पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार के साथ टकराव के मूड में हैं। उन्होंने मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को अपना मुख्य सलाहकार बना दिया है। केंद्र के निर्देश के बावजूद उन्होंने 31 मई को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को रिपोर्ट नहीं किया। उन्हें सुबह 10 बजे तक विभाग में रिपोर्ट करना था। इसकी बजाए वे सुबह 11 बजे कोलकाता में राज्य सचिवालय पहुंचे और ममता बनर्जी के साथ यास तूफान और कोरोना से जुड़ी बैठक में हिस्सा लिया। केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के ‘सेवानिवृत्त’ मुख्य सचिव को दोबारा पत्र भेजकर उन्हें आज सुबह 10 बजे तक डीओपीटी में रिपोर्ट करने को कहा था। साथ ही, चेतावनी दी थी कि ऐसा नहीं करने पर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को पत्रकारों से कहा था कि बंद्योपाध्याय 31 मई को सेवानिवृत्त हो गए हैं। वे दिल्ली में केंद्र सरकार की नौकरी नहीं करेंगे। मैं उन्हें नाबन्ना छोड़ने की अनुमति नहीं दूंगी। अब से वे मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार होंगे। हमने एच.के. द्विवेदी को राज्य का नया मुख्य सचिव की नियुक्त कर दिया है, जबकि बी.पी. गोपालिका को गृह सचिव बनाया गया है। अलपन बंद्योपाध्याय को केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी के आग्रह पर तीन माह का सेवा विस्तार दिया था।
बता दें कि 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चक्रवाती तूफान यास से होने वाले नुकसान की समीक्षा बैठक के लिए पश्चिम बंगाल गए थे। इस बैठक में ममता बनर्जी के साथ अलपन 30 मिनट देर से पहुंचे और प्रधानमंत्री को जरूरी कागजात देने के बाद दोनों तुरंत चले गए थे। केंद्र सरकार ने अलपन बंद्योपाध्याय को वापस बुलाने का आदेश जारी किया था। आदेश में कहा गया है कि सरकार के साथ उनकी सेवाएं जारी रखने की अनुमति दे दी गई है। साथ ही, राज्य सरकार को तत्काल प्रभाव से अधिकारी को कार्यमुक्त करने और उन्हें 31 मई तक नॉर्थ ब्लॉक में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद 29 मई को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बंद्योपाध्याय को केंद्र में वापस बुलाने का फैसला वापस लेने का आग्रह किया था। साथ ही, उन्होंने केंद्र के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए अधिकारी को कार्यमुक्त करने से ही इनकार कर दिया था। यही नहीं, उन्होंने यह आरोप भी लगाया था, ‘‘प्रधानमंत्री कार्यालय से एकतरफा सूचना प्रसारित कर मुझे अपमानित किया गया। मुझे बुरा लगा। जब मैं काम कर रही थी तो वे ऐसा कर रहे थे। लोगों की बेहतरी के लिए मैं आपके (प्रधानमंत्री) के पैर भी छूने के लिए तेयार हूं। इस राजनीतिक प्रतिशोध को रोकें। मेरा प्रधानमंत्री से अनुरोध है कि मुख्य सचिव (डीओपीटी में रिपोर्ट करने) के इस आदेश को वापस लें और हमें काम करने दें।’’
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