फैशन और संस्कृति में टकराव कहां?
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

फैशन और संस्कृति में टकराव कहां?

by
Feb 4, 2006, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 04 Feb 2006 00:00:00

महिला पाठकों को आमंत्रणफैशन और संस्कृति में टकराव कहां?आज अक्सर घरों में युवतियों को यह सुनने को मिलता है कि, “फैशन मत करो, बिगड़ जाओगी” या “तौबा, वह तो इतना फैशन करती है, उसका चालचलन ठीक नहीं है।” तो क्या समय के साथ अपनी वेशभूषा और रूप सज्जा में फैशन का पुट देने का अर्थ है बिगड़ जाना और चाल चलन खराब होना? अगर बेटा रात को देर से आए तो कहा जाता है कि वह बहुत मेहनती है और बेटी को देर हो जाए तो कहते हैं, वह बिगड़ गई है। यह दृष्टिकोण कितना उचित है कितना अनुचित? हम तो आपके सामने केवल चर्चा का मुद्दा रख रहे हैं। आप इस संदर्भ में हमें 250 शब्दों में अपने विचार भेजें तथा साथ में फोटो भी और साफ-साफ लिखा पता भी। चुने हुए पत्रों को 250 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।हमारा पतास्त्री स्तंभद्वारा सम्पादक पाञ्चजन्य, संस्कृति भवन, देशबंधु गुप्ता मार्ग, झण्डेवाला, नई दिल्ली-55″फैशन और संस्कृति में टकराव कहां?” विषयक बहस पर आमंत्रित विचारों की प्रथम कड़ीआजकल का फैशन ठीक नहीं-अदिति शर्मासांैदर्य और नारी एक सिक्के के दो पहलू हैं। नारी के ह्मदय में सुंदर दिखने की ललक सदैव रहती है। यह धारणा वर्तमान में ही नहीं वरन् आदिकाल से नारी में रही है। इसकी पुष्टि शास्त्रों में वर्णित सोलह श्रृंगारों से भी होती है। कहा जाता है कि बाहरी नहीं बल्कि आंतरिक सौंदर्य व्यक्ति को सही मायने में सुन्दर बनाता है। प्रकृति ने नारी को वह सभी आंतरिक गुण वरदानस्वरूप दिये हैं, जो उसके सौंदर्य को निखारते हैं, जैसे- करुणा, त्याग, उदारता, कोमलता, मातृत्व-वत्सलता। आंतरिक और बाह्र सौंदर्य का समावेश होने पर नारी का जो स्वरूप उभरता है, वह दैवी स्वरूप की अनुभूति दिलाता है।वर्तमान में नारी फैशन के जिस क्षेत्र की ओर अग्रसर हुई है, वहां पायल, कंगन, बिंदिया सब बीते जमाने की बात हो गई है तथा सुविधा के नाम पर पुरुषों सरीखी पैंट या जीन्स व टी शर्ट नारी तन की सज्जा बन गई हैं। जीन्स-टी शर्ट यदि सलीके से पहनी जाएं तो अनुचित नहीं हैं, क्योंकि समय के साथ व्यक्ति और समाज को परिवर्तित होना पड़ता है। लेकिन फैशन के नाम पर जो उच्श्रृंखलता नारी में आई है, वह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।आधुनिक नारी फैशन के भंवर में डूबकर घर-परिवार के कामों से परहेज करने लगी है। अंधविश्वास से मुक्ति के नाम पर तीज-त्योहारों व रीति-रिवाजों से विमुख होने लगी है। सच कहें तो आधुनिक नारी घर को “पिंजरा” और रिश्तों को “बेड़ियां” समझने लगी है। कहा भी जाता है कि “अति सर्वत्र वर्जयेत”, भारतीय नारी ने फैशन के वशीभूत होकर अति की पराकाष्ठा को छू लिया है। अत: वर्तमान समय में प्रचलित फैशन स्त्री सम्मान का पक्षधर नहीं कहा जा सकता है।महिलाओं का सांस्कृतिक मूल्यों से विमुख होना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। सुसंस्कृत एवं राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत महिलाएं ही प्रेममयी पुत्री, स्नेहमयी भगिनी, कत्र्तव्यनिष्ठ पत्नी और भविष्य के कर्णधारों की माता की भूमिका के साथ न्याय कर पाएंगी। संक्षेप में कहें तो आधुनिक नारी को काल्पनिकता की ओर उड़ने की बजाय केवल अपने अंदर छिपी सुगंध को समय रहते पहचानने की जरूरत है।अदिति शर्माद्वारा- वी.के. शर्मा, 27 सी, पंचवटी, दिल्ली छावनी, दिल्ली-11001020

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies