अध्यक्षीय प्रणाली से होगा<p style=font-weight:bold;
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

अध्यक्षीय प्रणाली से होगा<p style=font-weight:bold;

by
Dec 12, 2004, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 12 Dec 2004 00:00:00

अध्यक्षीय प्रणाली से होगा

विकास भी, आम आदमी की भलाई भी

देश में संसदीय प्रणाली के स्थान पर अध्यक्षीय प्रणाली लाए जाने का सुझाव दे रहे हैं हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल

भारत को स्वतंत्र हुए 57 वर्ष से अधिक हो गए हैं। किसी भी राष्ट्र के जीवन में आधी सदी से अधिक का समय उस राष्ट्र की सफलताओं-असफलताओं के मूल्यांकन के लिए पर्याप्त होता है। अब समय आ गया है कि भारत सिंहावलोकन करे कि इस कालखण्ड में उसने क्या खोया और क्या पाया? राष्ट्र ने जो नीतियां अपनाई थीं, जो मानदण्ड तय किए थे, जो शासन की पद्धति अपनाई थी, वह कहां तक समय की परीक्षा पर खरे उतरे हैं? जो उद्देश्य संविधान निर्माताओं ने राष्ट्र के सामने रखे थे, उन्हें प्राप्त करने में हम कहां तक सफल हुए और कहां असफल रहे?

समय और परिस्थितियों के अनुसार भारत के संविधान में अनेक संशोधन भी किए गए। इनमें से कई संशोधन समय की आवश्यकता के अनुसार हुए, कई राजनीतिक परिस्थितियों के परिणामस्वरूप और कई राजनीतिक स्वार्थ के कारण हुए। हमने शासन की संसदीय प्रणाली को चुना था, जिसके अनुसार राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, राज्यपाल के पदों का प्रावधान तो है, पर सभी महत्वपूर्ण शक्तियां प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल तथा राज्यों में मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमण्डल में निहित हैं।

अनुभव यह बताता है कि राजनीति और राजनीतिक क्षेत्र तथा प्रशासन की अधिकांश विकृतियों का कारण संसदीय प्रणाली में संख्या बल का महत्व है। इस दबाव के कारण प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्रियों को अनेक सिद्धान्तों और नीतियों पर अपनी सत्ता बचाने के लिए कई समझौते करने पड़ते हैं।

भारी-भरकम मंत्रिमंडल के कारण फैलने वाले भ्रष्टाचार और सरकारी कोष पर पड़ने वाले भारी आर्थिक बोझ को समाप्त करने के लिए संविधान में संशोधन भी किया गया और मंत्रियों को कम करने का कानून भी बना। परन्तु स्वयं मुख्यमंत्रियों ने ही इस कानून की धज्जियां उड़ाने के लिए अनेक चोर दरवाजे निकाले और इसे अप्रभावी बना दिया। ऐसा करना उनकी राजनीतिक मजबूरी की अपेक्षा उनकी राजनीतिक बेईमानी है।

संसदीय प्रणाली पर पुनर्विचार का दूसरा कारण है, वर्तमान केन्द्र सरकार द्वारा राज्यपाल के पद का अवमूल्यन, उसका राजनीतिकरण और ताश के पत्तों की तरह उनको पद से हटाकर पद की गरिमा को मिट्टी में मिलाना है। केन्द्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल के माध्यम से राज्यपाल को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से भी कम महत्व दिया गया। श्री पाटिल ने राज्यपालों की गरिमा को तो कम किया ही, स्वयं केन्द्रीय गृहमंत्री के पद को भी अपमानित कर दिया।

इसलिए अब राष्ट्र को गंभीरता से संसदीय प्रणाली की अपेक्षा अध्यक्षीय शासन प्रणाली को अपनाने पर विचार करना चाहिए और इसके लिए संविधान में आवश्यक संशोधन भी कर लेना चाहिए। केन्द्र और प्रदेश में अध्यक्षीय प्रणाली का शासन होने पर जहां प्रशासन और शासन की व्यवस्था सुधरेगी, वहीं प्रशासन का मुखिया सीधे तौर पर जनता के प्रति उत्तरदायी होगा, राजनीतिक भयादोहन समाप्त होगा, भारी-भरकम मंत्रिमंडलों का आर्थिक बोझ कोष पर नहीं पड़ेगा।

देश प्रमुख और प्रदेशों के प्रमुखों को मंत्रिमंडल में विशेषज्ञ लोगों को शामिल करने की छूट होगी और अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ शासन प्रमुख का सही सहयोग कर पाएंगे। न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका लोकतंत्र के ये तीनों स्तंभ, पत्रकारिता के चौथे स्तम्भ से मिलकर लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण पांचवें स्तंभ यानी साधारण नागरिक की सही सेवा कर सकेंगे। कार्यपालिका के कार्य में राजनीतिज्ञों का अनावश्यक हस्तक्षेप समाप्त होगा। सांसद और विधायक, कर्मचारियों और अधिकारियों के स्थानांतरणों में उलझने की अपेक्षा विधायी कार्यों में रुची लेकर अधिक रचनात्मक योगदान कर सकेंगे।

जब से पंचायत प्रधान और उप प्रधान के सीधे चुनाव का प्रावधान किया गया तब से पंचायतों में स्थिरता आई है, बार-बार अविश्वास प्रस्तावों से छुटकारा मिला है। हम यह समझते हैं कि नागरिक इसी प्रकार से पंचायत समिति के प्रमुख, जिला परिषद् के प्रमुख, प्रदेश के प्रमुख और राष्ट्र प्रमुख तक एक ही दिन मतदान करके विकास और जनसमस्याओं के समाधान की अपेक्षा रख सकता है और पंचायत से लेकर राष्ट्र तक राजनीतिक अस्थिरता को भी समाप्त किया जा सकता है। देशभर के बुद्धिजीवियों से अपेक्षा है कि वे इस सार्थक चर्चा को आगे बढ़ाएं ताकि इस देश को राजनीतिक अस्थिरता, भयादोहन और भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाई जा सके।

31

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies