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1971 से भी अधिक अत्याचार हो रहे हैं-डा. सुजीत धरडा. सुजीत धर पश्चिम बंगाल रा.स्व. संघ के पूर्व प्रान्त संघचालक एवं सम्प्रति वि·श्व हिन्दू परिषद् के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। पूर्वी बंगाल, जो अब बंगलादेश कहलाता है, के हिन्दुओं से उनका गहन एवं सतत् सम्पर्क रहता है। बंगलादेश में हाल ही में हुए चुनावों के बाद वहां हिन्दुओं पर इतने गंभीर अत्याचार शुरू हो गए हैं, जो 1947 और 1971 के हिन्दू विरोधी हिंसा से भी भयंकर हैं। दु:खद बात यह है कि इस बारे में भारत का हिन्दू समाज पूरी तरह से बेखबर और अनजान-सा है। इस बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं डा. सुजीत धर, दग्ध हृदय के साथ।बंगलादेश में चुनावों से पहले ही हमें संकेत मिल रहे थे कि जमाते इस्लामी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही बेगम खालिदा की बी.एन.पी. कुछ भी करके जीतेगी। इन चुनावों में खालिदा जिया की बी.एन.पी., जनरल इरशाद की जातीय पार्टी, जमाते इस्लामी और इस्लामी मोर्चा, ये चारों तथा सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग मैदान में थी। अवामी लीग द्वारा पांच साल का शासन पूरा करने पर चुनाव कराने के लिए जो कामकाजी सरकार बनी, उसमें छांट-छांटकर भारत विरोधी तथा कट्टरपंथी लोगों को शामिल किया गया। इसमें सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रमुख होते हैं तथा मुख्य चुनाव आयुक्त भी शामिल रहते हैं। ढाका से मिल रहे समाचारों के अनुसार जो सरकार बनाई गई, उसे अवामी लीग के विपक्षी दलों द्वारा बेझिझक पैसा दिया गया। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार के प्रमुख को 50 करोड़ टका दिए जाने की खबरें हैं। नतीजा यह निकला कि भारी पैमाने पर धांधली हुई और जिन क्षेत्रों में अवामी लीग को भारी मत मिलने के आसार थे वहां भी चुनाव परिणामों में उसे भारी मतों से हारा हुआ दिखाया गया।खालिदा जिया के सत्ता में आते ही भारत विरोधी मुस्लिम कट्टरपंथियों ने हिन्दुओं पर हमले शुरू कर दिए। पिछले 23 दिनों से जो अत्याचार हो रहे हैं, वे तो 1971 में पाकिस्तानी फौजों ने भी नहीं किए थे। बहाना यह बनाया गया है कि यहां के हिन्दुओं ने अवामी लीग का साथ दिया। सच बात यह है कि अवामी लीग के कई मुस्लिम समर्थकों पर भी खालिदा के समर्थकों ने हमले किए हैं। वहां किस प्रकार के अत्याचार हुए हैं, भारत के निवासी या भारत की सरकार इसकी कल्पना भी नहीं कर सकती है। माता-पिता के सामने उनकी लड़कियों से बलात्कार किए गए, घर में घुसकर उसी घर की गाय को काटकर उस परिवार के लोगों को खाने को बाध्य किया गया। हमारे एक परिचित के रिश्तेदार की 17 वर्षीया लड़की को उठा लिया गया। वह सात दिन गायब रहने के बाद वापस पहुंची। किन्तु उसकी कुछ भी बताने जैसी स्थिति नहीं है। वहां के समाचार पत्रों में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों का उल्लेख है। जो घटनाएं मैं बता रहा हूं, वह भोरेरकंठ में छपी हैं। बंगलादेश में लगभग डेढ़ करोड़ हिन्दू हैं। किन्तु वहां हिन्दुओं के किसी भी संगठन को सक्रिय नहीं होने दिया गया है। वहां सिर्फ एक संगठन है-हिन्दू-बौद्ध-क्रिश्चियन एक्य परिषद्। अब तक भारत में सिलीगुड़ी से लेकर उत्तरी दिनाजपुर तक 25-30 हजार बंगलादेशी हिन्दू जान और इज्जत बचाने के लिए आ चुके हैं। सबसे दु:खद बात यह है कि बंगलादेश के हिन्दुओं के बारे में भारत से कोई नहीं बोल रहा है। भारत सरकार को भी जो करना चाहिए, वह उसका दसवां हिस्सा भी नहीं कर रही है।19
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