कोरोना से जुझती दुनिया को अब चीन परमाणु हमले की चिंता में डालना चाहता है। ताइवान को लेकर चीन ने जापान से की मत बदलने की अपील
जिस चीन की 'शरारत' का नतीजा आज महामारी के रूप में दुनिया को त्रस्त किए है उसी कम्युनिस्ट सत्ता के दिमाग में नित नए फितूर उठना बंद नहीं हुए हैं। अब वह परमाणु बम की धमकी देने पर उतारू हो गया है। यानी दुनिया को एक नई मुसीबत का सामना करने को बाध्य करने वाला है। ताजा खबर है कि कम्युनिस्ट तानाशाह राष्ट्रपति शी जिनपिन की सरकार ने जापान को धमकी दी है कि अगर ताइवान के पक्ष में वह ऐसे ही बोलता रहा तो उस परमाणु मिसाइलों से हमला बोला सकता है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने किसी चैनल पर इस वीडियो को चलाया तो, लेकिन जाने क्यों, थोड़ी ही देर बाद उसे हटा भी दिया।
कम्युनिस्ट पार्टी की सहमति
फॉक्स न्यूज चैनल की मानें तो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की रजामंदी से यह वीडियो चलाया गया था। वीडियो में धमकी देते हुए कहा गया है, 'हम सबसे पहले परमाणु बम प्रयोग करेंगे और लगातार परमाणु बम डालते रहेंगे। ऐसा तब तक करते रहेंगे जब तक जापान बिना किसी शर्त के घुटने न टेक दे।' इस वीडियो पर ताइवान न्यूज ने कह है कि वीडियो चीन के प्लेटफॉर्म शीहुआ पर डाला गया था और जब 20 लाख बार देख लिया गया तो उसे हटा दिया गया। लेकिन उसकी नकल जरूर यूट्यूब और ट्विटर पर चढ़ा दी गई।
हुआ यूं था कि करीब दो सप्ताह हुए, जापान के उप प्रधानमंत्री तारो असो ने ताइवान की संप्रभुता की रक्षा करने की बात बोली थी। असो ने कहा था कि जापान को बेशक ताइवान की रक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा था कि अगर ताइवान में कोई बड़ी घटना घटती है, तो यह जापान के अस्तित्व के लिए भी एक बड़ा खतरा बन जाएगी। इसलिए ऐसे हालात में जापान को अमेरिका के साथ मिलकर ताइवान की हिफाजत करने की चिंता करनी होगी।
चीन की हेकड़ी क्यों?
कैसा 'अंदरूनी मामला'?
जापान को बुरे नतीजे भुगतने की वीडियो के जरिए दी गई उस धमकी के बाद दुनिया भर के रक्षा विश्लेषकों में यह मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। कारण? जब भी कोई देश ताइवान की संप्रभुता की बात करता है तो बीजिंग चिढ़ जाता है। क्योंकि ताइवान को वह अपना 'अंदरूनी मामला' बताता है, जिस पर कोई 'बाहरी देश' कुछ नहीं बोल सकता! दरअसल चीन ताइवान को हड़पने की फिराक में है, लेकिन वहां की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन भी बराबरी का लोहा ले रही हैं। वे बीजिंग की घुड़कियों के सामने हांगकांग की तरह झुकने को तैयार नहीं हैं।
चीन ने अभी जून में भी ताइवान के विषय पर जापान के प्रधानमंत्री सूगा को आगाह किया था क्योंकि सूगा ने अपने भाषण में ताइवान को एक 'देश' कहा था। बस इतनी सी बात पर भड़क गया था ड्रेगन।
बहरहाल चीन की तरफ से वीडियो में साफ कहा गया है कि यदि जापान ने ताइवान की मदद करने की गलती की तो उस पर परमाणु बम से हमला किया जाएगा। बीजिंग ताइवान के मुद्दे पर कितना आक्रामक है, उसकी यह एक और बानगी है जो पहले की तमाम धमकियों से कहीं ज्यादा चिंता पैदा करती है। इस प्रकरण पर टिप्पणी करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन का बयान आया। एक रिपोर्ट के अनुसार, लिजियन का कहना है कि जापान को ताइवान के विषय में अपनी सोच में बदलाव कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि, ‘हम फिर से जापान से ताइवान के मुद्दे पर अपनी सोच बदलने की अपील करते हैं।
क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए यह बहुत जरूरी है। जापान चीन की संप्रभुता और ईमानदारी के प्रति सम्मान दिखाए।' झाओ का कहना है कि 'ताइवान चीन का अंग है और यह स्पष्ट तौर पर चीन का अंदरूनी मामला है'। यानी चीन के सुर वही हैं ताइवान को लेकर कि वह उसका हिस्सा है जबकि तथ्यात्मक दृष्टि से ऐसा नहीं है। ताइवान एक संप्रभु राष्ट्र है जिस पर विस्तारवादी कम्युनिस्ट सत्ता अपना हक जताती आई है। लेकिन आज ताइवान अकेला नहीं है, कूटनीतिक दृष्टि से अनेक देश उसके साथ खड़े हैं। इसलिए बीजिंग को रह-रहकर इस तरह की धमक दिखानी पड़ती है।
वीडियो में साफ कहा गया है कि यदि जापान ने ताइवान की मदद करने की गलती की तो उस पर परमाणु बम से हमला किया जाएगा। बीजिंग ताइवान के मुद्दे पर कितना आक्रामक है, उसकी यह एक और बानगी है जो पहले की तमाम धमकियों से कहीं ज्यादा चिंता पैदा करती है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन का कहना है कि जापान को ताइवान के विषय में अपनी सोच में बदलाव कर लेना चाहिए।
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