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देश की सांस्कृतिक नीति बनेसंस्कार भारती, विदर्भ प्रांत का पहला कला साधक संगम गत 30 और 31 अक्तूबर को नागपुर, महाराष्ट्र में संपन्न हुआ। संपूर्ण प्रांत से कुल 350 कलाकारों ने इसमें भाग लिया।पुनर्निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्षडा. शैलेन्द्रनाथ श्रीवास्तव काअभिनंदन करती हुई संस्कारभारती की बहनें 30 अक्तूबर को प्रात:काल से ही विदर्भ प्रांत के विभिन्न स्थानों के कलासाधक नागपुर स्थित रेशिमबाग पहुंचने लगे थे। संस्कार भारती के पूर्व चित्रकला विधा प्रमुख और हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध निर्देशक श्री शांतिदवे ने भव्य चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में चित्र, काष्ठ शिल्प तथा विदर्भ की प्राचीन धरोहरों का प्रदर्शन किया गया था। वरोरा नामक स्थान से आए कलाकार श्री श्रीपाद पाटिल द्वारा थर्मोकोल से बनाए गए वाद्य, मूर्तियां और अन्य वस्तुएं विशेष आकर्षण का केन्द्र थे। इसी प्रकार यवतमाल के कलाकार श्री राजेश वनकर द्वारा रंगोली से बनाया गया डा. हेडगेवार का व्यक्तिचित्र एवं अन्य चित्रों ने भी सभी का मन मोह लिया। प्रांतीय कला साधक संगम के पश्चात् संस्कार भारती के अखिल भारतीय कला साधक संगम और सर्वसाधारण सभा की बैठक गत 1 एवं 2 नवम्बर को हुई। बैठक में तीन प्रस्ताव पारित किए गए। पहले प्रस्ताव में सरकार से देश की सांस्कृतिक नीति निर्धारित करने, दूसरे में जम्मू-कश्मीर की डोगरी भाषा को संविधान द्वारा मान्य भाषाओं की सूची में शामिल करने तथा तीसरे प्रस्ताव में असम के महापुरुष लाचिद् बड़फूकन पर दूरदर्शन धारावाहिक बनाने की मांग की गई है। इस अवसर परराष्ट्रीय अध्यक्ष का निर्वाचन भी संपन्न हुआ। पद्मश्री डा. शैलेंद्रनाथ श्रीवास्तव को पुन: सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। तत्पश्चात् उन्होंने नई राष्ट्रीय प्रबंधकारिणी की घोषणा की। संस्कार भारती के मार्गदर्शक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अ.भा. सह प्रचारक प्रमुख श्री सुरेशराव केतकर तथा संस्कार भारती के अन्य सभी शीर्ष अधिकारी बैठक में उपस्थित थे। द भानुप्रकाश शर्मा15
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