बिहार के युवाओं को बर्बाद करने के लिए नक्सली और आतंकी एक हो गए हैं। ये तत्व बिहार के युवाओं को बर्बाद करने के लिए मादक पदार्थों का सहारा ले रहे हैं। पता चला है कि बिहार और झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में नक्सली प्रतिबंधित पदार्थो की खेती और तस्करी कर रहे हैं। इसके अलावा बिहार और नेपाल की सीमा से लगे इलाकों में मादक पदार्थों की तस्करी खूब हो रही है। इसमें जिहादी तत्व भी शामिल हैं। मुंबई के बहुचर्चित क्रूज ड्रग्स केस के तार भी बिहार से जुड़े हैं। क्रूज में पकड़े गए ड्रग्स को बिहार के रास्ते ही ले जाया गया था।
उल्लेखनीय है कि ड्रग तस्करों की निशानदेही पर मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने कुछ दिन पहले 2.5 किलो चरस के साथ मुंबई के अजय वंशी प्रसाद को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में अजय ने स्वीकार किया था कि उसे ड्रग्स की आपूर्ति उसके भाई विजय वंशी प्रसाद और मोहम्मद उस्मान द्वारा की जाती थी। जेल में बंद होने के बावजूद उनका नेटवर्क काम करता था। मोहम्मद उस्मान और विजय को 19 सितंबर, 2020 को मोतिहारी के चकिया टॉल प्लाजा से ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया गया था। उनसे बरामद चरस 26.4 किलोग्राम का था, जिसे वे मुंबई ले जा रहे थे। ये दोनों अभी मोतिहारी जेल में बंद हैं।
नार्कोटिक्स जिहाद की तैयारी
इस विषय पर लगातार नजर रखने वाले फिल्मकार एवं उद्यमी प्रशांत सबरंगी इसे भी एक जिहाद मानते हैं। उनके अनुसार देश में दो प्रकार के जिहाद चल रहे हैं। एक ‘हार्ड जिहाद’ और दूसरा ‘साफ्ट जिहाद’। हार्ड जिहाद में बम विस्फोट, आतंकवादी गतिविधियां इत्यादि आती हैं, जबकि 'साफ्ट जिहाद' में जमीन जिहाद, लव जिहाद, नार्कोटिक्स जिहाद, हलाल अर्थव्यवस्था जैसे जिहाद आते हैं। बिना रक्त बहाए भारत को कमजोर करने के लिए 'साफ्ट जिहाद' का उपयोग किया जाता है।
भारत की युवा पीढ़ी को कमजोर कर भारत को नष्ट करने का षड्यंत्र नार्कोटिक्स जिहाद है। पाकिस्तान के मादक पदार्थ विक्रेता रमजान ने सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया है कि अगर भारत की युवा पीढ़ी नशे के गिरफ्त में आ जाए तो भारत को परास्त करना आसान हो जाएगा। नशेड़ी अपनी लत के लिए किसी भी सीमा तक गिर सकता है। युवा को पथभ्रष्ट कर देश को बगैर हथियार के बर्बाद किया जा सकता है। यह षड्यंत्र पूरे देश में चल रहा है। पंजाब के मेहनतकश युवाओं को इसने काफी हद तक बर्बाद कर दिया है। इस विषय पर केन्द्रित चर्चित फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ है।
पंजाब के बाद बिहार मादक पदार्थों का गढ़ बनता जा रहा है। बिहार के युवा प्रतिभाशाली होते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में बिहारी युवा की प्रतिभा बखूबी देखी जा सकती है। लेकिन यह भी सच है कि बिहार की एक बड़ी आबादी मेहनतकश होने के बावजूद बेरोजगार है। इसका लाभ नशे के सौदागर उठा रहे हैं। पूरे बिहार में युवा और बच्चे इसके गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। बिहार के हर हिस्सें में प्रतिदिन ड्रग्स पकड़े जा रहे हैं। इस मामले में हर रोज 22 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की गिरफ्तारी हो रही है। किसी भी राज्य के लिए यह खतरे की घंटी है। सहरसा के सामाजिक कार्यकर्त्ता अमित आनंद बिहार के लिए एक गहरे अवसाद का समय बताते हैं। नशे के दलदल में बिहार के युवा और बच्चे फंसते जा रहे हैं। घर के लोग बच्चों की आदतों से परेशान हैं। बिहार में पंचायत चुनाव चल रहा है। ऐसे में कई गांवों में मुखिया प्रत्याशी इस बात का संकल्प ले रहे हैं कि अगर वे जीतेगें तो अपने पंचायत से ड्रग्स का खत्मा करेंगे।
