एनआईए ने एल्गार परिषद मामले में 15 आरोपियों के विरुद्ध आरोपपत्र का मसौदा दायर कर दिया है। इन आरोपियों को देश के विरुद्ध युद्ध छेड़ने समेत 16 अपराधों में गिरफ्तार करने का प्रस्ताव किया गया है
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एल्गार परिषद मामले में आरोपपत्र का मसौदा इस माह की शुरुआत में विशेष न्यायालय में दायर कर दिया है। मसौदे में गिरफ्तार 15 लोगों को देश के विरुद्ध युद्ध छेड़ने सहित 16 अपराधों के मामले में गिरफ्तार करने का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें अधिकतम मौत की सजा है। एनआईए ने कहा है कि आरोपियों ने एक पब्लिक फिगर को मारने के लिए परिष्कृत हथियारों को हासिल करने की साजिश रची थी।
हिंसा, अस्थिरता फैलाने का था उद्देश्य
एनआईए ने आरोप लगाया है कि 15 आरोपी प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के सदस्य हैं और 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद कार्यक्रम दलितों और अन्य समुदायों की भावनाओं को भड़काने और भीमा कोरेगांव सहित महाराष्ट्र में कई जगहों पर हिंसा, अस्थिरता के साथ पुणे जिले में अफरातफरी फैलाने के उद्देश्य से किया गया था। मसौदे के अनुसार आरोपियों ने ‘वार्षिक तौर पर एम-4 (परिष्कृत हथियार) की सप्लाई’ के लिए 8 करोड़ रुपया जुटाने की भी साजिश रची थी और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए देश भर के विश्वविद्यालयों से छात्रों को अपने साथ जोड़ा था।
इन पर हैं आरोप
हालांकि आरोपियों पर जहां 16 सामान्य धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं, वहीं उन पर अन्य धाराओं के तहत अलग-अलग आरोप भी लगाए गए हैं. जैसे एकडेमिशियन आनंद तेलतुम्बडे पर सबूत नष्ट करने से संबंधित एक धारा के तहत आरोप लगाया गया है। एनआईए ने जिन अन्य लोगों के खिलाफ आरोप लगाए हैं; उनमें सुधीर धवले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गॉडलिंग, शोमा सेन, महेश राऊत, पी. वरवरा राव, वर्नोन गोंजाल्वेज, अरुण फेरिरा, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, हैनी बाबू, रमेश गायचोर, ज्योति जगताप और सुरेंद्र गोरखे भी शामिल हैं। मसौदे में फादर स्टैन स्वामी का भी जिक्र है, हालांकि पिछले महीने मौत के बाद उनके खिलाफ मामला रोक दिया गया है। इसके अलावा मामले में अन्य लोगों का जिक्र है, जिन्हें फरार करार दिया गया है।
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