पठानकोट में सैन्य शिविर के पास हुए ग्रेनेड विस्फोट को लेकर पुलिस कई कोणों पर काम कर रही है। इस मामले में पुलिस अभी तक किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच पाई है, लेकिन इसे आतंकी घटना मानने से भी इनकार नहीं कर रही है। देश के बंटवारे के बाद से ही पठानकोट संवेदनशील रहा है। यहां पाकिस्तान की शह पर रह-रह कर आतंकी वारदातों को अंजाम दिया जाता रहा है। इसलिए पुलिस और राज्यश की खुफिया इकाई आतंकी और पाकिस्तान गठजोड़ की संभावना पर भी जांच कर रही है। घटनास्थल से कुछ छर्रे बरामद हुए हैं, जिन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।
सोमवार को छावनी के पास विस्फोट से भले ही जानमाल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इससे कई आशंकाएं पैदा हुई हैं। जिस तरह से बाइक सवार दो संदिग्ध ग्रेनेड फेंक कर आराम से भागे, उससे सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं। वहीं, हमले के बाद पठानकोट सहित अमृतसर, तरनतारन और गुरदासपुर में हाई अलर्ट घोषित किया गया। जम्मू और हिमाचल प्रदेश के साथ लगती सीमाओं पर भी अतिरिक्त नाकाबंदी कर वाहनों की जांच की जा रही है। शुरुआती जांच में छावनी के त्रिवेणी गेट पर लगे दो सीसीटीवी फुटेज में बाइक सवारों को देखा गया है। इसके अलावा, पठानकोट-अमृतसर हाईवे से सटे गांव धोबड़ा में रेलवे फाटक के पास पुलिस ने फर्जी नंबर प्लेट वाली एक कार बरामद की है। इसे 28 अक्तूबर को गुरदासपुर से छीना गया था। आशंका जताई जा रही है कि ग्रेनेड से हमला करने वालों ने इसे इस्तेमाल किया हो।
पटाखों के शोर में नहीं सुना धमाका
पुलिस सूत्रों के अनुसार, घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर एक शादी समारोह में पटाखों और बैंड-बाजे के शोर में धमाके की आवाज सुनाई नहीं दी। उधर, बमियाल सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे गांव बरमाल जट्टां में दो संदिग्धों को देखे जाने की सूचना के बाद सेना और पुलिस ने संयुक्त तलाशी अभियान चलाया। ड्रोन की भी मदद ली गई, लेकिन कुछ नहीं मिला। बरमाल जट्टां अति संवेदनशील क्षेत्र में शामिल है। यहां पाकिस्तान की ओर से कई बार घुसपैठ के प्रयास हो चुके हैं। पांच साल पहले जनवरी 2016 में पठानकोट वायुसेना हवाईअड्डे पर आतंकी हमले के बाद भी यह बात सामने आई थी कि आतंकी इसी क्षेत्र से आए थे।
संदिग्धों के टॉर्च सिग्नल!
तलाशी अभियान में अन्य जिलों के पुलिस बल को भी लगाया गया है। इसकी कमान जिले के डीएसपी (अभियान) सुखविंदर सिंह और डीएसपी (ग्रामीण) जगदीश राज को सौंपी गई है। ग्रामीणों का कहना है कि दोनों संदिग्धों के हाथ में टॉर्च थी और वे बार-बार एक ही जगह आवाजाही कर रहे थे। उनकी गतिविधियां संदिग्ध लग रही थीं। वे एक पेड़ के आसपास टार्च की रोशनी में कुछ खोज रहे थे। जब ग्रामीणों ने उन्हें देखा तो वे गन्ने के खेत की ओर भागे। ग्रामीणों ने पुलिस को इसकी सूचना दी। इसके बाद पूरे इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान चलाया गया, लेकिन ग्रामीणों को शक है कि वे संभवत: सिग्नल भेज रहे थे। इलाके के अधिकांश खेतों में गन्ने की फसल लगी है और भारत-पाकिस्तान सीमा के पास एक नदी भी है।
विस्फोट की आड़ में घुसपैठ की साजिश
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बमियाल में सीमा पार से हेरोइन व अन्य मादक पदार्थों की तस्करी और घुसपैठ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। हो सकता है कि घुसपैठ कराने के लिए ही पठानकोट में ग्रेनेड हमला किया गया हो। 2010 में बमियाल के गांव रतड़वां में पुलिस ने मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकियों को मार गिराया था। इसमें दो पुलिसकर्मी भी शहीद हो गए थे। इसी तरह, जुलाई 2015 में दीनानगर पुलिस थाने पर हमला करने वाले तीन आतंकी और 2016 में पठानकोट वायुसेना हवाईअड्डे पर फिदायीन हमला करने वाले पांच पाकिस्ताआनी आतंकी घुसपैठ करके आए थे। हालांकि, तब बीएसएफ ने बमियाल सीमा से आतंकियों की घुसैपैठ से इनकार किया था, लेकिन खुफिया एजेंसियों का कहना था कि आतंकियों ने वहीं से घुसपैठ किया।
कई बार दिखे ड्रोन
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले से सटे बमियाल में इस साल सीमा पार से कई ड्रोन गतिविधियां हुई हैं। बमियाल सीमा पर इस साल 14 मार्च को पहली बार पाकिस्तानी ड्रोन देखा गया। इसके बाद 11 सितंबर को जंजियाल इलाके में रोशनी दिखने पर तलाशी अभियान चलाया गया था। 5 अक्तूबर को जैतपुर पोस्ट क्षेत्र में पाकिस्तानी ड्रोन दिखा, जबकि 12 अक्तूबर को लासियान पोस्ट पर पाकिस्तानी घुसपैठिया पकड़ा गया। इसी तरह, 27 अक्तूबर को टिंडा अग्रिम पोस्ट इलाके में पाकिस्तानी किश्ती बहकर आ गई थी।
टिप्पणियाँ