास मंत्रालय का “निर्विषीकरण” के नाम पर विष फैलाने का अभियान
निशाने पर भाषा, संस्कृति और इतिहास -प्रस्तुति : राकेश उपाध्याय
यह पढ़ाया जा रहा है हमारे बच्चों को
बिहार की कनबतिया
शबरी मलय-3
विचार-गंगा
इस सप्ताह आपका भविष्य
ऐसी भाषा-कैसी भाषा कॉमर्स का कॉमन सिलेबस तैयार
गहरे पानी पैठ आतंकवादियों के विदेशी आका
मंथन ब्रिटिश कूटनीति की विजय है आरक्षण सिद्धांत-2 भारतीय राष्ट्रवाद के विरुद्ध ब्रिटिश षडंत्र – देवेन्द्र स्वरूप
सिंधु दर्शन-2006 सबके लिए, सबके साथ -कमल खत्री
चर्चा सत्र संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के लिए शशि का नाम किसने सुझाया? – टी.वी.आर. शेनाय
पुस्तक परिचय पाकिस्तान बंटवारे से क्या खोया, क्या पाया – अजय कुमार मिश्र
नेपाल के माओवादी पहले बंदूकें छोड़ें फिर बात करें -वरुण गांधी
संसद विरोधी ये माक्र्सवादी -शंकर शरण
संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता व्यक्ति की परख -राजकुमार भाटिया
श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी-समाचार दर्शन
बंगलादेश की विश्व प्रसिद्ध धामराई रथयात्रा
भीलवाड़ा (राजस्थान) में दस दिवसीय संस्कार शिविर सम्पन्न बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों को भी संस्कारों की आवश्यकता प्रतिनिधि
बारूदी गंध -डा. दयाकृष्ण विजयवर्गीय “विजय”
उपराष्ट्रपति का साहित्यकारों-पत्रकारों से आह्वान हिन्दी भाषा को बचाएं -प्रतिनिधि
विरासत का अपमान क्यों? -डा. महीप सिंह
शिक्षा बचाओ आन्दोलन के संयोजक दीनानाथ बत्रा ने कहा- भारतीय अस्मिता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
मध्य प्रदेश में पहली कक्षा में पं. नेहरू से सम्बंधित कविता हटाने पर विवाद हम करें तो गलत, आप करें तो ठीक
शिक्षा और देश बर्बाद करने पर तुली सरकार – डा. मुरली मनोहर जोशी, संसद सदस्य एवं पूर्व केन्द्रीय मानव संसाधन विकासमंत्री
थाई सम्राट के सिंहासनारोहण की 60वीं वर्षगांठ जन-जन के राजा बैंकाक से दिनेश मणि दुबे
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक प. पू. श्री गुरुजी ने समय-समय पर अनेक विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। वे विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने पहले थे। इन विचारों से हम अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं और सुपथ पर चलने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। इसी उद्देश्य से उनकी विचार-गंगा का यह अनुपम प्रवाह श्री गुरुजी जन्म शताब्दी के विशेष सन्दर्भ में नियमित स्तम्भ के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। -सं
पुरानी समस्या का पुनरोदय
एक पुरानी समस्या ने फिर अपना सिर उठाया है। सर्वविदित है कि स्वाधीनता-संग्राम में मुसलमानों ने “वन्देमातरम्” के गान पर आपत्ति प्रकट की थी। उस गीत पर, जिसने राष्ट्रीय स्वाधीनता के लिए हमारे स्वतंत्रता-सेनानियों को अपने प्राणोत्सर्ग की प्रेरणा दी थी। परिणामस्वरूप हमारे ही नेताओं ने इस सुंदर गीत का अंग-भंग कर इसकी कुछ आरंभिक पंक्तियों के ही गायन की अनुमति दी। मातृभूमि को जगज्जननी की अभिव्यक्ति मानने वाले समर्पित लोगों के अतिरिक्त आज भी अन्य सभी सभाओं में उस अधूरे गीत का ही गायन होता है। कुछ दिन पहले ही कतिपय मुस्लिम “सज्जनों” ने मुम्बई नगर निगम के एक उर्दू विद्यालय में इस आधे-अधूरे गीत के गायन का भी विरोध किया था। इनमें सत्ताधारी दल के कुछ मुसलमान भी थे। दुर्भाग्य से उपर्युक्त प्रसंग में किसी राजनेता ने “वन्देमातरम्” के विरोध की भत्र्सना नहीं की। यहां तक कि मुस्लिम समाज में सुधार के लिए प्रयासरत लोगों ने भी इसका खुले शब्दों में विरोध नहीं किया। मेरे विचार से सत्ताधारी दल सहित सभी राजनीतिक दलों को इसकी तीव्र प्रतिक्रियास्वरूप यह दृष्टिकोण अपनाना चाहिए कि “वंदेमातरम्” को गाने से इनकार करने वालों को उनके दल में कोई स्थान नहीं होगा।
(साभार: श्री गुरुजी समग्र : खंड 11, पृष्ठ 265-266)
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