भिंडरावाले की याद में लंदन में खालिस्तानियों के एक कार्यक्रम में तिरंगे का जलाने के साथ ही हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्थान के प्रति उगला गया जहर
लंदन में बसे उग्रपंथी ‘खालिस्तानी’ तत्वों ने 6 जून को एक बार आपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर भारत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं रखी। उन्होंने यहां के सुप्रसिद्ध ट्राफलगर चौक पर न सिर्फ तिरंगा जलाया बल्कि बहुत ही अपमानजनक नारे लगाए। उन्होंने जो नारे लगाए उनसे ‘खालिस्तानी एजेंडे’ की आड़ में हिन्दुत्व के प्रति उनकी नफरत झलक रही थी, जो साफ था कि भारत के सेकुलर तत्वों और पड़ोसी देश के इशारे पर लगाए जा रहे थे। उन्होंने नारे लगाए—’न हिंदी, न हिंदू, न हिंदुस्थान, बनकर रहेगा खालिस्तान’। ये खालिस्तानी तत्व आतंकी भिंडरावाले की याद में एक जलसा कर रहे थे जहां ये सब शरारतें हुईं। कार्यक्रम लोगों ने भिंडरावाले की तस्वीरें ले रखी थीं।
इन घटनाओं पर भारतीय उच्चायोग ने चिंता व्यक्त की है। उसने कहा तो है कि तिरंगे का अपमान करने वाले तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी, लेकिन अभी तक यह जानकारी नहीं मिली है कि कुछ कार्रवाई की गई है कि नहीं। ट्राफलगर चौक लंदन की बड़ी व्यस्त जगहों में से एक है, जहां यह निंदनीय हरकत करने के पीछे ‘खालिस्तानियों’ का मकसद शायद अपना जहर ज्यादा से ज्यादा फैलाना ही था। भारतीय उच्चायोग ने इस संबंध में जारी किए बयान में कहा है कि यह बेहद चिंतित और व्यथित करने वाला है।
लंदन स्थित टाइम्स ऑफ इंडिया की पत्रकार ने इसकी कई तस्वीरें और वीडियो साझा किए जिनमें काला मफलर पहने लोग या कहें खालिस्तानी तिरंगे में आग लगा रहे हैं। वे नारे भी लगाते जा रहे हैं, “खालिस्तान जिंदाबाद।”
वीडियो में भीड़ को हिंदू विरोधी नारे लगाते सुना जा सकता है। ये नोर हैं—’न हिंदी, न हिंदू, न हिंदुस्थान, बन कर रहेगा खालिस्तान’। ब्रिटेन की पुलिस ने अभी तक इस संबंध में एक भी गिरफ्तारी नहीं की है।
पता चला है कि पांच सिख ‘पंच प्यारों’ के वेश में आगे थे जिनके पीछे सिखों की भीड़ थी। लोगों के हाथ में भिंडरावाले की फोटो थीं। वहीं कुछ महिलाएं खालिस्तानी संदेश छपी टीशर्ट बेच रही थीं। इनमें से कई के हाथ में पीले खालिस्तानी झंडे थे। ये प्रदर्शनकारी हिंदू नेता के हत्यारे जगतार सिंह जोहल के पक्ष में नारे लगा रहे थे। उल्लेखनीय है कि 6 जून को ही श्री हरमिंदर साहिब अमृतसर में लगे खालिस्तानी नारों के समर्थन में जत्थेदार का कहना था—“यह सिखों पर गहरा घाव है, जो साल भर दर्द देता है। बरसी पर हम ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाकर इस दर्द को कम करते हैं। इसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह हमेशा के लिए हमारी याद का हिस्सा रहेगा।”
वरिष्ठ अधिवक्ता सरदार डॉ.बलराम सिंह का कहना है कि लंदन में जो हुआ वह राष्ट्विरोधी आयोजन ही कहा जा सकता है। तिरंगे को जलाना देश का अपमान करने जैसा है। दुर्भाग्य से ऐसे कार्यक्रम विदेशों में ये तत्व हर साल ही करते हैं। लंदन स्थित भारतीय दूतावास को ब्रिटेन के सामने इस कार्यक्रम की अनुमति देने पर विरोध प्रकट करना चाहिए। ब्रिटेन की सरकार से इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग करनी चाहिए। ब्रिटेन अपनी स्थिति स्पष्ट करे कि वह भारत विरोधी कार्यक्रमों के खिलाफ कानून की दृष्टि से क्या कार्रवाई करेगा?
इस प्रकरण पर सर्वोच्च नयायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता सरदार डॉ. बलराम सिंह का कहना है कि लंदन में हुआ यह कार्यक्रम सीधे—सीधे राष्ट्विरोधी आयोजन ही कहा जा सकता है। तिरंगे को जलाना देश का अपमान करने जैसा है। दुर्भाग्य से ऐसे कार्यक्रम विदेशों में ये तत्व हर साल ही करते हैं। लेकिन उनमें गिनती के लोग ही शामिल होते हैं। पांचजन्य से बात करते हुए डॉ. बलराम सिंह ने मांग की कि लंदन स्थित भारतीय दूतावास को ब्रिटेन के सामने इस कार्यक्रम की अनुमति देने पर विरोध प्रकट करना चाहिए। ब्रिटेन की सरकार से इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग करनी चाहिए। उनका कहना है कि ब्रिटेन अपनी स्थिति स्पष्ट करे कि वह भारत विरोधी कार्यक्रमों के खिलाफ कानून की दृष्टि से क्या कार्रवाई करेगा? यह हमारे लिए राष्ट् से जुड़ा विषय है, इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। लंदन के महत्वपूर्ण स्थान पर किसी देश का झंडा जलाने की किसी उपद्रवी भीड़ को इजाजत कैसे दी गई? भारत सरकार को भी नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायुक्त को बुलाकर इस प्रकरण पर अपनी शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
– आलोक गोस्वामी
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