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हिन्दू सिद्धान्तों का प्रतिपादनहो.वे. शेषाद्रि अ.भा. प्रचारक प्रमुख, रा.स्व.संघहो.वे. शेषाद्रिअ.भा. प्रचारक प्रमुख, रा.स्व.संघएडगर केसी अमरीका के प्रतिष्ठित विचारकों में से एक माने जाते हैं। सुप्तावस्था और जाग्रतावस्था के संदर्भ में उनके प्रयोग और विश्लेषण बहुत चर्चित रहे हैं। उन्हीं के विचारों को संकलित करके लेखिका जीना सेर्मीनारा ने “मैनी मेन्शंस” (अनेक महल) नामक वृहत् पुस्तक की रचना की है।रा.स्व.संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख श्री हो.वे.शेषाद्रि ने इसी पुस्तक के महत्वपूर्ण अंशों के आधार पर एक लेखमाला तैयार की है- एडगर केसी: अनेक महल। यहां प्रस्तुत है उस लेखमाला की तीसरी कड़ी। सं.स्वयं केसी ने पुनर्जन्म, कर्म जैसे विचारों को न कभी सुना, न उन पर विश्वास किया। इतना ही नहीं-उसकी धारणा थी कि ये सिद्धान्त ईसाई मत के खिलाफ हैं। इसलिए सुप्तावस्था में कही गई बातों के बारे में जब उसने जाग्रतावस्था में सुना तो घबरा गया। वह इस संशय में रहा कि उसने ईसा मसीह के उपदेशों से अलग तो कुछ नहीं कह दिया? लेकिन ल्यामर्स ने ईसा मसीह के उपदेशों में पुनर्जन्म की ध्वनि कहां-कहां सुनाई देती है- यह समझाकर शंका का समाधान कर दिया।सात्विक प्रेरणा का सुफल-छोटी आयु में ही दूसरों के दु:ख से केसी का मन द्रवित हो जाता था। “मेरे सुप्त सामथ्र्य के प्रयोगों से लोगों का दु:ख-दर्द कम करना तथा मनुष्य जीवन की संकीर्ण समस्याओं का ठीक विश्लेषण करना संभव है और उसके प्रकाश में लोगों को अधिक सुख और समाधान प्राप्त करना सहज साध्य है”- यह बात केसी की समझ में आने पर उसके हृदय को शांति मिली।पिछले जन्म के वृतान्तों को कितने अचूक ढंग से केसी बताता था, इसका एक प्रसंग है- “अमरीका के वर्जीनिया प्रान्त के इस निवासी का नाम पिछले जन्म में बार्नेल सीय था। वहां के आंतरिक युद्ध के समय वह दक्षिण भाग में सैनिक था। उसके बारे में जानकारी उस गांव से प्राप्त हो सकती है।” उत्सुकतावश वह व्यक्ति उस गांव में पहुंचा। वहां के सब दस्तावेज वर्जीनिया के इतिहास विभाग के ग्रंथालय में स्थानांतरित किए गए हैं- ऐसा उस गांव के बाबू ने बतलाया। उस ग्रंथालय के पुराने दस्तावेजों में केसी द्वारा वर्णन किए हुए व्यक्ति का नाम व काम-धंधे का विवरण प्राप्त होने पर उस व्यक्ति के आश्चर्य का ठिकाना न रहा।केसी ने अपनी पत्नी, बच्चे तथा आशुलिपिक गार्ती के पुनर्जन्म का भी वर्णन किया था। साथ ही अपने बारे में भी जानकारी दी। सदियों पहले इजिप्त में वह एक धर्मोपदेशक था, कुछ सिद्धियां भी प्राप्त की थीं, लेकिन स्वेच्छाचार की वजह से उन्हें खो दिया। अगले जन्म में वैद्य बनकर युद्धभूमि में घायल होना, पीड़ा न सहकर अपनी इच्छाशक्ति से देह त्यागना आदि वर्णन केसी ने किया है। उसने कहा इस जन्म में अपने शरीर की परिधि से मन को मुक्त कराने के सामथ्र्य का यही कारण है।हिन्दू चिंतन का प्रतिबिम्ब-एक दिन केसी से पूछा गया, “इस जानकारी के मिलने का मूल स्रोत क्या है?” तब वह सुप्तावस्था में बोला, “एक स्रोत है मनुष्य का सुप्त मन; उसमें इस जन्म की ही नहीं पिछले जन्मों की यादें भी भरी रहती हैं।” दूसरा है, “आकाश मुद्रिकाएं।” यह दूसरा शब्द केसी को मालूम नहीं था। उसका क्या अर्थ है- उसने सुप्तावस्था में कहा “आकाश” संस्कृत शब्द है। वह विश्व सृष्टि की एक मूलधातु है। सृष्टि के आरंभ से ही प्रत्येक शब्द, प्रकाश, चलन, चिन्तन की मुद्राएं आकाश में अंकित हैं। वह प्रकृति की सर्वव्यापक स्मृति है।” आकाश के विषय में मूल हिन्दू-संकल्पना ही उसने बतायी है।केसी के उद्गारों में बार-बार सुनाई देने वाला एक प्रमुख शब्द है “कर्म”। यह शब्द केसी ने पहले कभी सुना ही नहीं था। उसका सामान्य अर्थ है; “क्रिया”। लेकिन हिन्दू तत्वशास्त्र में “कार्य-कारण तत्व” अथवा “क्रिया-प्रतिक्रिया सिद्धान्त”। इस कर्म सिद्धान्त से हर जीव प्रतिबद्ध रहता है। हम जो करते हैं उसी का फल भोगते हैं।विधिवाद क्या है?”कर्म” के बारे में कई प्रकार के भ्रम और आक्षेप हैं। “यह मेरा कर्म है” ऐसा कहने पर यह विधि का क्रूर नियम है, उससे छुटकारा पाने का कोई मार्ग नहीं है; इसलिए वह मनुष्य को नियति का शरणागत बनाता है। मनुष्य के स्वातंत्र्य को, पुरुषार्थ को कोई स्थान नहीं है-यही है एक प्रमुख आक्षेप। इसका बहुत अच्छा समाधान देता है केसी का कथन, “कर्म” का नियम केवल भौतिक स्तर की क्रिया-प्रतिक्रिया का नहीं, बदला लेना अथवा सजा देना नहीं, बल्कि उसका हेतु है मनुष्य का शिक्षण एवं सुधार करना।”केसी के बताए जीवन कथनों का महत्व इसी में है। इस जन्म के दु:ख, दैन्य, कष्ट, संकटों के लिए पिछले जन्म के विशिष्ट प्रकार के बर्ताव ही कारण हैं-इस बात को प्रभावी ढंग से उजागर कर कर्म के सही रूप को उसके कथन दर्शाते हैं। इस दिशा में अनेक प्रकार के उदाहरण मिलते हैं।(जारी)NEWS
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