नेपाल में बीते दिसंबर से जारी राजनीतिक उठापटक के कारण दो बार केपी शर्मा ओली बहुमत साबित नहीं कर पाए। राष्ट्रपति ने दो बार संसद भंग किया, लेकिन दोनों ही बार सुप्रीम कोर्ट ने संसद बहाली का आदेश दिया। अब तीसरी बार भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही प्रधानमंत्री की ताजपोशी होनी और संसद को भी पुनर्बहाल किया गया है।
नेपाल में राजनीतिक संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा को दो दिन के भीतर प्रधानमंत्री बनाने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अंतरिम प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का जाना तय है। देउबा आज प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं, लेकिन इससे पहले ही गठबंधन के एक सदस्य माधव कुमार नेपाल ने उन्हें झटका दे दिया है। 23 सांसदों वाले माधव कुमार नेपाल गुुुट ने गठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी है।
नेपाल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली समर्थकों ने सोमवार को भंग प्रतिनिधि सभा को बहाल करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध किया। शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ बड़ी संख्या में ओली समर्थक जमा हुए और नारेबाजी की।
क्या है मामला
दरअसल, इस साल मई में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने संसद भंग कर दी। राष्ट्रपति के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विपक्षी दलों की ओर से 30 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन्हीं में से एक याचिका में बहुमत का दावा करते हुए नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने याचिका दाखिल की थी। इसमें उन्होंने संसद को फिर से बहाल करने और प्रधानमंत्री बनाने की मांग की थी। इस पर सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा ने 5 सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया था, जिस पर एक हफ्ते से सुनवाई चल रही थी। शीर्ष अदालत ने देउबा को दो दिन के भीतर प्रधानमंत्री बनाने और संसद को बहाल करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई को संसद की बैठक बुलाने का आदेश भी दिया है। सदन में मतदान के दौरा पाटी व्हिप जारी नहीं कर सकेंगे।
बहुमत का संकट
आज देउबा शपथग्रहण लेने वाले हैं, लेकिन समस्या यह है कि जिन सांसदों के बहुमत के आधार पर शीर्ष अदालत ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाने का आदेश दिया था, अब वह आधार ही नहीं रहा। माधव नेपाल ने विपक्षी दलों के गठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी है। मामला यह है कि विपक्षी दलों के गठबंधन ने शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार चुना है। देउबा को ओली की पार्टी के 23 सांसदों ने भी समर्थन दिया था। अदालत के फैसले के बाद विपक्षी गठबंधन की बैठक हुई, जिसमें नए सरकार के स्वरूप और मंत्रालय के बंटवारे को लेकर चर्चा चल रही थी। उसी समय बैठक में मौजूद माधव नेपाल ने गठबंधन से अलग होने की घोषणा कर सबको चौंका दिया। माधव नेपाल, ओली की पार्टी के 23 सांसदों का नेतृत्व कर रहे हैं। दरअसल, देउबा ने अपने पास 149 सांसदों के समर्थन का दावा किया था। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकिन अब 23 सांसदों के अलग होने के बाद उनके पास सांसदों की संख्या 116 ही रह गई है, जबकि बहुमत साबित करने के लिए देउबा को 136 सांसदों के समर्थन की जरूरत है। इसलिए प्रधानमंत्री बनने के बाद वे बहुमत साबित कर पाएंगे, इसमें संशय है।
दिसंबर से राजनीतिक संकट
नेपाल में लंबे समय से सत्ता के लिए राजनीतिक दलों में खींचतान चल रही है। इस दौरान दो बार केपी शर्मा ओली विपक्षी दलों को मात देकर प्रधानमंत्री बन चुके हैं। पहली बार, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में अंदरूनी कलह के कारण केपी शर्मा ओली ने 20 दिसंबर, 2020 को संसद भंग करने की सिफारिश की थी। तब राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने संसद भंग कर 30 अप्रैल और 10 मई को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में संसद को बहाल कर दिया था। दूसरी बार, विपक्षी दलों को मात देते हुए ओली फिर प्रधानमंत्री बने, लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाए। राष्ट्रपति ने एक बार फिर 22 मई, 2021 को ओली की सिफारिश पर संसद को भंग कर दिया। यह पांच महीने में दूसरा मौका था, जब संसद को भंग किया गया था। इसी के साथ, ओली ने 12 और 19 नवंबर को चुनाव कराने की घोषणा की थी।
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