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पूर्व की भांति ही अंग्रेजी के जानकार और अंग्रेजी में रचे-पगे लोगों ने ही भाजपा का यह दृष्टि पत्र तैयार किया जिसका हिन्दी अनुवाद अनेक विसंगतियों, प्रूफ की अशुद्धियों तथा हिन्दी के मर्म की अनभिज्ञता से भरपूर रहा। ऐसा लगा मानो बात इण्डिया की कर रहे हैं लेकिन भारत वालों को दिलासा देने के लिए उन्हें कुछ टाफियां थमा दी गईं।33
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