बिहार में नशे के संजाल को समझना जरूरी है। बिहार नशे के सौदागरों के लिए एक मार्ग है, वहीं दूसरी ओर बड़ा बाजार भी है। नशीले पदार्थों का उत्पादन देश के पूर्वोत्तर राज्यों और बिहार-झारखंड सीमा पर किया जाता है। इसके अलावा भारत की पूर्वी सीमा से सटे देशों में भी इसका उत्पादन होता है। बिहार में नशे की खेप नेपाल के रास्ते लायी जाती है या फिर झारखंड के रास्ते। बिहार के सीमावर्ती जिलाओं में नशे की खेप को पहुंचाया जाता है। उसका एक अलग नेटवर्क होता है, जबकि देश के अन्य राज्यों में नशे की खेप पहुंचाने के लिए एक-दूसरे नेटवर्क का उपयोग किया जाता है।
मोतिहारी के चकिया टोल प्लाजा के समीप मोहम्मद उस्मान और विजयवंशी प्रसाद को गिरफ्तार किया गया था। इनके अलावा मोतिहारी जेल में कई और ड्रग तस्कर भी बंद हैं। मोतिहारी और मुजफ्फरपुर की जेलों में बंद आठ तस्कर ड्रग्स के इस धंधे से जुड़े हैं। ये सभी ड्रग्स को सड़क मार्ग से बिहार होते हुए मुम्बई व अन्य स्थानों पर ले जाते थे। इसी प्रकार रोहतास एवं गया में भी लगातार ड्रग्स तस्कर पकड़े जा रहे हैं। 18 अक्तूबर को एक बस से तीन तस्करों को गिरफ्तार किया था। ये लोग पलामू से बस द्वारा 33 किलो डोडा पाउडर दिल्ली ले जा रहे थे। गया के बाराचट्टी पुलिस ने इस वर्ष लगभग 400 किग्रा डोडा व गांजा बरामद किया है। पलामू जिले में इसका उत्पादन नक्सलियों की देखरेख में होता है।
बिहार के प्रत्येक अंचल में ड्रग्स की खेप पहुंचाने के लिए एक-दूसरा नेटवर्क काम करता है। इस काम में नक्सली, जिहादी और कन्वर्जन के काम में लगे लोग एक साथ खड़े दिखाई देते हैं। बिहार में नार्कोटिक्स जिहाद का असर भी अब दिखने लगा है। गत 13 सितंबर को पूर्णिया के एक निजी बैंककर्मी 22 वर्षीय सन्नी सिन्हा की हत्या नशेड़ियों ने कर दी थी। सन्नी सिन्हा का गुनाह बस इतना था कि उन्होंने नशेड़ियों को अपने घर के समीप नशा करने से मना किया था। इसी प्रकार 12 अक्तूबर को सहरसा के बनगांव में भी नशेड़ियों ने एक व्यक्ति की चाकू गोदकर हत्या कर दी थी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बिहार में होने वाले अपराधों में नशे को प्रमुख कारण मानते हैं। बिहार में पूर्ण शराबबंदी है। शराब के व्यसनी लोग अब ड्रग्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
किशनगंज के पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष जैसे कई पुलिस अधिकारी युवा पीढ़ी को नशे के दुष्प्रभाव से जागरूक करने की लगातार मुहिम चला रहे हैं। इसके पहले भी पुलिस प्रशासन इस विषय पर लगातार जागरूक रहा है। किशनगंज जिले में मादक पदार्थों का सेवन, भंडारण एवं वितरण करने वालों के विरुद्ध विगत पांच वर्ष (2016 से 2021 तक) में लगातार कार्रवाई करते हुए डेढ़ क्विंटल गांजा, लगभग 150 किग्रा अफीम का पौधा, 52 किग्रा अफीम, 05 किग्रा अफीम का फल, 2.267 किग्रा स्मैक, 1.085 किग्रा हीरोईन, 5.690 किग्रा चरस, लगभग 1 किग्रा ब्राउन सुगर, 650 ग्राम आईस ड्रग्स एवं 498.3 मिग्रा मेस्कॉलीन नशीली दवाइयां जब्त की गई हैं। इस मामले में 215 अभियुक्त गिरफ्तार किए गए हैं। 10 तस्करों को न्यायालय द्वारा विधिसम्मत सज़ा दिलाई जा चुकी है
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