पुदुकोट्टाई के प्राचीन शिव मंदिर में यह निंदनीय कृत्य कथित तौर पर ऐसे हिन्दू विरोधी तत्वों ने किया है जिन्हें द्रमुक सत्ता की शह प्राप्त है
हवा कुछ बदली-बदली है तमिलनाडु की पिछले कुछ दिनों से। विशेषकर जबसे स्टालीन के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद द्रमुक का राज आया है। प्रदेश में हिन्दुत्व के विरुद्ध जैसे कोई साजिश शुरू कर दी गई है। लोग चिंतित हैं कि उनके मंदिरों पर नास्तिक तत्वों और असामाजिक तत्वों के हमले अचानक बढ़ गए हैं। ज्यादातर का मानना है कि द्रमुक के सत्ता में आने से हिंदू विरोधी तत्वों को बल मिला है।
22 जून को पुदुकोट्टाई में एक प्राचीन शिव मंदिर में तोड़फोड़ की घटना का पता चलने पर क्षेत्र में तनाव पैदा हो गया। चोल राजाओं के जमाने के शिव मंदिर पर हमला करके हिन्दू विरोधी तत्वों ने भगवान शिव की प्रतिमा को तोड़ डाला और शिव लिंग के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। उन्होंने वहां स्थापित अनेक देव प्रतिमाओं को तोड़ दिया गया।
जानकारी के अनुसार, अज्ञात हमलावरों के एक दल ने पिछले सप्ताह पुदुकोट्टाई जिले के गांव कीझनांचूर स्थित मंदिर में घुसकर वहां स्थापित शिवलिंग और भगवान शिव की एक प्रतिमा तोड़ी। इस कैलाशनाथर मंदिर को चोल शासक कुलोथुंगा चोल तृतीय ने बनवाया था। मंदिर में गणेश, पार्वती, मुरुगन, कृष्ण और नंदी सहित कई देव प्रतिमाएं स्थापित हैं।
घटना का खुलासा तब हुआ जब गांव के कुछ लोग मंदिर परिसर में गए। उन्हें वहां यह तोड़फोड़ देखकर हैरानी हुई। तत्काल पूरे मंदिर पर नजर डाली गई। हमलावरों ने शिवलिंग के टुकड़े कर दिए थे और शिव प्रतिमा का सिर क्षतिग्रस्त कर दिया था।
बताया गया कि चोल कालीन इस मंदिर में पूजा कार्य को लेकर चल रहे विवाद की वजह से यह मंदिर उपेक्षा का शिकार रहा है। रखरखाव के बिना यह जर्जर हालत में है। गांव वालों ने यह भी बताया मंदिर के दरवाजे दिन—रात खुले रहते हैं। संभवत: इसी वजह से हिन्दू विरोधी तत्वों ने यहां आकर ऐसे घृणित कृत्य को अंजाम दिया है।
बहरहाल, घटना की पुलिस में रपट दर्ज करके दोषियों को फौरन गिरफ्तार करने की अपील की गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रदेश में मंदिरों पर हमले के पीछे राजनीतिक उकसावा कारण हो सकता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि प्रदेश में द्रमुक के सत्ता में आने के बाद से हिंदू विरोधी तत्वों को शह मिली है।
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