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लालटेन युग में गांवडा.रवीन्द्र अग्रवालकागजों में तो उत्तर प्रदेश में महराजगंज जिले के बलकीखोर गांव का पूर्ण विद्युतीकरण तीन वर्ष पूर्व ही हो गया था, परन्तु गांव का एक हिस्सा ऐसा भी है जहां के लोग आज भी लालटेन युग में जीने को मजबूर हैं। इसे संयोग कहें या सुनियोजित चाल कि वंचित और दलित कहा जाने वाला वर्ग गांव के जिस हिस्से में रहता है, वही हिस्सा बिजली से वंचित है। गांव के जिस भाग में ग्राम प्रधान का घर है, वह हिस्सा बिजली की रोशनी से जगमगाता रहता है।ऐसा नहीं कि बिजली से वंचित लोगों ने विद्युतीकरण के लिए मांग नहीं की अथवा वे अपने घरों में बिजली का “कनेक्शन” लेने के लिए तैयार न हों। वे पिछले तीन साल से लगातार विद्युतीकरण की मांग कर रहे हैं, परन्तु विद्युत विभाग के अधिकारी हैं कि कोई न कोई बहाना बनाकर गांव के इस टोले को बिजली से वंचित रखने पर आमादा हैं। पहले कहा गया कि बिजली के खम्भे खत्म हो गए इसलिए इस टोले का विद्युतीकरण नहीं हो पाया। विभाग के अधिकारियों ने कहा कि जैसे ही बिजली के खम्भे आ जाएंगे, विद्युतीकरण पूर्ण कर दिया जाएगा। दूसरी तरफ विद्युतीकरण का लक्ष्य पूरा करने के लिए कागजों में गांव का “पूर्ण विद्युतीकरण” दिखा दिया।गांव वाले कुछ दिन तक तो विद्युत विभाग के अधिकारियों के आश्वासनों पर भरोसा करते रहे परन्तु जब एक साल से ज्यादा बीत गया तो वे फिर विद्युत विभाग के “दफ्तर” गए। इस बार उन्हें कहा गया कि बिजली के खम्भे तो आ गए हैं परन्तु ट्रक नहीं है। ऐसे में गांव तक खम्भे जाएं कैसे? गांव वालों ने इस समस्या का समाधान ढूंढ निकाला। वे इस खम्भों को अपने ट्रैक्टर-ट्राली पर लादकर गांव तक ले आए। फिर डेढ़ साल हो गया, गांव में खम्भे आए हुए, परन्तु विद्युत विभाग के अधिकारियों के आश्वासन हैं कि पूरे होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। अर्थात गांव का पूर्ण विद्युतीकरण अधिकारियों की इच्छा पर निर्भर है। यह बात अलग है कि इस दौरान वंचितों और दलितों की मसीहा कही जाने वाली मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और वर्तमान मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की घोषणाएं कर रहे हैं। परन्तु कोई कुछ भी कहे वंचितों को बिजली तभी मिलेगी और उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश तभी बनेगा जब प्रदेश के अधिकारी ऐसा चाहेंगे।34
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