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जार्ज बुश की यात्रा के विरोध में देशभर में जमकर प्रदर्शन हुए। वामपंथी दलों, मुस्लिम संगठनों एवं अनेक राजनीतिक दलों ने , देहरादून, जम्मू-कश्मीर, आन्ध्र प्रदेश, तिरुचिरापल्ली सहित राजधानी दिल्ली में भी बुश विरोधी तख्तियां लिए हजारों लोगों ने प्रदर्शन किए। दिल्ली के रामलीला मैदान में वामपंथी पार्टियों की अगुआई में हुए विरोध प्रदर्शन में माकपा के महासचिव प्रकाश कारत, सीताराम येचुरी, वृंदा कारत, ए.बी. वर्धन, अरुंधती राय, अमर सिंह आदि अनेक नेता सम्मिलित हुए। कुछ प्रदर्शनकारियों ने बुश के साथ-साथ डा. मनमोहन सिंह एवं सोनिया गांधी के विरुद्ध भी जमकर भड़ास निकाली।
17 साल से लटके रहे भारतीय आम के निर्यात को अमरीकी मंजूरी
अमरीकी व्यापार प्रतिनिधि और कृषि विभाग ने कहा है कि शीघ्र ही अमरीकी बाजार भारतीय आमों की बिक्री के लिए खोल दिए जाएंगे और इसके लिए जो कानूनी प्रक्रिया है वह अगले 18 महीनों में पूरी कर ली जाएगी।
बुश ने कहा-मैं उस देश में हूं जिसने दुनिया को गणित दिया और अब प्रौद्योगिकी दे रहा है
भारत में बुश ने जो बोला, बहुत सोच समझकर बोला। अमरीका की एशिया सोसायटी के भाषण से दिल्ली में पुराने किले में दिए भाषण तक बुश ने भारत के हिन्दू बहुसंख्यक स्वरूप का कई बार जिक्र किया, जो संभवत: किसी राष्ट्राध्यक्ष द्वारा पहली बार किया गया। पुराना किला में बुश ने कहा कि आज हम उस प्राचीन नगर के खण्डहर में खड़े हैं जो हजारों वर्ष पहले एक भारतीय राज्य की राजधानी थी। बुश के भाषण लेखक इस मौके पर श्रीकृष्ण-पाण्डवों का जिक्र करना भूल गए, क्योंकि यह पुराना किला पाण्डवों का किला माना जाता है। अगली पंक्ति में बुश ने कहा कि आज यह उस आधुनिक एशियाई नगर का हिस्सा है जो दुनिया के एक महान देश की राजधानी है जिसके ह्मदय में वह सभ्यता है जिसने दुनिया को गणित का ज्ञान दिया, और जहां के तेज तर्रार उद्यमी अब दुनिया को भविष्य की प्रौद्योगिकी दे रहे हैं। जब 21वीं सदी में भारत आते हैं तो आप अतीत से प्रेरित होते हुए भविष्य का दर्शन कर सकते हैं। कल मैं महात्मा गांधी के स्मारक पर गया था। उनकी वाणी से हमारे देश के लोग परिचित हैं क्योंकि उन्होंने अमरीकियों की एक पीढ़ी को नस्लीय भेदभाव के अन्याय पर विजय पाने में सहायता दी थी। जब 1959 में मार्टिन लूथर किंग दिल्ली आए थे, तो उन्होंने बाकी देशों के बारे में कहा था कि वहां मैं पर्यटक के रूप में जा सकता हूं लेकिन मैं भारत में तीर्थयात्री के रूप में आया हूं। बुश ने अपने भाषण में कल्पना चावला और सानिया मिर्जा का जिक्र किया तो “वाराणसी के पवित्र नगर” और बालीवुड के स्टूडियो का भी। और अन्त में कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध में भारत- अमरीका सहयोगी देश हैं। मैं आपके यहां एक मित्र के नाते आया हूं।
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