पंजाब विधानसभा चुनावों से ठीक पहले भाजपा के लिए खुशखबरी है। भाजपा ने एक बार फिर चंडीगढ़ मेयर पद पर कब्जा जमा लिया है। आम आदमी पार्टी (आआपा) के एक पार्षद का मत रद्द होने के कारण यह पद भाजपा के खाते में आया है। इससे चुनाव में सबसे अधिक सीटें जीत कर अहंकार में आई आआपा को आखिरी समय में जोरदार झटका लगा है। मेयर के चुनाव के बाद अब वरिष्ठ उप-मेयर और उप-मेयर पद के लिए चुनाव होगा।
आआपा ने अंजू कत्याल और भाजपा ने सरबजीत कौर को उम्मीदवार बनाया था। 11 बजे से सभी पार्षद मतदान के लिए नगर निगम पहुंच गए थे। चुनाव के लिए कुल 28 वोट पड़े। इनमें आआपा 14 और भाजपा के 13 पार्षदों ने वोट दिए, जबकि एक वोट सांसद किरण खेर का था। आआपा पार्षदों ने भाजपा सांसद किरण खेर के मतदान करने पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि मेयर पद के लिए चुनाव में सांसद को वोट देने का अधिकार नहीं है। इसके बाद पीठासीन अधिकारी महेश चंद्र सिद्धू ने कहा कि चंडीगढ़ की सांसद वोट दे सकती हैं। उन्होंने आआपा पार्षदों को लिखित अधिसूचना मुहैया कराने की बात भी कही। इसके बाद सबसे पहले किरण खेर ने ही वोट डाला।
इस तरह, मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद भाजपा और आआपा के उम्मीदवारों को 14-14 वोट मिले। लेकिन आआपा का एक बैलेट पेपर फट गया, इसलिए उसे रद्द कर दिया गया। इससे भाजपा को एक वोट से बढ़त मिल गई और सरबजीत कोर को मेयर घोषित करना पड़ा। इसके बाद आआपा पार्षदों ने फिर हंगामा किया। चंडीगढ़ के इतिहास में पहली बार मेयर चुनाव के बाद पार्षद आपस में झगड़ पड़े। चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद का आरोप है कि आआपा पार्षदों ने सदन की गरिमा को तार-तार किया। उन्होंने कमिश्नर की कुर्सी पर अपनी उम्मीदवार अंजू कत्याल को बैठा दिया। इसके बाद वहां गिलास और माइक भी तोड़ दिए। यही नहीं, जब भाजपा की सरबजीत कौर मेयर की कुर्सी पर बैठी तो आआपा पार्षदों ने अपने उम्मीदवार अंजू कत्याल को कमिश्नर की कुर्सी पर बैठा दिया।
इससे पहले, सुबह 11 बजे निगम कार्यालय में पार्षदों के अलावा अन्य किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं को प्रवेश नहीं दिया गया। आआपा के प्रदीप छाबड़ा को भी बाहर ही रोक दिया गया। वे मतदान प्रक्रिया देखना चाहते थे। इससे आआपा के नेता व कार्यकर्ता भड़क गए और निगम कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए।बता दें कि इस बार नगर निगम चुनाव में कुल 35 पार्षद हैं, जिनमें से आआपा के 14, भाजपा के 13, कांग्रेस के 7 और शिरोमणि अकाली दल का एक पार्षद है। लेकिन कांग्रेस और शिअद के पार्षद ने मतदान प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया। कांग्रेस के सातों पार्षद राजस्थान के जयपुर चले गए थे, इसलिए उन्होंने मतदान में भाग नहीं लिया। इसलिए मेयर चुनाव में कुल 28 वोट पड़े।
टिप्पणियाँ