श्रद्धाञ्जलि
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

श्रद्धाञ्जलि

by
Jan 8, 2004, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 08 Jan 2004 00:00:00

स्वामी कल्याण देव समाधिस्थनिष्काम कर्मयोगी-सूर्यप्रकाश अग्रवालउत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर से 26 किलोमीटर दूर गंगा नदी के पावन तट पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल शुक्रताल में तीन सदी के युगदृष्टा, पद्म भूषण श्री 1008 वीतराग स्वामी कल्याण देव ने गत 13 जुलाई की मध्यरात्रि इस लोक से गमन किया। वे 129 वर्ष के थे। संत परम्परा के अनुसार उन्हें 15 जुलाई, 2004 को प्रात: 9.00 बजे शुक्रताल में ही स्थित भागवत पीठ के निकट भू-समाधि दी गई। 129 वर्षीय स्वामी जी गत कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। 13 जुलाई, 2004 की रात्रि 11 बजे वे अपने प्रिय शिष्य ओमानन्द, भरत देव, हरिकांत शर्मा से संकेतों में कहने लगे कि मेरी गाड़ी तैयार है, मुझे बैठा दो। कुछ देर बाद उन्होंने हरिकान्त शर्मा एवं अन्य शिष्यों व सेवकों से शुक्रताल में अपनी कुटिया से वटवृक्ष एवं शुकदेव मंदिर की परिक्रमा कराने को कहा। जैसे ही यह परिक्रमा पूर्ण हुई और वे सब लोग स्वामी जी के साथ शुकदेव मन्दिर पर आये, उसी क्षण स्वामी जी रात्रि 12:20 बजे ब्राह्मलीन हो गये। स्वामी कल्याण देव जी उच्चकोटि के संत थे। स्वामी जी के सद्विचार किसी पोथी, पुराण व धर्मग्रन्थ से प्रेरित न होकर आचरण से निर्धारित होते थे। उनके परलोकगमन पर भारत माता मन्दिर, हरिद्वार के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरी जी ने कहा, “सामान्य जनों को व्यसन मुक्त कराकर साक्षर बनाने में स्वामी कल्याण देव का योगदान अद्वितीय है। जनपद मुजफ्फरनगर तथा उसके आस-पास के क्षेत्र में उनके द्वारा स्थापित विद्यालय, महाविद्यालय, कन्या विद्यालय, पालिटेक्नीक तथा आयुर्वेदिक कालेज शिक्षा के क्षेत्र में की गयी उनकी सेवाओं का स्मरण कराते रहेंगे।” स्वामी प्रकाशानन्द जी ने स्वामी कल्याण देव जी को उत्तर प्रदेश के गांधी की संज्ञा देते हुए कहा था कि ऐसे महापुरुष ही देश की सामाजिक सुरक्षा के लिए सहनशीलता, कर्मनिष्ठा तथा कर्तव्यपरायणता का पाठ पढ़ाते हैं।इस अनूठे संत, शिक्षा ऋषि एवं कर्मयोगी ने सन् 1876 में बागपत के गांव कोताना (कुछ लोग जनपद मुजफ्फरनगर के ग्राम मुण्डभर को स्वामी जी का जन्मस्थान मानते हैं) के एक धर्मपरायण परिवार में जन्म लिया था। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि उनका लालन-पालन मुजफ्फरनगर के गांव मुण्डभर में हुआ था। स्वामी जी के पिता का नाम फेरूदत्त जांगिड़ व माता का नाम भोई देवी था। उनका बचपन का नाम कालू राम था। कहा जाता है कि सन् 1890 में मुनि की रेती (ऋषिकेश) में गुरुदेव स्वामी पूर्णानन्द ने कालूराम को संन्यास की दीक्षा देकर स्वामी कल्याण देव नाम दिया। गुरुदेव की आज्ञा से इस युवा संन्यासी ने हिमालय की घाटियों में घोर तपस्या की तथा शास्त्रों का अध्ययन किया। स्वामी कल्याण देव जी ने एक बार गांव छोड़ा तो देवलोक गमन तक वे अपने गांव नहीं लौटे। सन् 1902 में राजस्थान के खेतड़ी नरेश के बागीचे में स्वामी विवेकानन्द से इस युवा संन्यासी की प्रथम भेंट हुई, जिसके बाद इनकी दिशा ही बदल गई। स्वामी विवेकानन्द से प्रेरणा प्राप्त कर स्वामी जी न केवल आध्यात्मिक जगत, बल्कि समाज सेवा में भी जुट गए। स्वामी विवेकानन्द से मुलाकात के बाद वे मानते थे कि भगवान के दर्शन गरीब की झोंपड़ी में ही होंगे। वे कहते थे कि भगवान के दो बेटे हैं, एक किसान व दूसरा मजदूर। और जब कोई व्यक्ति घर से प्रात:काल निकलता है तो उसे दो आवाजें सुनायी पड़ती हैं, एक आवाज मन्दिर के घण्टे की होती है तथा दूसरी आवाज दुखियों की। वे कहते थे कि तुम वे आवाजें सुनकर सर्वप्रथम दीन-दुखियों के पास जाकर अपनी सामथ्र्यनुसार उनका दु:ख दूर करो।स्वामी कल्याण देव को 1915 में साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी ने भी देश सेवा की प्रेरणा दी। स्वामी जी स्वाधीनता संग्राम के साथ-साथ ग्रामोत्थान के कार्यों में भी निरंतर जुटे रहे। सन् 1922 से 1926 तक स्वामी कल्याण देव ने लाल बहादुर शास्त्री, अलगू राय शास्त्री एवं गुलजारीलाल नन्दा के साथ रहकर हिन्दी प्रचार, खादी प्रचार तथा अछूतोद्धार के कार्यों में सहयोग दिया। स्वामी जी ने जीवनभर शिक्षा प्रचार, समाज कल्याण, स्वास्थ्य सेवा, कृषक सेवा, गोसेवा, संस्कृत सेवा, दलित, पिछड़ा, महिला एवं बाल कल्याण सेवा का कार्य किया। वीतराग, निष्काम कर्मयोगी स्वामी जी ने उत्तर भारत में 300 से अधिक शिक्षण संस्थाएं खड़ी करके गांव-गांव में शिक्षा का अलख जगाने का अभूतपूर्व कार्य किया है। सभी पुराणों में सर्वश्रेष्ठ श्रीमद्भागवत पुराण की उद्गमस्थली तथा महर्षि शुकदेव की तपस्थली पवित्र शुक्रताल का जीर्णोद्धार कर उसे सुन्दर तीर्थ का रूप प्रदान करने वाले इस अनूठे संत को श्री शुकदेव जी के अंश का अवतार की संज्ञा भी दी गई। स्वामी जी ने शुक्रताल तीर्थ के साथ-साथ जैन तीर्थ हस्तिनापुर के विकास में भी विशिष्ट योगदान दिया। सरलता और सादगी की प्रतिमूर्ति स्वामी जी का सान्निध्य एवं आशीर्वाद जिसको भी मिला, वह स्वयं को धन्य समझता था। उनका आशीर्वाद पाने वालों में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू, नीलम संजीव रेड्डी, इंदिरा गांधी, डा. शंकर दयाल शर्मा, गुलजारी लाल नन्दा, के.आर. नारायणन, अटल बिहारी वाजपेयी, आचार्य विष्णुकांत शास्त्री, लालकृष्ण आडवाणी तथा राज्यसभा के महासचिव योगन्द्र नारायण इत्यादि प्रमुख लोग हैं। स्वामी जी के भक्तों में प्रसिद्ध औद्योगिक घराने के गूजरमल मोदी भी शामिल रहे। कहा जाता है कि मोदी परिवार को आज तक यह बात अखरती रहती है कि स्वामी जी ने उनके महल का भेाजन न करके सदा गरीब की झोंपड़ी से प्राप्त भिक्षा को ही भोजन में शामिल किया।शाकाहार प्रवर्तक इस संत को सन् 1992 में पद्मश्री, 1993 में नन्दा नैतिक पुरस्कार, सन् 2000 में पद्म भूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। जम्मू-कश्मीर सरकार ने माता वैष्णो देवी के प्रबन्ध हेतु सरकारी बोर्ड में देश के संत समाज की ओर से उनको सदस्य नामित किया था। सन् 2002 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल आचार्य विष्णुकांत शास्त्री ने उन्हें साहित्य वारिधि (डी.लिट.) की मानद उपाधि से सम्मानित किया। (हिन्दुस्थान समाचार)ज्ञान गंगा के इस भागीरथ कर्मयोगी को पाञ्चजन्य परिवार की विनम्र श्रद्धाञ्जलि।13

