आख्यान
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

आख्यान

by
Jun 3, 2005, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 03 Jun 2005 00:00:00

नरेन्द्र कोहलीसंसार और ईश्वरमहेन्द्र गुप्त प्रात: काफी जल्दी आ गए। उन्होंने झांककर ठाकुर के कमरे में देखा, ठाकुर शायद नाम-जाप कर रहे थे। नरेन्द्र (स्वामी विवेकानन्द का बचपन का नाम) भी आंखें बंद किए हुए एक ओर बैठा था। महेन्द्र ने हाथ जोड़कर ठाकुर को प्रणाम किया और नरेन्द्र को बाहर आने का संकेत किया।नरेन्द्र की आंखें खुल गईं। वह ध्यान नहीं कर रहा था, आंखें बंद कर कुछ विचार कर रहा था। उसने महेन्द्र को देखा और उठकर बाहर आ गया।”क्या बात है मास्टर महाशय! कुछ चिंतित लग रहे हैं!” नरेन्द्र ने कहा।”हां, बात तो चिंता की ही है।” महेंद्र गुप्त ने कहा, “कल मैं विद्यासागर महाशय से मिला था- स्कूल से तुम्हारी छुट्टी के संदर्भ में।””तो?”उन्होंने पूछा-“कितने दिन की छुट्टी चाहिए?””मैंने लिख तो दिया था- अनिश्चित काल के लिए। जब तक ठाकुर स्वस्थ नहीं हो जाते।”नरेन्द्र बोला, “मैं दिनों में गिनकर समय कैसे बता सकता हूं?””मैंने भी उनसे यही कहा था।” महेंद्र गुप्त बोले।”तो क्या कहा उन्होंने?””उन्होंने कहा कि नरेन्द्र बहुत महान कार्य कर रहा है। ठाकुर की सेवा बहुत आवश्यक है, किन्तु अध्यापक के लिए विद्यालय ही उसका मंदिर है। पढ़ाना उसकी उपासना है, और अपने विद्यार्थियों के विकास का सतत प्रयत्न उसका धर्म है।” महेंद्र गुप्त ने बताया, “उन्होंने कहा कि ठाकुर के रोग की अवधि निश्चित नहीं है और वे अनिश्चित काल के लिए विद्यार्थियों की पढ़ाई के प्रति उदासीन नहीं रह सकते। नरेन्द्र को विद्यार्थियों की सेवा पहले करनी चाहिए, ठाकुर की बाद में।””आप जानते हैं, मैं यह नहीं कर सकता।” नरेन्द्र अत्यंत सहज भाव से बोला।”मैंने भी उनसे यही कहा था।” महेंद्र गुप्त ने उत्तर दिया, “तो उन्होंने कहा, कि यदि यह स्थिति है तो नरेन्द्र को चाहिए कि नौकरी से त्यागपत्र दे दे, उसे इस प्रकार छुट्टी नहीं मिल सकती।””तो आप त्यागपत्र लेते जाइए।” नरेन्द्र अत्यंत शांत स्वर में बोला, “मुझे ऐसी नौकरी नहीं करनी है।””क्या तुम विद्यासागर महाशय से इस विषय में बात करना नहीं चाहोगे?””इसमें बात क्या करनी है और अनुनय-विनय भी क्या करनी है।” नरेन्द्र तनिक भी अस्थिर दिखाई नहीं दे रहा था, “विद्यासागर महाशय कुछ अनुचित तो कह नहीं रहे। इस समय अपने विद्यार्थियों का विकास ही उनके जीवन का चरम लक्ष्य है और मेरे लिए गुरु की सेवा।” नरेन्द्र रुका, “वे अपने धर्म का निर्वाह कर रहे हैं और मैं अपने धर्म का।””पर तुम्हारा परिवार?” महेन्द्र गुप्त पर्याप्त चिंतित दिखाई दे रहे थे।”अपने संसार को देखूं या अपने ईश्वर को?” नरेन्द्र हंसा, “मैं बहुत पहले से जानता हूं कि मेरा जन्म नौकरी करने अथवा चांपातला के मैट्रोपोलिटन इंस्टिटूशन के छात्रों को पढ़ाने के लिए नहीं हुआ है।”शशि प्राय: भागता हुआ आया, “नरेन! नरेन! मैंने सुना है कि तुम कल सुबह से यहीं हो। रात को भी यहीं रहे। न स्कूल गए, न घर। न पढ़ने, पढ़ाने। मुझे क्यों नहीं बताया?””क्या नहीं बताया?” नरेन्द्र हंसा।”मेरा तात्पर्य है कि” शशि कुछ अटका, “मैं भी ठाकुर की सेवा के लिए यहां रहना चाहता हूं।””तुम्हारे माता-पिता मान जाएंगे?” नरेन्द्र ने पूछा।”तुम क्या अपनी माता की अनुमति से यहां रह रहे हो?” शशि ने जैसे उस पर प्रहार किया।”तुम जानते हो, मैं आरंभ से ही परम स्वतंत्र हूं।” नरेन्द्र मुस्कराकर बोला, “मैं तो परंपरागत आदर्श पुत्र कभी भी नहीं रहा। अपनी जीवन-पद्धति के संदर्भ में न मैं उनकी अनुमति पर निर्भर रहा, न मैंने उनकी आज्ञाओं का पालन किया।”…जारी (पाक्षिक स्तम्भ)NEWS

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

बच्चों में अस्थमा बढ़ा सकते हैं ऊनी कंबल, अध्ययन में खुलासा

हमले में मारी गई एक युवती के शव को लगभग नग्न करके गाड़ी में पीछे डालकर गाजा में जिस प्रकार प्रदर्शित किया जा रहा था और जिस प्रकार वहां के इस्लामवादी उस शव पर थूक रहे थे, उसने दुनिया को जिहादियों की पाशविकता की एक झलक मात्र दिखाई थी  (File Photo)

‘7 अक्तूबर को इस्राएली महिलाओं के शवों तक से बलात्कार किया इस्लामी हमासियों ने’, ‘द टाइम्स’ की हैरान करने वाली रिपोर्ट

राजस्थान में भारतीय वायुसेना का Jaguar फाइटर प्लेन क्रैश

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies