सुदेश गौड़
कांग्रेस आलाकमान में चल रहे वंशवाद की तर्ज पर मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने भी अपने बेटों या परिजनों को राजनीति में आगे बढ़ाया है या बढ़ाने में जुटे हैं। इनमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और अर्जुव सिंह के साथ ही दो पूर्व उपमुख्यमंत्री और एक राज्यपाल के पुत्र-पुत्री शामिल हैं। इसके अलावा पांच पूर्व मंत्री और कई विधायकों-सांसदों के पुत्र भी विरासत के आधार पर राजनीति कर रहे हैं।
भोपाल। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में फल-फूल रहे वंशवाद का असर मध्य प्रदेश कांग्रेस में भी पूरी तरह रचा-बसा देखा जा सकता है। इतिहास गवाह है कि लोकतंत्र का झंडा लेकर चलने वाले ये नेता “लोक” को हमेशा पीछे ही रखते हैं और अपने परिवार को आगे बढ़ाने की जुगत में लगे रहते हैं। मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पुत्र नकुल नाथ को छिंदवाड़ा का सांसद तो बनवा ही दिया पर अब उसे राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा की कोटरी में जगह दिलाने के प्रयास में लगे हुए हैं। दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी अपने पुत्र और राघोगढ़ से विधायक जयवर्धन सिंह के लिए फील्डिंग जमा रहे हैं। जयवर्धन सिंह कमलनाथ की 15 महीनों की सरकार के दौरान मंत्री रह चुके हैं। मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी संगठन स्तर पर शुरू हो गई है और वरिष्ठ नेताओं के लिए यही सबसे उपयुक्त समय है जब वे अपने परिवार को आगे बढ़ाएं।
मध्य प्रदेश में सांगठनिक स्तर पर होने वाले फेरबदल के मद्देनज़र राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह का पूरा प्रयास है कि उनके पुत्र जयवर्धन सिंह को कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी मिल जाए। कमलनाथ के पास मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दोनों जिम्मेदारी होने के कारण व अपनी सुविधा के लिए उन्होंने संगठन में कार्यकारी अध्यक्ष के तीन पद सृजित किए थे। दिग्विजय सिंह इसी सीढ़ी से अपने पुत्र को प्रदेश अध्यक्ष के पद तक ले जाना चाहते हैं ताकि पारिवारिक राजनीतिक विरासत जारी रहे।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के मौजूदा विधायकों में से अनेक परिवारवाद की फेहरिस्त में शामिल हैं। इन्हें विधायक बनने का मौका सिर्फ इसलिए मिला क्योंकि इनके परिवार का कोई सदस्य कांग्रेस में किसी ओहदे पर रहा हुआ है। लखनादौन के विधायक योगेंद्र सिंह कहते हैं कि सियासी परिवार से होने में क्या गलत है? मेरे माता-पिता ने जीवनभर काम किया, मुझे उसका फायदा मिल रहा है। एक नेतापुत्र का तो अजब ही तर्क है। उनका कहना है कि अमेरिका में भी बुश और क्लिंटन सियासी परिवारों से रहे हैं। तो हमारी राजनीति में यह गलत क्यों हैं? इससे आपको देश की सेवा करने का मौका मिलता है।
इनमें से ज्यादातर वंशवादी नेता खुलकर परिवारवाद का बचाव करते है और मनगढ़ंत तर्क भी देते हैं। कोई पूछता है कि अगर किसी राजनेता का बेटा उसके नक्शेकदम पर चलता है तो इसमें गलत क्या है? जबकि बाकी व्यवसायों के लोग ऐसा करते हैं। किसी का तर्क होता है कि यदि परिवार का रिकॉर्ड अच्छा रहा हो तो वो मददगार होता है लेकिन आज की पीढ़ी आपके अतीत के आधार पर ज्यादा दिन साथ नहीं देती। कुछ लोग कहते हैं कि परिवारवाद की बात सिर्फ पहली पीढ़ी में नहीं आ सकती है। अगर कई पीढ़ियों तक ऐसा चलता रहे तो परिवारवाद की बात आ सकती है।
मप्र कांग्रेस में वंशवाद की एक बानगी
चुरहट से विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके अजय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रह चुके दिवंगत अर्जुन सिंह के बेटे हैं। सिहावल से विधायक कमलेश्वर कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे दिवंगत इंद्रजीत पटेल के बेटे हैं। जबलपुर पश्चिम से विधायक तरुण भनोट पूर्व मंत्री चंद्रकुमार भनोट के बेटे हैं। कसरावद से विधायक सचिन यादव मध्य प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव के बेटे हैं। उनके भाई अरुण यादव भी सांसद और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। मंडला से 2008 और 2013 में विधायक रह चुके संजीव उइके सांसद और विधायक रह चुके दिवंगत छोटेलाल उइके के बेटे हैं। लांजी से विधायक हीना कावरे के पिता दिवंगत लिखीराम कावरे कांग्रेस सरकार में मंत्री थे। कुक्षी से विधायक सुरेंद्र सिंह हनी बघेल के पिता दिवंगत प्रताप सिंह बघेल भी सांसद और मंत्री रहे थे।
लखनादौन से विधायक योगेंद्र सिंह दिवंगत उर्मिला सिंह और दिवंगत वीरेंद्र बहादुर सिंह के बेटे हैं। उर्मिला सिंह कांग्रेस सरकार में मंत्री और हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल रह चुकी हैं, वहीं वीरेंद्र बहादुर सिंह भी विधायक रह चुके हैं। परासिया से विधायक सोहनलाल वाल्मिक पूर्व विधायक दिवंगत श्यामलाल वाल्मिक के बेटे हैं। 2013 में चित्रांगी विधायक रहीं सरस्वती सिंह पूर्व कांग्रेस विधायक दिवंगत पतिराज सिंह की बेटी हैं। भीकनगांव विधायक झूमा सोलंकी पूर्व कांग्रेस विधायक दिवंगत जवान सिंह पटेल की भाभी हैं। उनका कहना है कि उन्हें रिश्तेदारी के चलते नहीं बल्कि उनके खुद के संघर्ष के चलते टिकट मिला है। कोलारस विधायक रहे महेंद्र सिंह के पिता स्वर्गीय राम सिंह यादव भी कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं। केवलारी से विधायक रहे रजनीश के पिता स्वर्गीय हरवंश सिंह कांग्रेस सरकार में मंत्री और डिप्टी स्पीकर भी रह चुके हैं। गंधवानी से विधायक उमंग सिंघार पूर्व उपमुख्यमंत्री स्वर्गीय जमुना देवी के भतीजे हैं। अटेर से विधायक हेमंत कटारे पूर्व मंत्री और नेता प्रतिपक्ष दिवंगत सत्यदेव कटारे के बेटे हैं।
टिप्पणियाँ