दुबई के साथ भारत के जम्मू-कश्मीर में विभिन्न परियोजनाओं को लेकर हुए निवेश के समझौते से पाकिस्तानी नेताओं और नीतिकारों को तीखी मिर्ची लगी है। अभी तीन दिन पहले दुबई ने जब भारत के साथ इस करार पर दस्तखत किए हैं तबसे रोजाना किसी न किसी नेता या कूटनीतिक का इस बारे में आने वाला बयान सीमा पार छाई 'मायूसी' की झलक दे रहा है। ताजा मिसाल भारत में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत की है जिन्होंने कश्मीर में दुबई के निवेश करने को भारत की बड़ी जीत और पाकिस्तान की बड़ी हार बताया है।
इसमें संदेह नहीं है कि कश्मीर में तमाम योजनाओं जैसे ढांचागत निर्माण, आईटी पार्क, आईटी टावर सहित कुछ अन्य में दुबई द्वारा निवेश की दिलचस्पी दिखाने और इस संबंध में करार पर दस्तखत करने से पाकिस्तान परेशान तो है। वह पाकिस्तान जो अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में कोई बड़ा उत्पात मचाने की फिराक में है। जो वहां लगातार आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए साजिशें रचता आ रहा है।
ऐसे में दुबई के इस कदम से उसे तगड़ा झटका लगना ही था। एक तरफ मध्य पूर्व के सबसे महत्वपूर्ण और अमीर शहर के नाते प्रसिद्ध दुबई का जम्मू और कश्मीर में निवेश करने का फैसला भारत की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जबकि दूसरी तरफ इससे पाकिस्तान के उन षड्यंत्री नीतिकारों के हौसले पस्त हुए हैं जो भारत विरोध की भावनाएं भड़काने और भारत में आतंकवाद फैलाने की नित नई चालें रचते हैं, आईएसआई के जरिए अपने यहां पल रहे आतंकियों से भारत में, विशेषकर जम्मू-कश्मीर में निर्दोषों की हत्या करवा रहे हैं। हाल ही में कश्मीर घाटी में हिंदुओं की चुन-चुनकर की गईं हत्याएं पाकिस्तानी शैतानी की गवाह हैं।
मध्य पूर्व के सबसे महत्वपूर्ण और अमीर शहर के नाते प्रसिद्ध दुबई का जम्मू-कश्मीर में निवेश करने का फैसला भारत की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जबकि दूसरी तरफ इससे पाकिस्तान के उन षड्यंत्री नीतिकारों के हौसले पस्त हुए हैं जो भारत विरोधी भावनाएं भड़काने और भारत में आतंकवाद फैलाने की नित नई चालें रचते हैं।
भारत में पाकिस्तान के राजदूत रहे अब्दुल बासित ने तो भारत के साथ इस दुबई समझौते को भारत की बड़ी जीत बताया है। पूर्व राजदूत बासित के इस बयान को लेकर पाकिस्तान में बेचैनी का आलम है। बासित ने अपने बयान में कहा,''साफ है कि पाकिस्तान के हाथों से मुद्दा फिसल रहा है। हम अंधेरे में हाथ-पैर मारने की कोशिश कर रहे हैं।
लगता है कि कश्मीर नीति रह ही नहीं गई है। यह अफसोस की बात है। वर्तमान सरकार का लापरवाही का यह रवैया उसे ही परेशान करेगा। पहले की सरकार ने भी कश्मीर पर पाकिस्तान की नीति कमजोर की थी। यह करार पाकिस्तान तथा जम्मू-कश्मीर दोनों के लिहाज से भारत की बड़ी जीत है।''
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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