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अन्य खेलों पर क्रिकेट का लकवादीनानाथ मिश्रएथेन्स के ओलम्पिक खेल खत्म हो गए। जिन्हें पदक मिलने थे, मिल गए। पिछली बार की तरह सर्वाधिक पदक अमरीका को मिले-102। पहले से तीन क्रम पर सबसे ज्यादा अमरीका, चीन और रूस की पदक संख्या रही। सौभाग्य से ये तीनों देश क्रिकेट की बीमारी से ग्रस्त नहीं हैं। दस या दस से ज्यादा पदक पाने वाले देशों में क्रमागत रूप से आस्ट्रेलिया, जापान, जर्मनी, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, इटली, ब्रिटेन, क्यूबा, हंगरी, रोमानिया, यूनान, नार्वे, नीदरलैण्ड, स्पेन, कनाडा, तुर्की, पोलैण्ड, बेलारूस और बुल्गारिया हैं। इनमें से केवल ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया को ही क्रिकेट की बीमारी है। लेकिन ब्रिटेन में क्रिकेट के अलावा फुलबाल भी उतना ही लोकप्रिय है, जितना क्रिकेट। आस्ट्रेलिया भी क्रिकेट का दीवाना नहीं है, यह तो उसकी चौथे क्रम की पदक तालिका ही बताती है। क्रिकेट की दीवानगी भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी कहीं नहीं है। श्रीलंका और पाकिस्तान के नाम एक भी पदक नहीं है।भारत ने क्रिकेट की महामारी के बावजूद एक रजत पदक लिया। राज्यवर्धन राठौर बधाई के पात्र हैं। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि वह इस महामारी के बावजूद पदक लाए। क्रिकेट के कारण भारत के अन्य खेल लकवाग्रस्त हो गए हैं। क्रिकेट को अरबों रुपए के प्रायोजक मिलते हैं। टेस्ट क्रिकेट खिलाड़ी मालामाल होते हैं। भारत में जब बच्चा पैदा होता है, साल दो साल में ही प्लास्टिक का बल्ला और गेंद लाकर माता-पिता उसका संस्कार करते हैं। वह जब सात-आठ साल का होता है तो क्रिकेट के असली-नकली बल्ले से गेंद पर सटाका लगाकर आस-पास के घरों के शीशे तोड़ने लग जाता है।ऐसे ही क्रिकेटेरिया से ग्रस्त दस-बारह देश हैं। यह बारहमासी खेल है। कहीं न कहीं, कोई न कोई क्रिकेट मैच चल ही रहा होता है। क्रिकेट की एक बड़ी ताकत “कमेंट्री” होती है। क्रिकेट का एक इतिहास और शास्त्र विकसित हो गया है। कमेंट्री खेल से ज्यादा मजा दे जाती है। क्रिकेट मनोरंजन भी बन जाता है। जब कोई खेल मनोरंजन बन जाए तो उनके साथ ही वह बड़ा उद्योग व्यापार बन जाता है। क्रिकेट का खिलाड़ी “हीरो” बन जाता है। लड़कियां उस पर जान छिड़कती हैं। कई अभिनेत्रियां उससे शादी भी कर लेती हैं। मुझे लगता है कि इस बार क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष का चुनाव भारत के राष्ट्रपति पद के चुनाव से अखबारों का कम कागज नहीं खाएगा। क्रिकेट की बीमारी का इससे अंदाज लगा सकते हैं कि “लगान” जैसी फिल्म क्रिकेट कथा पर बनी और चली। यह निकम्मा खेल खिलाड़ियों को तो निकम्मा बनाता है। चार-छह लोग खेलते दिखते हैं और दर्शकों सहित सब खिलाड़ी निकम्मे बैठे रहते हैं। इतना होता तो बर्दाश्त किया जा सकता था। क्रिकेट सारे देश की महत्वपूर्ण आबादी को साल में कम से कम साठ दिन निकम्मा बनाए रखता है। लोग आफिस का काम-काज छोड़कर क्रिकेटलीन हो जाते हैं। इस बीमारी का प्रकोप इतना भयानक है कि बड़े-बड़े मान्य नेता क्रिकेट की शब्दावली का उपयोग टिप्पणी के लिए करते हैं। असल में क्रिकेट थकाने वाला खेल तो है ही नहीं। चाहें तो पांच दिन तक लगातार टकर-टकर खेलते रहिए। कोई फुटबाल, हाकी, टेनिस, बेडमिन्टन जैसा खेल एक घंटा खेलकर देखे, पसीने से लथपथ हो जाएगा।कपिलदेव भारत के गौरवशाली क्रिकेटर हैं। हरियाणवी काया के धनी हैं। अपनी क्रिकेट सफलताओं के बाद उनके मन में आया कि क्यों न फुटबाल में भी अपना सिक्का जमाया जाए। उन्होंने इच्छा व्यक्त की। कोलकाता के मोहन बागान ने बुला लिया। दो-तीन दिन फुटबाल खेलने के बाद ऐसे भागे कि लौटकर नहीं गए। क्रिकेट तो नाजुक रईसजादों का खेल है। खेलकूद की दुनिया बिल्कुल अलग होती है। क्रिकेट खिलाड़ियों की दुनिया से कहीं ज्यादा जद्दोजहद करने वाली। चीन पदक तालिका में दूसरे नम्बर का देश है। अगला ओलम्पिक बीजिंग में होने वाला है। उसकी कोशिश पदक तालिका में अमरीका को पछाड़ने की है। अगर वह सफल हो जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। भारत और चीन आबादी में करीब-करीब बराबर के देश हैं। भारत भी बीजिंग ओलम्पिक में हिस्सा लेगा। इस बार राठौर चूक जाते तो पदक तालिका में हमारा नाम नहीं होता। अगर क्रिकेट कृपा बनी रही तो मैं केवल यही प्रार्थना करूंगा कि भारत का नाम पदक तालिका में इस बार की तरह अनजान देश इरीट्रिया की तरह कांस्य पदक वाले देश के रूप में जरूर हो।36
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