नरेन्द्र कोहली अंतिम आशा-4
May 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

नरेन्द्र कोहली अंतिम आशा-4

by
Feb 2, 2003, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 02 Feb 2003 00:00:00

वापसीकृपाचार्य? उन्हें तो किसी से द्वेष नहीं था। इतना रक्तपात देखकर भी कृपाचार्य का मन क्यों नहीं बदला? केवल अ·श्वत्थामा के कारण? … हां! वे अपने भागिनेय के ही साथ थे। … और अ·श्वत्थामा पांचालों का मित्र कभी हो नहीं सकता था। वह तो पांचालों का तब भी शत्रु था, जब यह युद्ध आरंभ नहीं हुआ था। आचार्य द्रोण तो हस्तिनापुर आए ही उस शत्रुता के कारण थे और अब तो धृष्टद्युम्न के हाथों द्रोण का मस्तक कट चुका था। अ·श्वत्थामा उन पांचालों के प्रति मध्यस्थ अथवा उदासीन कैसे हो सकता था।… वह इस विजय को पांडवों की नहीं, पांचालों की विजय मानेगा। इस राज्य को पांडवों का नहीं, पांचालों का राज्य मानेगा। इनमें से सब किसी न किसी के द्वेष के कारण रक्त-पिपासु दुर्योधन के साथ हैं। एक कृपाचार्य ही अपने प्रेम के कारण उधर हैं।…युधिष्ठिर के पास दूत आते रहे और सूचनाएं देते रहे। उनकी सैनिक टोलियां कहां-कहां घूम रही हैं, कहां-कहां घूम आई हैं; किंतु दुर्योधन और उसके साथियों का कहीं कोई चिह्न भी नहीं मिला था।…मुक्त कर दिए जाने पर संजय ने अपना कवच उतार दिया। शस्त्रास्त्र त्याग दिए; और रक्त से भीगा हुआ शरीर लेकर वह हस्तिनापुर की ओर चला गया।युयुत्सु भी आया था युधिष्ठिर के पास। वह हस्तिनापुर लौट जाना चाहता था, ताकि वहां बचे हुए लोगों की रक्षा कर सके। वह युधिष्ठिर से अनुमति लेने आया था। हस्तिनापुर में अब कोई शासन नहीं रह गया था। अराजकता फैल जाने का पूरा-पूरा भय था। युद्धभूमि से बच कर भाग आए, भगोड़े सैनिक लुटेरे भी बन सकते थे। हस्तिनापुर के अपने आरक्षी भी तो लूट-पाट कर सकते थे। अब हस्तिनापुर में कौन बैठा था, जो वहां की संपत्ति की रक्षा करता। शासन समाप्त हो जाने के कारण अन्य अनेक दुर्वृत्त भी अपराध की ओर प्रवृत्त हो सकते थे। हस्तिनापुर में युयुत्सु का रहना आवश्यक था। उसने यह भी बताया था कि कौरवों के शिविर में भयंकर आतंक था। वहां स्त्रियां थीं। धन था। उनकी रक्षा के लिए बच गए लोग असमर्थ थे। वे किसी के भी आक्रमण से शिविर की रक्षा नहीं कर सकते थे। रक्षकों ने कौरव स्त्रियों को साथ लेकर, नगर की ओर प्रस्थान की तैयारी कर ली थी; किंतु उन्हें भय था कि पांडव सैनिक इतनी सुविधा से उन्हें इस प्रकार निकल नहीं जाने देंगे। अपनी विजय के पश्चात् सैनिक अपना प्रतिशोध और पुरस्कार लूट के रूप में चाहता है।… स्त्रियां अपने पतियों, भाइयों और पुत्रों को स्मरण कर आत्र्तनाद कर रही थीं।… युयुत्सु ने दुर्योधन का भी समाचार दिया था। संजय ने उसे शिविर से लगभग एक कोस दूर, हाथ में गदा लिए हुए अकेले खड़ा देखा था। उसके शरीर पर बहुत सारे घाव थे। संजय को देखकर उसकी आंखों में अश्रु भर आए थे।… युयुत्सु ने बताया था कि संजय को कृपाचार्य अपने रथ पर कौरवों के शिविर तक ले आए थे। वे चिंतित थे कि दुर्योधन को यह सूचना शायद नहीं है कि वे, अश्वत्थामा और कृतवर्मा अभी जीवित हैं। यदि दुर्योधन उनको मिल जाता तो वे लोग मिल कर कुछ कर सकते थे।…एक-एक कर पांडवों की खोजी टोलियां भी शिविर में लौट आईं। सब ही थके हुए थे। व्यर्थ ही रातभर बाहर घूमना किसको प्रीतिकर लगता?… द्रौपदेय लौट आए थे, नकुल, सहदेव आ चुके थे, शिखंडी और धृष्टद्युम्न भी शिविर में आ गए थे। कृष्ण और अर्जुन भी कोई सूत्र नहीं लाए थे। और अंत में भीम भी लौट आया था। दुर्योधन के विषय में कोई सार्थक समाचार नहीं मिला था। संध्या समाप्त हो रही थी। रात्रि से पहले कुछ होना अब संभव नहीं लगता था। जो होगा, कल प्रात: ही होगा…(क्रमश:)7

