गुजरात प्रदेश में पांथिक स्वतंत्रता संशोधित कानून 15 जून को क्रियान्वित किया गया, और सिर्फ तीन दिन के अंदर इस कानून के तहत अब्दुल कुरैशी को ईसाई पहचान बताकर एक ईसाई युवती से जबरन शादी करने पर किया गया गिरफ्तार
मुस्लिम लड़कों द्वारा हिन्दू लड़कियों को लव जिहाद में फंसाने के मामले आएदिन सुनने में आते हैं। मजहब के लिए 'पाक' माने जाने वाली मुस्लिमों की यह 'शरारत' इतनी बढ़ चुकी है कि कई राज्यों ने मजहब छुपाकर, धोखे, लोभ आदि में फंसाकर दूसरे मत की लड़की से जबरन शादी करने के खिलाफ कानून बनाए हैं।
गुजरात में हुए ताजा मामले में एक मुस्लिम लड़के समीर अब्दुल कुरैशी ने सैम मार्टिन बनकर एक ईसाई युवती को ब्लैकमेल किया है। वडोदरा के गोत्री पुलिस थाने में एक युवती ने शिकायत दर्ज कराई है कि समीर कुरैशी ने धोखे से उसके अश्लील चित्र खींचे और ब्लैकमेल करते हुए, शादी करने का दबाव बनाया था। गुजरात में पांथिक स्वतंत्रता संशोधित कानून के लागू होने के महज तीन दिन बाद ही वडोदरा में यह मामला दर्ज हुआ है। पुलिस ने युवक को 'लव जिहाद' के मामले में गिरफ्तार किया है।
25 साल की पीड़िता ने अपनी रपट में लिखा है कि समीर अब्दुल भाई कुरैशी नामक युवक ने अपने को सैम मार्टिन बताकर पहले उसके साथ दोस्ती की। फिर धीरे धीरे उसके नजदीक आया, उससे दुष्कर्म किया। आरोपी ने युवती के कुछ अश्लील चित्र खींचे तथा उस पर शादी के लिए जोर डालने लगा। ऐसा न करने पर, उसने वे अश्लील चित्र सार्वजनिक करने की धमकी दी। हताश होकर उस युवती ने 2019 में उसके साथ शादी की। शादी के बाद भी वह उससे दुर्व्यवहार करता था, गालियां देता था, मारपीट करता था। वक्त के साथ उसकी असलियत सामने आई।
गोत्री पुलिस थाने के अधिकारी एस.पी. चौधरी ने बताया कि आरोपी के खिलाफ दर्ज शिकायत के आधार पर उस युवक को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 377, 504, 506(2) तथा गुजरात पांथिक स्वतंत्रता (संशोधन) कानून 2021 की धारा 4 के तहत मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई शुरू कर दी है।
पुलिस उपाधीक्षक जयराज सिंह के अनुसार, प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने 15 जून से इस कानून को अमल में लाने की घोषणा की थी। इसके तीन दिन बाद ही, 18 जून को इसके तहत एक युवक की गिरफ्तारी हुई है। कानून के तहत किसी भी युवती को धोखा देकर, छल-बल अथवा किसी तरह की धमकी या प्रभाव में लेकर शादी करने के विरुद्ध यह कानून लागू होता है। इस कानून के अंतर्गत आरोपी को तीन से पांच साल की सजा के साथ 2 लाख रु. तक का जुर्माना हो सकता है। अगर पीड़िता नाबालिग या अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग से होगी तो सजा चार से सात साल तक और जुर्माना तीन लाख रु. तक का हो सकता है। ऐसी धोखे से होने वाली शादी में सहायता करने वाले को भी तीन से दस साल तक की सजा के साथ पांच लाख रु. तक के दंड का प्रावधान है।
इस कानून के तहत किसी भी युवती को धोखा देकर, छल-बल अथवा किसी तरह की धमकी या प्रभाव में लेकर शादी करने के विरुद्ध यह कानून लागू होता है। इसमें आरोपी को तीन से पांच साल की सजा के साथ ही 2 लाख रु. तक का जुर्माना हो सकता है। अगर पीड़िता नाबालिग या अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग से होगी, तो सजा चार से सात साल तक और जुर्माना तीन लाख रु. तक का हो सकता है।
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