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कश्मीर मामलों पर समितिजम्मू-कश्मीर को स्वायत्तशासी बनाने की मांग पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार ने एक समिति गठित करने का फैसला किया है। शुरू में इस समिति के अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ए.एम.अहमदी को बनाया जाना था, लेकिन उनके इनकार कर दिए जाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने उनकी जगह अमरीका में भारत के पूर्व राजदूत आबिद हुसैन को अध्यक्ष बनाने का फैसला किया है। चूंकि इस अपशकुनी योजना का उद्देश्य ही राज्य की स्वायत्तता और केंद्र के साथ उसके संबंध जैसे प्रश्नों पर लोगों के विचार जानना है, इसलिए समिति का अध्यक्ष कोई मुसलमान ही हो, यही सरकार की मंशा है। हालांकि न्यायमूर्ति अहमदी ने अध्यक्ष पद ठुकराने के अपने फैसले का कोई कारण नहीं बताया, लेकिन उनके नजदीकी सूत्र की मानें तो उन्होंने यह फैसला समिति की कोई सर्वमान्य निष्कर्ष न देने पाने की संभावित असमर्थता को देखते हुए लिया है। इस समिति में अलग-अलग राजनीतिक दलों के लोगों को शामिल किया गया है। ऐसे में उनके अतिवादी विचारों को आपस में सामंजस्य बिठाकर कोई निर्णय देना बेहद मुश्किल होगा। सर्वमान्य निष्कर्ष आना शायद संभव भी न हो। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कश्मीरी नेताओं के साथ तीसरी बार गोलमेज सम्मेलन करना चाहते हैं पर उससे पहले वे इस समिति सहित चार अन्य समितियों की रपट देख लेना चाहते हैं।30
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