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

CM Dhami Dol Ashram

मुख्यमंत्री धामी ने डोल आश्रम में श्री पीठम स्थापना महोत्सव में लिया हिस्सा, 1100 कन्याओं का किया पूजन

awami league ban in Bangladesh

बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग की गतिविधियां प्रतिबंधित: क्या इस्लामिक शासन की औपचारिक शुरुआत?

Posters in Pulvama for Pahalgam terrorist

पहलगाम आतंकी हमला: हमलावरों की सूचना देने पर 20 लाख रुपये का इनाम, पुलवामा में लगे पोस्टर

जैसलमेर में मार गिराया गया पाकिस्तानी ड्रोन

ऑपरेशन सिंदूर : थार का प्रबल प्रतिकार

अमृतसर में खेत में मिला मिसाइल का टुकड़ा

आपरेशन सिंदूर : हमले में संभला पंजाब

Uttarakhand MoU between army and pant university for milets

उत्तराखंड: सेना और पंत विश्व विद्यालय के बीच श्री अन्न को लेकर एमओयू

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

CM Dhami Dol Ashram

मुख्यमंत्री धामी ने डोल आश्रम में श्री पीठम स्थापना महोत्सव में लिया हिस्सा, 1100 कन्याओं का किया पूजन

awami league ban in Bangladesh

बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग की गतिविधियां प्रतिबंधित: क्या इस्लामिक शासन की औपचारिक शुरुआत?

Posters in Pulvama for Pahalgam terrorist

पहलगाम आतंकी हमला: हमलावरों की सूचना देने पर 20 लाख रुपये का इनाम, पुलवामा में लगे पोस्टर

जैसलमेर में मार गिराया गया पाकिस्तानी ड्रोन

ऑपरेशन सिंदूर : थार का प्रबल प्रतिकार

अमृतसर में खेत में मिला मिसाइल का टुकड़ा

आपरेशन सिंदूर : हमले में संभला पंजाब

Uttarakhand MoU between army and pant university for milets

उत्तराखंड: सेना और पंत विश्व विद्यालय के बीच श्री अन्न को लेकर एमओयू

Punjab liquor death case

पंजाब में नकली शराब का कहर, अब तक 14 लोगों की गई जान

Uttarakhand High level meeting by Chief secretory

उत्तराखण्ड आपदा प्रबंधन: साइबर वॉरफेयर और फेक न्यूज पर कड़ी निगरानी के निर्देश

Delhi journalist association

सीएम ने दिया NUJ और DJA को संकल्प पत्र में पत्रकारों के हित में किए वादे पूरे करने का भरोसा

Virat Kohli Anushka Sharma Pramanand Maharaj

संन्यास के बाद वृंदावन पहुंचे विराट कोहली और अनुष्का शर्मा: प्रेमानंद महाराज से मिले, भक्ति और धैर्य की सीख ली

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies