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फिर सामने आया उइगरों के दमन का सच, फिर हुआ चीन बेनकाब

by WEB DESK
Oct 12, 2021, 06:09 pm IST
in भारत, विश्व, दिल्ली, पंजाब
यह तस्वीर एक उइगर यातना शिविर की बताई जाती है (फाइल चित्र)

यह तस्वीर एक उइगर यातना शिविर की बताई जाती है (फाइल चित्र)

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सिंक्यांग में उइगरों के साथ हो रहा अत्याचार अब किसी से छुपा नहीं है। इस नए खुलासे को उसी की एक कड़ी के रूप में देखा जा रहा है

वेब डेस्क
खुद को चीन का एक पूर्व पुलिस अधिकारी बताने वाले चीनी नागरिक ने चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ किए जा रहे हैवानियत के बर्ताव से फिर पर्दा उठाया है। उसने अपनी आंखों देखी सुनाई है कि उइगरों को खाना-पानी दिए बिना जानवरों की तरह एक से दूसरी जगह ले जाया जाता है। उइगरों के दमन के मुद्दे पर चीन पहले ही दुनिया के सामने बेपर्दा हो चुका है, फिर भी आएदिन इस बारे में हो रहे नए-नए खुलासे उइगरों के संबंध में चीन की शैतान नीतियों को सामने लाते जा रहे हैं। सिंक्यांग में उइगरों के साथ हो रहा अत्याचार अब किसी से छुपा नहीं है। इस नए खुलासे को उसी की एक कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।

चीन के एक कथित पूर्व पुलिस अधिकारी का कहना है कि सैकड़ों उइगर मुसलमानों को जबरदस्त भीड़ भरी जेल तक ले जाने के लिए रेलों में भरकर ले जाया जाता है। उसने दिल-दहला देने वाले ब्योरे के साथ बताया है कि कैसे उइगर मुस्लिमों को सिंक्यांग प्रांत के उन 'री-एजुकेशन सेंटर' में यातनाएं दी जाती हैं। ये 'री-एजुकेशन सेंटर' ही हैं जिन्हें लोग 'उइगर शिविर', 'उइगर केन्द्र', उइगर यातना गृह आदि के नाम से जानते हैं।

ब्रिटिश समाचार चैनल स्काई न्यूज ने इस खुलासे पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रसारित की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन के दूसरे इलाकों से उइगरों को मालगाड़ियों में ठूंस कर सिंक्यांग लाया जाता है। सिंक्यांग के एक कैंप में ड्यूटी दे चुके उस पूर्व पुलिस अधिकारी का कहना है कि पानी मांगने पर उइगरों को सिर्फ बोतल का ढक्कन भर पानी पिलाया जाता है और खाने के लिए तरसा दिया जाता है। मालगाड़ियों में भरकर उइगरों को सिंक्यांग ले जाने के बाद उनके सिर को ढक दिया जाता है। वे भागें न, इसलिए उन्हें हथकड़ी पहनाई जाती है।

अपना नाम ज्यांग बताने वाले इस व्यक्ति का कहना है कि रेल से सफर के दौरान व्यवस्था बनी रहे, इसके लिए वे उन्हें शौचालय तक नहीं जाने देते। चाहे मालगाड़ी के सफर में दो दिन लग जाएं। ज्यांग ने 2019 की ड्रोन से उतारी एक वीडियो फिल्म के बारे में बताते हुए कहा कि उस फिल्म में उइगरों की आंखों पर पट्टी बंधी दिखती है और कैदियों को ट्रेन से उतारे जाते देखा जा सकता है। 

अपना नाम ज्यांग बताने वाले इस व्यक्ति का कहना है कि रेल से सफर के दौरान व्यवस्था बनी रहे, इसके लिए वे उन्हें शौचालय तक नहीं जाने देते। चाहे मालगाड़ी के सफर में दो दिन लग जाएं। ज्यांग ने 2019 की ड्रोन से उतारी एक वीडियो फिल्म के बारे में बताते हुए कहा कि उस फिल्म में उइगरों की आंखों पर पट्टी बंधी दिखती है और कैदियों को ट्रेन से उतारे जाते देखा जा सकता है। फिल्म में उनके सिर मुंडे हुए दिखे थे। उसने बताया कि कैदियों को अलग-अलग केंद्रों में, अलग-अलग वर्दियों में रखा जाता है। स्काई न्यूज को ज्यांग ने बताया कि सैनिक के तौर पर सेवा पूरी करने के बाद वह एक सिक्योरिटी एजेंसी में जासूस के तौर पर जुड़ा।
स्काई न्यूज पर इस रिपोर्ट के आने के बाद, बीजिंग में खलबली मचनी स्वाभाविक ही थी। चीन सरकार फौरन इसे झूठ बताने लगी। प्रेस कांफ्रेंस में इस बारे में सवाल पूछे जाने पर चीन सरकार ने ऐसे तमाम आरोपों को झूठा बताया। सिंक्यांग सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि उस कथित पुलिसकर्मी ने जो कहा वह सच नहीं है।
 

 
 
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