भारत से हर साल हजारों विद्यार्थी उच्च शिक्षा ग्रहण करने विदेश जाते है. ऑस्ट्रेलिया,न्यूजीलैंड कनाडा, रूस, जर्मनी, अमेरिका, इंग्लैंड आदि देशों में जाकर पढ़ाई करने वाले लाखों छात्र-छात्राओं का भविष्य, कोरोना महामारी की वजह से संकट में है।
दिनेश मानसेरा
भारत से हर साल हजारों विद्यार्थी उच्च शिक्षा ग्रहण करने विदेश जाते है. ऑस्ट्रेलिया,न्यूजीलैंड कनाडा, रूस, जर्मनी, अमेरिका, इंग्लैंड आदि देशों में जाकर पढ़ाई करने वाले लाखों छात्र-छात्राओं का भविष्य, कोरोना महामारी की वजह से संकट में है।
जानकारी के मुताबिक अकेले कनाडा में पढ़ाई के लिए साढ़े तीन लाख से ज्यादा वीजा प्रार्थना पत्र कनाडा दूतावास में लंबित पड़े हुए थे, जिनमे अधिकांशतः पंजाब,दिल्ली, हरियाणा से थे। कुछ ऐसे प्रार्थना पत्र भी थे जो कि साल साल भर से रुके हुए थे। कोविड महामारी की वजह से कनाडा ने विदेशी छात्रों के अपने देश में आने पर रोक लगाई हुई है। कनाडा में सबसे ज्यादा चीन से फिर भारत से विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते रहे हैं। कनाडा ने एक नीति के तहत अपने यहां आने वाले विद्यार्थियों के लिए बंदिशें लगाई । जो बहुत जरूरी शिक्षा सत्र थे उनके लिए यहां दूसरे देश अथवा अपने यहां दो हफ्ते के पृथकवास के बाद ही प्रवेश दिया। भारत और कनाडा के बीच सीधी उड़ानों पर भी कोविड की वजह से रोक लगी हुई है। कनाडा को डर है कि कहीं भारत और चीन से कोरोना वायरस उनके देश में न आ जाए। कनाडा के लिए बीते दो सालों में शिक्षा के लिए जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने की वजह एक ये भी है कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने अपने यहां बाहरी देशों के लोगों के आने पर कोरोना की वजह से प्रतिबंध लगाया हुआ है, जिससे सबसे ज्यादा प्रभावित विद्यार्थी समुदाय हुआ है। ये बंदिश 2022 तक चलेंगी। ऐसे में ज्यादातर विद्यार्थियों ने वहां के बजाय कनाडा के स्कूलों में दाखिला लेकर फीस जमा करवा दी है।उम्मीद के साथ कि कनाडा ने कोई घोषित प्रतिबन्ध नहीं लगाया हुआ था।लेकिन कनाडा सरकार ने अचानक उमड़ी विद्यार्थियों की इतनी बड़ी संख्या को वीजा देने से हाथ खड़े करते हुए ,कई कारण गिनाते हुए वीजा प्रार्थना पत्र रद्द कर दिए। एक खबर ये भी थी कि चंडीगढ़ में कनाडा दूतावास के बाहर सैकड़ों विद्यार्थियों ने वीजा देने में की जा रही देरी पर गुस्सा जाहिर करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। जिसके बाद कनाडा दूतावास ने एक एक दिन में बीस बीस हज़ार स्टूडेंट वीजा प्रार्थना पत्र रद्द कर दिये।
अमेरिका, यूरोप के अन्य देशों ने भी भारतीय विद्यार्थी समुदाय को फिलहाल स्टूडेंट वीजा देने से परहेज किया हुआ है। जो पहले से वहां पढ़ रहे थे उन्हें ही आगे की पढ़ाई के लिए ही वीजा कठिन शर्तों के साथ जारी किए जा रहे हैं।
कोविड 19 के बाद से हज़ारों विद्यार्थियों के लिए विदेश में उच्च शिक्षा लेने के सपने टूटने लगे हैं। कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प दिया है, जिस पर विद्यार्थियों का कहना है पूरी फीस देकर ऑन लाइन पढ़ाई के कोई मायने नहीं रह जाते। इससे उनका कैरियर प्रभावित होने का भय है।
जानकारी के मुताबिक 2016 में 371506 विद्यार्थियों ने विदेशों में शिक्षा के लिए रुख किया। 2017 में 456823 अगले साल 2018 में 520342, कोविड शुरू होने से पहले 2019 में 588931 विद्यार्थियों ने शिक्षा वीजा लिया।
2020 में ये संख्या घटकर 261406 रह गयी। इस दौरान कोविड लॉकडाउन हुआ । 2021 के फरवरी माह तक कुल 71769 विद्यार्थियों को ही शिक्षा वीजा मिला। उसके बाद से दुनिया में जिस तरह से कोविड फैला दूसरे देशों ने भी अपने यहां आने जाने वालों पर प्रतिबंध लगाया। उससे सबसे ज्यादा शिक्षा के व्यवसाय या कहें विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट गहराया। भारत से जाने वाले विद्यार्थियों के शिक्षा लोन का करोड़ों रुपयों का बैंक व्यवसाय भी इस समय प्रभावित है। भारतीय विद्यार्थियों के लिए अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, यूएई, जर्मनी में सबसे ज्यादा पसंद किये जाने वाले विश्वविद्यालय हैं, जहां से उनके रोजगार के रास्ते खुलते हैं। ये सब फिलहाल बन्द से हो गए हैं।
कनाडा के लिए शिक्षा वीजा रद्द होने पर छात्रा तनिशा का कहना है कि कॉलेज के लिए प्रवेश और बैंक से शिक्षा कर्ज लेने की लंबी प्रक्रिया के बाद करीब एक साल के बाद कनाडा दूतावास कहता है कि हम वीजा इसलिए नहीं दे सकते कि आप वहां बसने की नियत से जा रही हैं, जबकि हम केवल शिक्षा के लिए जा रहे हैं।
विद्यार्थियों को विदेश में शिक्षा दिलाने के लिए काम करने वाले काउंसलर परीक्षित कहते हैं कि इस साल देश के करीब दो लाख विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट आया है।
ऑस्ट्रेलिया जाने की प्रतीक्षा में विद्यार्थी नीलेश पांडेय कहते हैं कि कॉलेज सेलेक्ट किया। फीस भी भेज दी। अब वहां बाहरी देशों के लोगों पर पाबंदी लगा दी है। हम मास्टर्स की डिग्री के लिए क्या 2022 तक इंतज़ार करेंगे ?
बहरहाल, भारत के विद्यार्थियों का विदेशों में जाकर उच्च शिक्षा लेने का सपना फिलहाल पूरा होता नहीं दिख रहा है। कोविड की तीसरी लहर यदि काबू में रही तो संभावना बनती है कि अगले साल तक ये हालात सामान्य होंगे।
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