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कही अनकही

by
Nov 7, 2004, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 07 Nov 2004 00:00:00

दीनानाथ मिश्रसरकार के ये हंकवारेकम्युनिस्ट पार्टियां और वामपंथी बुद्धिजीवी मनमोहन सिंह सरकार को हांकने में जुट गए हैं। माक्र्सवादी पार्टी के साप्ताहिक पीपुल्स डेमोक्रेसी के 20 जून के अंक में “सहामेट” के एक सम्मेलन की रपट छपी है। इसमें कहा गया है कि 1998 के पहले के इतिहास और सामाजिक विज्ञान की किताबों को तुरन्त लागू किया जाए। इसमें एक भी दिन की देरी नहीं की जाए। नौकरशाही के पद्धतिगत विलम्ब न होने दिया जाए। वामपंथी इतिहासकार इरफान हबीब ने कहा, राष्ट्रीय प्रशिक्षण एवं अनुसंधान परिषद् की मौजूदा पुस्तकें बच्चों के दिमाग में जहर घोल रही हैं। उन्होंने गलती से एक बात कह दी थी कि वह “डायन ताड़न” नहीं करेंगे। उन्होंने अर्जुन सिंह को सलाह दी कि वह लालू प्रसाद से कुछ शिक्षा लें, जिन्होंने एक आदेश से देश में रेलों और स्टेशनों पर कुल्हड़ राज्य कायम कर दिया। अब कैबिनेट में भी कुल्हड़ में चाय प्रकट होने लगी है।देश में प्रतिदिन एक करोड़ लोग रेल से यात्रा करते हैं। मेनका गांधी ने “आउटलुक” साप्ताहिक के अपने लेख में पूरा हिसाब- किताब करके बताया है कि कुल्हड़ों से खेती की जमीन किस तरह कम होती जाएगी। पहले ही ईंट भट्ठों के कारण लाखों एकड़ जमीन खेती लायक नहीं बची है। मगर माक्र्सवादी और वामपंथी बुद्धिजीवियों ने अर्जुन सिंह को आदेश दे डाला है कि वह लालू प्रसाद को आदर्श मानें। फटाफट विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, राष्ट्रीय शैक्षिक और अनुसंधान परिषद् जैसी तमाम संस्थाओं पर से भगवा रंग हटाएं। उन्होंने यह कहा नहीं है कि उस पर लाल रंग चढ़ाएं लेकिन वाजपेयी सरकार के समय ये बुद्धिजीवी बेरोजगार हो गए। स्वाभाविक रूप से रोजगार की तलाश में ही अर्जुन सिंह को हांकने की कोशिश कर रहे हैं।वैसे अर्जुन सिंह पिछली बार शिक्षा मंत्री थे, तब उन्होंने “सहामेट” को भारी-भरकम अनुदान दिया था। “सहामेट” इसी सरकारी पैसे से पिछले छह साल तक “साम्प्रदायिकता विरोधी” गतिविधियां चलाता रहा था। कोई ताज्जुब नहीं कि “सहामेट” का यह आयोजन भी उनके इशारे पर हुआ हो ताकि वह सरकार के बाकी लोगों को दबाव का बहाना बता सकें। इस सम्मेलन में नटवर सिंह को अमरीका भारत और इस्रायल की धुरी के लिए कोसा। मंत्रियों को कहा कि उन्हें गरीबों की सरकार होने में शर्म आती है। प्रभात पटनायक और राजीव धवन जैसे वामपंथी वक्ताओं ने साम्प्रदायिकता के खिलाफ जिहाद जारी रखने की पुरजोर वकालत की।मैं मानता हूं कि डा. मनमोहन सिंह की जो सरकार है, वह देश की अब तक की सर्वश्रेष्ठ सेकुलर सरकार है। भारत का विभाजन करने वाले राजनीतिक संगठन मुस्लिम लीग की केरल इकाई से राजनीतिक गठबंधन सबसे पहले कम्युनिस्ट पार्टियों ने ही किया था। तब स्व. ई.एम.एस. नम्बूदिरीपाद ने अल्पसंख्यक साम्प्रदायिकता और बहुसंख्यक साम्प्रदायिकता में भेद किया था। मुस्लिम लीग केरल में सरकार की साझेदार बन गई। बाद में कांग्रेस ने भी मुस्लिम लीग से समझौता करके चुनाव लड़ा। तब के कांग्रेस अध्यक्ष ने बयान देकर कहा कि केरल की मुस्लिम लीग साम्प्रदायिक नहीं है। तब से अब तक केरल में किसी न किसी मोर्चे के माध्यम से मुस्लिम लीग सरकार में होती है। मानमोहन सिंह की सरकार में पहली बार कोई मुस्लिम लीगी मंत्रिपरिषद् का सदस्य बना है। इसीलिए मैं मानता हूं कि यह सरकार सर्वश्रेष्ठ सेकुलर सरकार है। भारत विभाजन के पहले और विभाजन के बाद ऐसे ही सेकुलरवाद के कारण बीसियों लाख लोग मारे गए। करोड़ों को घर-बार और सम्पत्ति छोड़कर भागना पड़ा।भारत विभाजन एक सेकुलर कर्म था। इसीलिए कम्युनिस्टों ने इसमें मुस्लिम लीग की खासी सहायता की थी। तब से लेकर अब तक मुस्लिम साम्प्रदायिकता को गले लगाने की होड़ चल रही है। इसी गलबहियां का दूसरा नाम सेकुलरवाद है। कम्युनिस्ट पार्टियां और वामपंथी बुद्धिजीवी डंडा लेकर इस सरकार को हांकने में लगे हैं। अर्जुन सिंह जी को तो ये हंकवारे रास आते हैं। उम्मीद करनी चाहिए कि मनमोहन सिंह, पी. चिदम्बरम और नटवर सिंह जैसे मंत्रियों को भी रास आने लगेंगे। उम्मीद यह भी करनी चाहिए कि हंकवारों की सलाह पर लालू प्रसाद यादव का आदर्श वह अपने सामने रखेंगे।31

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