चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने कहा है कि चीन बार-बार अपने मत से न डिगे और सीमा प्रबंधन के विषय में भ्रम पैदा करने की कोशिश न करे
भारत-चीन सीमा पर जून 2020 को उपजे हिंसक तनाव के बाद से, सीमा पर अप्रैल 2020 की परिस्थितियों की बहाली के तमाम प्रयासों को चीन की सत्ता कमोबेश बेअसर करती आ रही है। 12 दौर की सैन्य कमांडरों की बैठक के बाद भी, देपसांग में चीनी सैनिकों की उपस्थिति यही दर्शाती है कि वह सीमा विवाद को लटकाए रखना चाहता है। ड्रैगन ने पहले ही भारत की करीब 38 हजार वर्ग किमी. जमीन कब्जाई हुई है। अब वह अपने विस्तारवादी मंसूबे पर चलते हुए लद्दाख में नए सिरे से चालें चल रहा है, लेकिन अब उसे मुंह की खानी पड़ रही है। यही वजह है कि सीमा पर शांति बहाली के कूटनीतिक प्रयासों को वह पटरी से उतारने की कोशिश में रहता है। लेकिन 26 सितम्बर को बीजिंग में भारतीय राजदूत ने चीन के एक विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक 'वर्चुअल डायलॉग' में अपनी बात रखते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि चीन सीमा प्रबंधन में भ्रम की स्थिति पैदा करने की कोशिश न करे। वह सीमांत इलाकों में शांति स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए। भारत का लगातार यही मत रहा है कि सीमांत क्षेत्रों में शांति से ही दोनों देशों का हित है और आपसी रिश्ते समग्रता से आगे बढ़ सकते हैं।
उक्त कार्यक्रम को संबोधिक करते हुए बीजिंग स्थित भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने यह भी कहा कि चीन बार—बार अपने मत से न डिगे और सीमा प्रबंधन के विषय में भ्रम पैदा करने की कोशिश न करे। मिसरी ने भारत में चीन के राजदूत सुन विडोंग की मौजूदगी में सीमा के सवाल को जल्दी से जल्दी हल करने के साथ ही, ड्रैगन से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने की अपील की।
राजदूत विक्रम मिसरी ने भारत-चीन संबंधों पर इस चौथे उच्च स्तरीय ट्रैक-दो संवाद में कहा कि भारत और चीन पड़ोसी देश हैं। लेकिन इसके अलावा दोनों ही देश बड़ी और तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाएं भी हैं। देशों के बीच आपस में मतभेद तथा समस्याएं होना कोई अनोखी बात नहीं है। लेकिन जरूरी बात यह है कि हम इनसे निपटते कैसे हैं। इसके लिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हमारी सीमाओं पर शांति बनी रहे और इसके लिए दोनों देशों में तार्किकता, परिपक्वता और सम्मान की भावना होनी चाहिए।
राजदूत विक्रम मिसरी ने भारत-चीन संबंधों पर इस चौथे उच्च स्तरीय ट्रैक-दो संवाद में कहा कि भारत और चीन पड़ोसी देश हैं। लेकिन इसके अलावा दोनों ही देश बड़ी और तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाएं भी हैं। देशों के बीच आपस में मतभेद तथा समस्याएं होना कोई अनोखी बात नहीं है। लेकिन जरूरी बात यह है कि हम इनसे निपटते कैसे हैं। इसके लिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हमारी सीमाओं पर शांति बनी रहे और इसके लिए दोनों देशों में तार्किकता, परिपक्वता और सम्मान की भावना होनी चाहिए।
पूर्वी लद्दाख में पिछले साल उपजे गतिरोध के बाद से विवाद को दूर करने के लिए दोनों देशों के बड़े सैन्य कमांडरों और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर व चीनी विदेश मंत्री वांग के बीच अने मौकों पर वार्ताओं के साथ ही अब तक दोनों पक्षों के बीच अनेक आयामों पर हुए संवाद के संदर्भ में मिसरी का कहना था कि इनसे जमीनी तौर पर खासी प्रगति हुई है।
मिसरी ने बताया कि जुलाई 2020 में गलवान घाटी में सेना हटाने के बाद से दोनों पक्षों ने फरवरी 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों व अगस्त 2021 में गोगरा से सैनिकों को पीछे हटाया है। उनके अनुसार बाकी स्थानों के संबंध में दोनों पक्षों के बीच बात चल रही है।
टिप्पणियाँ