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सम्पादकीय

by
Mar 4, 2005, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 04 Mar 2005 00:00:00

अनाथालय खोलने की अपेक्षा अपने समाज में कोई अनाथ ही न बन पाए, ऐसा प्रयत्न करना कितना अधिक अच्छा होगा।-माधव सदाशिव गोलवलकर(श्री गुरुजी समग्र दर्शन, खण्ड 6, पृ. 7)अमरीकी राजदूत की धमकी औरभारत की शर्म में सेकुलर उल्लास का अर्थभारत का सत्ता केन्द्र वाशिंगटन नहीं हो सकताआमिर खान की साम्प्रदायिकतापहले अमरीका ने भारत के एक प्रमुख राज्य के मुख्यमंत्री को वीसा देना अस्वीकार किया। उसके बाद अमरीकी राजदूत ने भारत को धमकी दी कि अगर उसने महिलाओं और बच्चों के भारत से होने वाले तथाकथित व्यापार के बारे में अमरीका के लिए संतोषजनक सख्त कानून नहीं बनाया, तो वह भारत के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबंध लगाने के लिए “मजबूर” हो जाएगा। सौ करोड़ की जनसंख्या वाले भारत को यह उस देश का राजदूत बता रहा है जहां महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध सबसे घृणित और भयंकर अपराध होते हैं। जहां के समाज की सबसे बड़ी समस्याओं में बच्चों का अपने ही आस-पास के घिनौने यौन हमलावरों के हाथों शील बचाना तथा 11-12 साल तक की बच्चियों का मां बनना है। अमरीका में कोई रिश्ता सुरक्षित नहीं रह गया है तथा वहां के अनेक वरिष्ठ तथा महत्वपूर्ण पादरी यौन अपराधों में पकड़े गए हैं। तो क्या विश्व के सभी सभ्यता-पसंद देशों को अमरीका को यह चेतावनी नहीं दे देनी चाहिए कि जब तक वह अपने देश में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के बारे में सन्तोषजनक कानून नहीं बनाता तब तक सभी देश मिलकर अमरीका के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबंध लगाएंगे? सभी देश क्या, अकेला भारत ही अगर स्वयं आगे बढ़कर अमरीकी दादागिरी के विरोध में अमरीका से राजनीतिक सम्बंधों का स्तर घटाने की चेतावनी दे तो भी अमरीका का अंधा घमंड ठिठकाया जा सकता है।पर सवाल तो यह है कि क्या भारत में ऐसी स्वाभिमानी सरकार है, जो यह साहस दिखा पाएगी? इसके विपरीत समाचार है कि केन्द्रीय गृहमंत्री श्री शिवराज पाटिल ने अमरीकी राजदूत की धमकी के मद्देनजर अधिकारियों की एक बैठक बुलाई है, जिसमें भारत के कानूनों में अमरीकी आपत्तियों के अनुसार परिवर्तन किए जाने के बारे में कदम उठाए जाएंगे।उधर यद्यपि लन्दन ने श्री मोदी को वीसा दे दिया था, परन्तु प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री की सलाह पर श्री मोदी ने अपनी यात्रा रद्द कर दी है। इस यात्रा से पहले ही ब्रिटेन के जिहादी तथा ईसाई संगठनों ने विरोध में शोर मचाना शुरू कर दिया था तथा ब्रिटिश सरकार से मांग की थी कि अगर श्री नरेन्द्र मोदी लन्दन आते हैं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाए। ऐसे मीर जाफरों के होते हुए भारत को भला किसी अन्य प्रकार के शत्रु की क्या आवश्यकता है? डा. मनमोहन सिंह ने मोदी वीसा प्रकरण में उचित कदम उठाया तो उसके विरोध में उन फिल्म अभिनेताओं आमिर खान और दिलीप कुमार की ओर से बयान आया है जो मुख्यत: किसी भी भेदभाव या पूर्वाग्रह से परे हिन्दू दर्शकों की सद्भावना, समर्थन और सराहना के बल पर सातवें आसमान पर तैरते हैं। आमिर खान तो पिछली राजग सरकार के कई नेताओं की आंखों का तारा और दिलों का महबूब भी रहा है। उस आमिर खान को हिन्दुओं के प्रति साम्प्रदायिक नफरत से भरे बयान में शामिल होने की क्या जरूरत थी? जरूरत शायद इसलिए थी कि आमिर हिन्दू संवेदनाओं को ठोकर मारते हुए अपना असली साम्प्रदायिक भारत- निरपेक्ष रंग दिखाना चाहता था।ये भारत और भारतीयता के समर्थकों हेतु विजय पथ के कठिन संघर्ष वाले दिन हैं। भारतीयता विरोधियों को अपनी हार जितनी नजदीक दिख रही है उतना ही वे अपनी लड़ाई को तीखा, विषैला और तिक्त बना रहे हैं।NEWS

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