आलोक गोस्वामी
वेटिकन ने नन लूसी कलूपुरा को कॉन्वेंट से निष्कासित करने के फैसले को तीसरी बार भी रद्द करने से बना कर दिया। क्या इसके मायने ये हैं कि वह बलात्कार के आरोपी फादर के साथ है!
वेटिकन का चर्च। सिस्टर लूसी (बाएं प्रकोष्ठ में) और तत्कालीन बिशप फ्रेंको मुलक्कल (दाएं प्रकोष्ठ में)
आखिर एक बार फिर नन सिस्टर लूसी की याचिका ठुकरा दी वेटिकन ने। नन लूसी कलपुरा वही हैं जिन्होंने बलात्कार के आरोपी, जालंधर डायोसिस के तत्कालीन बिशप मुलक्कल के खिलाफ आवाज उठाई थी। इसके बाद केरल के एक कॉन्वेंट ने उन्हें निकाल बाहर किया था। नन लूसी ने वेटिकन से तीसरी बार अपील की थी कॉवेंट से उसे निकालने का फरमान रद्द किया जाए। लेकिन वेटिकन ने इंकार कर दिया। केरल के कैथोलिक दबी जबान यह चर्चा कर रहे हैं कि क्या इसका मतलब वेटिकन बलात्कार के दोषी उस फादर के साथ खड़ा है। तो उधर नन लूसी हक्की—बक्की हैं। वे समझ नहीं पा रही हैं कि उन्हें अन्याय के खिलाफ खड़े होने की सजा वह चर्च दे रहा है जो 'ईसा की दया का संदेश देता है'! वेटिकन से उनकी अपील ठकराए जाने के बाद वे कहती हैं, ''पता नहीं ये क्या हो रहा है? मैं तो दुनिया को सच की जानकारी देना चाहती हूं। वैटिकन ने मेरे मामले में कोई सुनवाई तक नहीं की है।'' तो भी नन लूसी कॉन्वेंट में ही रहना चाहती हैं।
फ्रेंको मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर ननों के किया था कोच्चि में प्रदर्शन (फाइल चित्र)
उल्लेखनीय है कि दो साल पहले, अगस्त 2019 में बिशप फ्रेंको मुलक्कल पर बलात्कार के आरोप को लेकर उसके विरोध में उतरी थीं नन लूसी, इस उम्मीद से कि चर्च सच के साथ खड़ा होगा। लेकिन हुआ ये कि नन से उनका पद ही छीन लिया गया। उन्होंने पहले भी दो बार वेटिकन के सामने अपील दायर की थी कि कॉवेंट से उनके निष्कासन के आदेश का रद्द कराया जाए, लेकिन हर बार अपील खारिज कर दी गई। और अभी 12 जून को वेटिकन ने उन्हें तीसरी बार दो टूक जवाब दिया कि 'उनकी अपील खारिज की जाती है'। केरल में अर्नाकुलम का फ्रान्सिस्कन क्लेरिस्ट कॉंग्रिगेशन तो जैसे तैयार बैठा था, वेटिकन का फरमान आते ही उसने 14 जून को, नन लूसी को एक हफ्ते के अंदर कॉन्वेंट छोड़कर जाने को कह दिया।
चर्च में सामने आने वाली धांधलियों, पादरियों के अनाचारों, यौन शोषण और वित्तीय गड़बड़ियों के संदर्भ में आरोप लगाने वालों पर चर्च के बड़े नेताओं की तरफ से शिकायत वापस लेने और माफी मांगने का दबाव बनाया जाता है। ऐसा ही नन सिस्टर लूसी के साथ भी हुआ। उन पर भी बिशप मुलक्कल के खिलाफ उनकी शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया। लेकिन नन ने न अपनी शिकायत वापस ली, न ही माफ़ी मांगी। कैथोलिक क्रिश्चियन सोसायटी ने तो उनके खिलाफ 'कारण बताओ नोटिस' तक जारी किया था। नन लूसी ने बताया कि सितंबर 2018 के बाद उन्हें तरह—तरह से यातनाएं दी गईं, उनसे गलत व्यवहार किया गया। इस सबके लिए उलटा उन्होंने कैथोलिक क्रिश्चियन सोसायटी से माफी मांगने को कहा था।
एएनआई द्वारा ट्वीट करके दी गई इस खबर की जानकारी
नन सिस्टर लूसी ने फ्रैंको मुलक्कल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली नन का समर्थन किया था। तबसे चर्च उनसे नाराज हो गया। उन्हें कॉन्वेंट छोड़कर जाने को कह दिया गया। इसके विरुद्ध वेटिकन में अर्जी लगाने वाली नन लूसी को भरोसा था कि कैथोलिकों की सबसे बड़ी पीठ शायद उसके साथ न्याय करेगा, लेकिन तीन बार उसकी न्याय की गुहार बहरे कानों से टकराकर वापस लौट चुकी है।
बिशप मुलक्कल पर आरोप है कि उन्होंने जून 2018 में एक 43 वर्षीय नन का यौन उत्पीड़न किया था। नन ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में लिखा था कि बिशप फ्रेंको मुल्लकल ने साल 2014 में उसे एक जरूरी मुद्दे पर चर्चा के बहाने बुलाकर उसका यौन उत्पीड़न किया था। बात वहीं खत्म नहीं हुई। बिशप ने दो साल तक यह क्रम जारी रखा। बहरहाल, मामले की जांच के लिए एक कमेटी बैठा दी गई। नन सिस्टर लूसी और अन्य चार ननों ने फ्रैंको मुलक्कल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली नन का समर्थन किया था। बस तबसे चर्च उनसे नाराज हो गया। उन्हें कॉन्वेंट छोड़कर जाने को कह दिया गया। इसके विरुद्ध वेटिकन में अर्जी लगाने वाली नन लूसी को भरोसा था कि कैथोलिकों की सबसे बड़ी पीठ शायद उसके साथ न्याय करेगा, लेकिन तीन बार उसकी न्याय की गुहार बहरे कानों से टकराकर वापस लौट चुकी है।
देखना है, अब चर्च नन लूसी के खिलाफ क्या कदम उठाएगा। लेकिन, यह बात भी सच है कि ईसाई समुदाय में इस मामले को लेकर भीतर ही भीतर चर्चा है, लेकिन उसके लिए खुलकर बोलने का साहस जुटाना भारी पड़ रहा है।
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