रेप मामले में निचली अदालत से 21 मई को रिहा किए जाने के बाद तहलका पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया है। गोवा सरकार की अपील पर उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने इस मामले में सत्र न्यायालय पर तल्ख टिप्पणी की है। इस मामले में अगली सुनवाई 24 जून को होगी।
दरअसल, सत्र न्यायालय ने अपने फैसले में पीडि़ता के आचरण को लेकर सवाल उठाए थे। इसमें कहा गया था कि पीडि़ता महिला सदमे या आघात जैसा कोई व्यवहार नहीं करती, जो यौन उत्पीड़न की शिकार किसी पीडि़ता में साफ तौर से दिखता है। इसी को आधार बनाते हुए गोवा सरकार ने निचली अदालते के फैसले को चुनौती देते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है। इस पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एस.सी. गुप्ते ने कहा कि तरुण तेजपाल को बरी करने का सत्र न्यायालय का फैसला रेप पीडि़तों के लिए एक नियम पुस्तिका जैसा है, क्योंकि इसमें यह बताया गया है कि एक पीडि़ता को ऐसे मामलों में कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। न्यायालय ने रजिस्ट्री विभाग को सत्र न्यायालय से मामले से संबंधित सभी दस्तावेज मंगाने का निर्देश दिया है।
इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय में गोवा सरकार का पक्ष रखते हुए निचली अदालत द्वारा दिए गए फैसले के कुछ हिस्सों को पढ़ा, जिसमें पीडि़ता के व्यवहार (घटना के दौरान और बाद में) का जिक्र था। इसमें कहा गया है कि पीडि़ता बुद्धिमान और योग में प्रशिक्षित होने के कारण शारीरिक तौर पर मजबूत है। वह अपने ऊपर हुए यौन हमले को रोक सकती थी। उन्होंने कहा, ‘हम नहीं जानते कि इस मामले में मुकदमा पीडि़ता पर चल रहा था या आरोपी पर।’ तुषार मेहता का तर्क था कि जब आरोपी के वकील पीडि़ता को लगातार शर्मसार कर रहे थे, तब सत्र न्यायालय की न्यायाधीश मूक दर्शक बनी रहीं।
इसी पर बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कहा कि यह फैसला इस बात को लेकर है कि पीडि़ता ने कैसी प्रतिक्रिया दी है। फैसले में अभियोजन पक्ष को शामिल नहीं किया गया। प्रथम दृष्टया यह रिहाई के खिलाफ दाखिल याचिका पर विचार करने योग्य मामला लगता है। इसी के साथ न्यायालय ने तेजपाल को नोटिस जारी करने 24 जून तक जवाब देने को कहा है।
बता दें कि तरुण तेजपाल पर आरोप था कि उन्होंने गोवा के एक पांच सितारा होटल की लिफ्ट में अपनी महिला सहकर्मी का यौन उत्पीड़न किया था। घटना नवंबर 2013 की है। दोनों गोवा में एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। सत्र न्यायाधीश क्षमा जोशी ने तरुण तेजपाल को 21 मई को बरी कर दिया था।
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