केंद्र सरकार ने फेसबुक को अपनी एल्गोरिदम की पूरी जानकारी देने को कहा। सरकार ने कंपनी से यह भी पूछा है कि वह फर्जी व नफरती चीजों को रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है
वेब डेस्क
सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर उसकी ही एक पूर्व अधिकारी द्वारा गंभीर आरोप लगाने की खबरों के बाद, एक बार फिर ये कंपनी उन्माद भड़काने वाली फर्जी खबरों को रोक पाने में असफल साबित हो रही है। लेकिन इस बार भारत सरकार सख्ती से पेश आई है और उसने फेसबुक से पूछा है कि वह ऐसी चीजों को रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है।
उल्लेखनीय है कि फिलहाल भारत में फेसबुक को 41 करोड़ से ज्यादा लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। इन आंकड़ों को देखें तो भारत इस सोशल मीडिया प्लेटफार्म का सबसे बड़ा बाजार है। लेकिन इसी सबसे बड़े बाजार में फेसबुक फर्जी चीजें और उकसावे वाली सामग्री रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है।
भारत ने 28 अक्तूबर को इस सोशल मीडिया कंपनी से फर्जी खबरों, हिंसा, उकसाने वाली और नफरत के बीच बोने वाली चीजों के संदर्भ में जवाब तलब किया है। केंद्र सरकार ने फेसबुक को अपनी एल्गोरिदम के साथ ही दूसरे इंतजामों की पूरी जानकारी देने को कहा है। सरकार ने कंपनी से यह भी पूछा है कि वह बताए कि इन चीजों को रोकने के लिए वह क्या कदम उठा रही है। यहां बता दें कि फेसबुक के एल्गोरिदम को लेकर पिछले दिनों कई सवाल खड़े हुए थे। साथ ही इस कंपनी पर भारत से भेदभाव करने के आरोप भी लगे थे।
भारत में इस वक्त 41 करोड़ लोग फेसबुक तो उससे भी कहीं ज्यादा व्हाट्सएप इस्तेमाल कर रहे हैं। यानी भारत इस कंपनी का सबसे बड़ा बाजार है। लेकिन इसी बड़े बाजार पर कंपनी उतने संसाधन नहीं लगा रही है जितने जरूरी हैं। इसलिए वह नफरत फैलाने वाली और फर्जी खबरों जैसी सामग्री को ठीक से रोक नहीं पाई है। कई बार तो उस पर ऐसी सामग्री और और ज्यादा प्रसारित करने के भी आरोप लगे हैं। यही वजह है कि भारत सरकार ने फेसबुक को आड़े हाथों लेते हुए उससे उसकी एल्गोरिदम की विस्तृत जानकारी तलब की है।
भारत इस कंपनी का सबसे बड़ा बाजार है। लेकिन इसी बड़े बाजार पर कंपनी उतने संसाधन नहीं लगा रही है जितने जरूरी हैं। इसलिए वह नफरत फैलाने वाली और फर्जी खबरों जैसी सामग्री को ठीक से रोक नहीं पाई है। कई बार तो उस पर ऐसी सामग्री और और ज्यादा प्रसारित करने के भी आरोप लगे हैं।
पिछले महीने अमेरिका के प्रसिद्ध समाचार पत्र 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' के साथ ही फेसबुक की पूर्व उत्पाद प्रबंधक फ्रांसिस होगेन ने फेसबुक से जुड़ी कई चीजों से पर्दा हटाया था। इनमें सबसे बड़ा खुलासा था कि फेसबुक हमारे स्वभाव पर असर डालकर उससे मुनाफा कमा रही है। इसके पीछे कंपनी की एल्गोरिदम का हाथ माना जा रहा है।
यहां बता दें कि सोशल मीडिया कंपनियों के संदर्भ में एल्गोरिदम से आपत्ति ये है कि वे इनकी मदद से उपभोक्ताओं को अपने प्लेटफार्म से जोड़े रखती हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से कंपनियां एल्गोरिदम को इस तरह से बनाती हैं कि इन्हें इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता को वैसी ही सामग्री बार बार देखने को मिलती है जिसे वह पहले कुछ देर ठहर कर देख चुका होता है। इस तरह वह तय वक्त से ज्यादा वक्त तक सोशल मीडिया प्लेटफार्म से जुड़ा रहता है।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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