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

यह युद्ध नहीं, राष्ट्र का आत्मसम्मान है! : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऑपरेशन सिंदूर को सराहा, देशवासियों से की बड़ी अपील

शाहिद खट्टर ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

मोदी का नाम लेने से कांपते हैं, पाक सांसद ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

ऑपरेशन सिंदूर पर बोले शशि थरूर– भारत दे रहा सही जवाब, पाकिस्तान बन चुका है आतंकी पनाहगार

ड्रोन हमले

पाकिस्तान ने किया सेना के आयुध भण्डार पर हमले का प्रयास, सेना ने किया नाकाम

रोहिंग्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब कुछ शेष नहीं: भारत इन्‍हें जल्‍द बाहर निकाले

Pahalgam terror attack

सांबा में पाकिस्तानी घुसपैठ की कोशिश नाकाम, बीएसएफ ने 7 आतंकियों को मार गिराया

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

यह युद्ध नहीं, राष्ट्र का आत्मसम्मान है! : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऑपरेशन सिंदूर को सराहा, देशवासियों से की बड़ी अपील

शाहिद खट्टर ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

मोदी का नाम लेने से कांपते हैं, पाक सांसद ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

ऑपरेशन सिंदूर पर बोले शशि थरूर– भारत दे रहा सही जवाब, पाकिस्तान बन चुका है आतंकी पनाहगार

ड्रोन हमले

पाकिस्तान ने किया सेना के आयुध भण्डार पर हमले का प्रयास, सेना ने किया नाकाम

रोहिंग्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब कुछ शेष नहीं: भारत इन्‍हें जल्‍द बाहर निकाले

Pahalgam terror attack

सांबा में पाकिस्तानी घुसपैठ की कोशिश नाकाम, बीएसएफ ने 7 आतंकियों को मार गिराया

S-400 Sudarshan Chakra

S-400: दुश्मनों से निपटने के लिए भारत का सुदर्शन चक्र ही काफी! एक बार में छोड़ता है 72 मिसाइल, पाक हुआ दंग

भारत में सिर्फ भारतीयों को रहने का अधिकार, रोहिंग्या मुसलमान वापस जाएं- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

शहबाज शरीफ

भारत से तनाव के बीच बुरी तरह फंसा पाकिस्तान, दो दिन में ही दुनिया के सामने फैलाया भीख का कटोरा

जनरल मुनीर को कथित तौर पर किसी अज्ञात स्थान पर रखा गया है

जिन्ना के देश का फौजी कमांडर ‘लापता’, उसे हिरासत में लेने की खबर ने मचाई अफरातफरी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies