लखनऊ ब्यूरो
बसपा सांसद अतुल राय के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए पीड़िता ने आत्मदाह कर लिया. आत्मदाह के मामले में पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. वर्ष 2020 में पीड़िता ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, वाराणसी को पत्र लिखकर, अमिताभ ठाकुर और सांसद अतुल राय के गंठजोड़ के बारे में सूचना दी थी.
फरवरी, 2020 के इस पत्र में पीड़िता ने लिखा था कि 'कुछ दिन पूर्व मेरे गवाह सत्यम प्रकाश राय का फोन आया और वो मानसिक रूप से काफी परेशान थे. कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि सांसद अतुल राय के साथ अमिताभ ठाकुर की मिलीभगत है. मुझ पीड़िता के खिलाफ लंका थाना वाराणसी में दर्ज मुकदमे के संदर्भ में गलत-गलत खबरें फैला रहे हैं और उसके नाम को किसी अपराधी के साथ जोड़कर दिखा रहे हैं. आडियो भी वायरल कर दिया है. हम लोगों ने आईपीएस अमिताभ ठाकुर का नम्बर फेसबुक से देखकर उनको दुखी मन से फोन भी किया और उनसे पूछा कि उच्च अधिकारी होने के बावजूद, माननीय न्यायालय में विचाराधीन मामले में अनावश्यक हस्तक्षेप क्यों किया जा रहा?"
यह भी आरोप है कि अमिताभ ठाकुर ने इस मामले से जुड़ी सीओ भेलूपुर की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया. पीड़िता द्वारा पूछे जाने पर अमिताभ ने उसे घर आने को कहा, लेकिन घर जाने पर वो नहीं मिले. अपने पत्र में पीड़िता ने रसूखदार अतुल राय और पुलिस अधिकारी अमिताभ की मिलीभगत को खुद के लिए जानलेवा बताया था.
उल्लेखनीय है कि पीड़िता पिछले दो वर्ष से बसपा सांसद अतुल राय के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ रही थी. गत 16 अगस्त को फेसबुक पर लाइव वीडियो शेयर कर पीड़िता ने आत्मदाह किया था. अनिवार्य सेवानिवृत्ति पा चुके अमिताभ ठाकुर इस वक्त पुलिस हिरासत में हैं.
सवालों के घेरे में अमिताभ–
– सीओ भेलूपुर, वाराणसी की जांच रिपोर्ट अमिताभ को कैसे मिली?
– खुद पुलिस सेवा में रहते हुए पुलिस की गोपनीय रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों किया?
– किन कारणों से अमिताभ ठाकुर द्वारा सोशल मीडिया पर गलत खबरें फैलाई गईं?
– गवाहों को अपराधियों के साथ जोड़कर ऑडियो वायरल करने के पीछे क्या थी अमिताभ की मंशा?
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