संजीव कुमार
बिहार के बांका में नूरी इस्लाम मस्जिद परिसर में विस्फोट के बाद नित नई जानकारी सामने आ रही है। खबर ये है कि मौलाना की मौत बम बनाते समय हुई। मारे गये मौलाना का तब्लीगी जमात से भी संबंध था।
बिहार के बांका में नूरी इस्लाम मस्जिद परिसर में विस्फोट के बाद नित नई जानकारी सामने आ रही है। खबर ये है कि मौलाना की मौत बम बनाते समय हुई। मारे गये मौलाना का तब्लीगी जमात से भी संबंध था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से चौंकाने वाले खुलासे
बांका सदर अस्पताल में मौलाना अब्दुल मोमीन के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉ लक्ष्मण पंडित ने बताया कि डेड बॉडी पर जो जख्म के निशान थे, वे स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि ब्लास्ट के कारण शरीर पर चोटें लगी थीं। डॉक्टर ने बताया कि मृत शरीर पर दर्जनों जख्म थे। शरीर पर ढेर सारे छर्रे यानी स्पिलंटर थे। सारे जख्मों के इर्द गिर्द काला निशान था। हाथ और पैर कई जगह से टूटे थे। एक बड़ा जख्म भी था, जो संभवतः दीवार गिरने से कारण लगी चोट से बना था।
मौलाना के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने जो जानकारी दी उससे कई निष्कर्ष निकलते हैं। जख्मों के इर्द गिर्द बना काला निशान बारूद का ही हो सकता है। शरीर में जो छर्रे लगे हैं वे आईईडी बनाने में उपयोग किये जाते हैं। बारूद का काला निशान शरीर पर तभी बनता है जब उसका प्रयोग नजदीक से हो। शरीर में जिस तरह से जख्म का जिक्र पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किया गया है, उससे भी साफ है कि ये आईईडी से बना जख्म ही था।
खुद बम बना रहा था मौलाना
जिस समय मदरसे में विस्फोट हुआ, उस दौरान वहां चार लोग औऱ थे। उन चारों के घायल होने की खबर है। हालांकि वे फरार हैं। लेकिन उनमें से किसी की मौत नहीं हुई। जबकि मौलाना को नजदीक से बारूद औऱ छर्रे लगे हैं। ऐसे में विशेषज्ञ यही निष्कर्ष निकाल रहे हैं कि मौलाना अब्दुल मोमिन खुद आईईडी तैयार कर रहा था। उसी दौरान ये विस्फोट हुआ औऱ उसका शिकार वह खुद बन गया।
पहले भी बम फटने की हुई थी पुष्टि
मामले की जांच के लिए डॉग स्वॉड और भागलपुर से फॉरेंसिक विशेषज्ञों की टीम को भी बुलाया गया है। फॉरेंसिक टीम के सहायक निदेशक अपनी टीम के साथ घटना स्थल पर पहुंचे और बम फटने की पुष्टि की थी।
मौलाना की लाश को फेंका
मृतक मौलाना के भाई मो. इकबाल ने बताया कि उन्हें खबर दी गई थी कि उनके भाई घायल हो गए हैं और उनका इलाज चल रहा है। इकबाल ने कहा कि उनका भाई पिछले 10 वर्षों से मस्जिद में नमाज अदा करता था और मदरसा में बच्चों को पढ़ता था। उनकी मृत्यु की जानकारी नहीं थी। बाद में पता चला कि भाई की लाश को कुछ लोग अल्टो कार से फेंककर फरार हो गए।
तब्लीगी जमात से भी था संबंध
बांका के मदरसे में मारे गये मौलाना का संबंध तब्लीगी जमात से भी था। स्थानीय लोगों ने बताया कि मौलाना अक्सर तब्लीगी जमात की बैठकों में जाया करता था। पिछले साल दिसंबर में भी वह तब्लीगी जमात की बैठक में होकर आया है। बांका के जिस मदरसे में विस्फोट हुआ वहां भी तब्लीगी जमात की बैठकें होने की बात सामने आ रही है। लेकिन अब तक उसकी पुलिस या प्रशासन ने पुष्टि नहीं की है।
गौरतलब है कि बांका के नवटोलिया में नूरी इस्लाम मस्जिद के पास बने एक मदरसे में मंगलवार को जबरदस्त विस्फोट हुआ था, जिसमें पूरा मदरसा जमींदोज हो गया। इस विस्फोट में मौलवी मोहम्मद सत्तार उर्फ मोमिन की मौत हो गई। पहले इसे सिलेंडर विस्फोट बताया गया, लेकिन बाद में ये साबित हो गया है कि ये बम विस्फोट था। जब देश भर में इस घटना पर बवाल ख़ड़ा हो गया तो घटना के 24 घंटे बाद जांच के लिए बुधवार को भागलपुर क्षेत्र के डीआईजी सुजीत कुमार वहां पहुंचे। घटना की जांच के लिए पटना से बिहार पुलिस का आतंकवाद निरोधक दस्ता यानी एटीएस भी पहुंची।
पुलिस कर रही है जांच
पुलिस घायलों की खोजबीन कर रही है। फिलहाल बांका के एसडीपीओ डीसी श्रीवास्तव, बांका के थानाध्यक्ष शंभु यादव सहित भारी संख्या में पुलिस बल घटना स्थल पर मौजूद है। घटना के बाद बांका के एसपी अरविंद कुमार गुप्ता ने भी घटनास्थल की जांच की।
कौन करेगा मॉनिटरिंग ?
इतनी बड़ी घटना के बाद आखिरकार आज मस्जिद और मदरसों पर सवाल क्यों उठ रहे हैं ? सरकार मदरसों को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपया खर्च कर रही, लेकिन कभी भी इसकी मॉनिटरिंग के लिए किसी अधिकारी को जवाबदेही नहीं सौंपी जाती है। मदरसों में क्या हो रहा है, क्या पढ़ाया जा रहा है, किस प्रकार की शिक्षा इस आधुनिक युग में दी जा रही है- इन सवालों के जवाब सरकार के पास नहीं होते हैं। इसी का परिणाम है कि बिहार में आये दिन मस्जिदों और मदरसों से बड़े पैमाने पर हथियार और विस्फोटकों का जखीरा बरामद किया जाता है
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