अफगानिस्तान में संभवत: वही पुराना तालिबानी राज लौट रहा है जिसकी आम लोगों के प्रति अमानवीयता पशुता की हदें लांघती थीं। काबुल पर अब उसका कब्जा है, जल्दी ही किसी अंतरिम सरकार की घोषणा हो सकती है
आखिरकार दुनिया के सभ्य लोकतांत्रिक देशों को जिस बात का डर था वह 15 अगस्त को सच साबित हो गई। कट्टर तालिबान ने अफगानिस्तान पर अंतत: कब्जा कर लिया है। काबुल में 14 अगस्त की देर शाम उनके दाखिल होने से ठीक पहले राष्ट्रपति अशरफ गनी, और बताते हैं, उनके कुछ वरिष्ठ मंतत्रियों के हवाई जहाज से ताजिकिस्तान चले जाने की खबर मिली। राजधानी काबुल पर कब्जा करने के बाद आधुनिक हथियारों से लैस जिहादी लड़ाके राष्ट्रपति के महल में उछलकूद मचाते देख गए।
उल्लेखनीय है कि गत 23 जून के दिन संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी आई थी कि तालिबान ने अफगानिस्तान के 370 जिलों में से 50 पर कब्जा कर लिया है। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत की वह चेतावनी हैरान करने वाली खबर जैसी लगी थी। उस वक्त बातों में अमेरिकी और दूसरे पश्चिमी देशों की सेनाओं के अफगानिस्तान से निकलने को लेकर ही चल रही थीं। लेकिन इस बीच अंदरखाने तालिबान लड़ाके बाहरी इलाकों में अपनी बढ़त बनाते जा रहे थे जिस पर मोटे तौर पर किसी का ध्यान ही नहीं गया।
अभी पिछले दिनों ही अमेरिका में एक रिपोर्ट सामने आई थी। उसमें कहा गया था कि तालिबान 30 दिन के अंदर काबुल के दरवाजे पर पहुंच जाएगा और आने वाले 90 दिनों में देश पर कब्जा कर सकता है। अमेरिका की ओर से आई उक्त चेतावनी के सिर्फ 22 दिन के बाद ही तालिबान अफगानिस्तान में राष्ट्रपति के महल पर कब्जा करने में कामयाब हो गया।
15 अगस्त के दिन काबुल शहर में आम अफगानी सांसत में आ गए। बहुत से पलायन करने लगे। शहर की सड़कें जाम हो गईं। अफगान लोगों को डर है कि तालिबान वैसी ही बर्बरता दिखाएंगे जैसी 1996 से 2001 के दौरान अपने राज में वे दिखा चुके हैं। अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश हेलीकॉप्टरों से अपने दूतावास के लोगों और नागरिकों को निकालने में जुट गए।
15 अगस्त को तालिबान बिना किसी रोक—टोक या सैन्य प्रतिरोध के काबुल में दाखिल हो गया। उसके हथियारबंद लड़ाके सड़कों पर घूमते देखे जाने लगे, कुछ सरकारी भवनों में सोफों पर कूदफांद करने लगे। देश छोड़ गए राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि वह रक्तपात टालने की वजह से गए हैं। तालिबान की ओर से कहा गया है कि युद्ध खत्म हो गया। जल्द ही नई सरकार सामने आएगी।
15 अगस्त के दिन काबुल शहर में आम अफगानी सांसत में आ गए। बहुत से पलायन करने लगे। शहर की सड़कें जाम हो गईं। अफगान लोगों को डर है कि तालिबान वैसी ही बर्बरता दिखाएंगे जैसी 1996 से 2001 के दौरान अपने राज में वे दिखा चुके हैं। अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश हेलीकॉप्टरों से अपने दूतावास के लोगों और नागरिकों को निकालने में जुट गए। बताते हैं, अमेरिका ने अतिरिक्त एक हजार सैनिक भेजे हैं जिससे अपने सभी नागरिकों को सुरक्षित निकाल सके। उधर काबुल के हवाई अड्डे पर अफरातफरी थी, बड़ी तादाद में लोग देश से निकलने के लिए उड़ानों के इंतजार में थे। इस बीच रूस ने कहा कि उसे अपना दूतावास खाली करने की कोई वजह नहीं दिखाई दे रही। तो तुर्की का कहना है कि उसका दूतावास भी बाकायदा काम करता रहेगा।
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