पंजाब कांग्रेस में चरणजीत सिंह चन्नी सरकार और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि सिद्धू कभी श्रीगुरु ग्रंथ साहिब के अपमान के मुद्दे पर तो कभी कोटकपूरा गोलीकांड और एजी-डीजीपी की नियुक्ति को लेकर लगातार चन्नी सरकार पर हमले कर रहे हैं। प्रदेश में पार्टी की स्थिति को देखकर लगता है कि राज्य में विपक्ष की जरूरत ही नहीं, कांग्रेस पार्टी ही उस भूमिका में है। सिद्धू सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस कर चन्नी सरकार को जमकर कोसा। उन्होंने पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने के सरकार के फैसले पर भी तंज कसते हुए पूछा कि क्या यह कटौती हमेशा के लिए है? सिद्धू मीडिया से उस समय मुखातिब हुए, जब मुख्यमंत्री चन्नी ने विधानसभा का एकदिवसीय विशेष सत्र बुलाई है।
मीडियाकर्मियों के सामने सरकार पर बरसे
मीडियाकर्मियों से सिद्धू ने कहा कि महाधिवक्ता और डीजीपी पद पर चन्नी ने ऐसे लोगों को नियुक्त किया है, जिन्होंने पंजाब के लोगों को धोखा दिया। एक ने सुखबीर बादल को क्लीन चिट दी और दूसरे ने पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को ‘ब्लैंकेट बेल’ दिलवाई। उन्होंने मौजूदा डीजीपी पर निशाना साधते हुए कहा कि तत्कालीन डीजीपी सुमेध सिंह सैनी ने श्रीगुरु ग्रंथ साहिब के अपमान मामले की जांच इकबालप्रीत सहोता को सौंपी थी। लेकिन सहोता ने सुखबीर सिंह बादल को क्लीन चिट दे दी और चन्नी ने उसी व्यक्ति को डीजीपी बना दिया। साथ ही, उन्होंने सरकार से पूछा कि वह ड्रग मामले की रिपोर्ट सार्वजनिक करने से क्यों डर रही है? यह सरकार को तय करना है कि वह अफसरों को चुनती है या पंजाब कांग्रेस प्रधान को। इसी के साथ एक बार फिर स्पष्ट किया कि भले ही प्रदेश अध्यक्ष पद से उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया, लेकिन एजी-डीजीपी मुद्दे का समाधान निकलने के बाद ही वे जिम्मेदारी संभालेंगे। जब मीडियाकर्मियों ने उनसे पूछा कि चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है, तो सिद्धू भड़क गए। उन्होंने कहा कि चन्नी को मुख्यमंत्री बनवाने में उनकी कोई भूमिका नहीं है। हाईकमान ने चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया है।
सोशल मीडिया पर भी कर रहे हमले
इससे पहले सिद्धू ने अपनी ही पार्टी की सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि 2015 में कोटकपूरा पुलिस गोलीबारी की चार्जशीट कहां है? पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने छह माह के भीतर मामले की जांच पूरी करने का निर्देश दिया था। आज छह महीने और एक दिन बीत गया। इस मामले में चार्जशीट कहां है? साथ ही, पूछा कि गोलीबारी की घटना के आरोपियों में से एक पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी की जमानत के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका क्यों नहीं दाखिल की गई? सिद्धू ने कहा कि मुझ पर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाए जा रहे हैं, जबकि मैं बेअदबी के खिलाफ न्याय के लिए लड़ रहा हूं। बता दें कि 2015 में श्रीगुरु ग्रंथ साहिब के अपमान की घटनाओं के खिलाफ फरीदकोट और बहबल कलां में सिखों प्रदर्शन के दौरान गोलीबारी हुई थी। इस मामले की जांच विशेष जांच दल को सौंपी गई थी, लेकिन न्यायालय ने तत्कालीन आईपीएस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह की अध्यक्षता वाली एसआईटी की जांच रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 7 मई, 2021 को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एल.के यादव के नेतृत्व में नई एसआईटी गठित की गई। सिद्धू ने राज्य के महाधिवक्ता एपीएस देओल पर पलटवार करते हुए ट्वीट किया कि न्याय अंधा हो सकता है, लेकिन पंजाब के लोग नहीं।
उधर, लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने सिद्धू को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि हमें कोरोना वायरस का इलाज मिल चुका है, लेकिन पार्टी नेतृत्व के पास भी इनका कोई समाधान नहीं है। सिद्धू के कारण पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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