भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए जितिन प्रसाद।
वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़ लिया है। उन्होंने बुधवार को भाजपा का दामन थाम लिया। जितिन प्रसाद दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए।
संप्रग सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे जितिन प्रसाद ने कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़ लिया है। उन्होंने बुधवार को भाजपा का दामन थाम लिया। जितिन प्रसाद दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए। उन्हें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का करीबी माना जाता था। मार्च 2020 में कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस के लिए यह दूसरा बड़ा झटका है।
भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा, कांग्रेस के साथ मेरा तीन पीढि़यों का नाता है। इसलिए मैंने बहुत सोच-विचार के बाद यह महत्वपूर्ण फैसला लिया। पिछले 8-10 वर्षों में मैंने महसूस किया है कि अगर कोई राष्ट्रीय पार्टी है, तो वास्तव में वह भाजपा ही है। अन्य दल क्षेत्रीय हैं, लेकिन यह राष्ट्रीय पार्टी है।" भाजपा में शामिल होने से पूर्व जितिन प्रसाद ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनके आवास पर बैठक की थी। इस बैठक में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद थे।
जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद भी कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। उन्हें इंदिरा गांधी का करीबी माना जाता था। वे पार्टी की कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाल रहे थे, लेकिन एक गलती उन पर भारी पड़ गया। वे कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सोनिया गांधी के खिलाफ खड़े हो गए। हालांकि बाद में दोनों के बीच समझौता हो गया था। कुछ समय बाद जितेंद्र प्रसाद की मृत्यु हो गई तो सोनिया गांधी ने जितिन प्रसाद पर भरोसा किया और उन्हें पार्टी व सरकार में महत्वपूर्ण पद भी दिए गए।
जितिन प्रसाद ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय युवा कांग्रेस के महासचिव के रूप में की थी। वे पहली बार 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए। वे कांग्रेस में राष्ट्रीय सचिव और संप्रग सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। वे लंबे समय से कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। कांग्रेस के शीर्ष 23 नेताओं का गुट जिसे जी-23 भी कहा जाता है, ने कुछ समय पहले पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में चुनाव कराने की मांग की थी। उस गुट में जितिन प्रसाद भी थे और उन्होंने बाकायदा पत्र पर हस्ताक्षर भी किया था।
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