चीन की वायरोलॉजिस्ट डॉ. यांग ने कोरोना संक्रमण के लिए चीन को सीधे-सीधे दोषी ठहराया है। वे कहती हैं कि चीन ने वायरस जानबूझकर बनाया और उस दुनिया पर कहर बरपाने दिया
चीन की एक वायरोलॉजिस्ट ने दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन की लैब से जैविक हथियार के तौर पर जानबूझकर जारी किया गया है। अमेरिका के इस संबंध में सख्त होते रवैए और तमाम देशों की वारस की उत्पत्ति की नए सिरे से मांग के संदर्भ में चीनी वायरोलॉजिस्ट डा. ली मेंग यांग ने अपने ताजा साक्षात्कार में ये कहा कि चीन की उस लैब की फिर से जांच होनी ही चाहिए।
यांग के इस वक्तव्य ने सभ्य देशों में एक बार फिर दुनिया को संकट में डालने की चीन की कथित शरारत को लेकर बहस छिड़ गई है। उधर विश्व स्वास्थ्य संगठन के भी चीनी लैब में जांच का अगला चरण शुरू करने संबंधी बयान आए हैं। डा. यांग खुद भी वैज्ञानिक सबूत और जानकारियां साझा करेंगी ही, पर उनका ये भी कहना है कि वुहान जाकर जांच को नया आयाम मिलेगा। वे मानती हैं कि चीन सरकार ने बहुत से तथ्य छुपाए या मिटाए हैं। उन्होंने एक नई बात भी जोड़ेगी कि जांच दलों को हांगकांग और बीजिंग की प्रयोगशालाओं में भी जाकर देखना चाहिए। इस तरह की मांग करने वाली वे पहली विज्ञानी हैं।
अप्रैल 2020 में चीन से अमेरिका जाकर शरण लेने वाली डा. यांग ने साफ कहा कि लैब से ऐसे ही कोई वायरस नहीं निकल जाता। हो सकता है ये एक छोटे से समुदाय में इसके असर को देखने के लिए छोड़ा गया हो, जो बाद में नियंत्रण से बाहर हो गया हो। उनका कहना है कि जिस वायरस को स्थानीय स्तर पर ही नियंत्रित किया जा सकता था, हो सकता है उसे चीन सरकार द्वारा दुनिया भर में फैल जाने दिया गया। चीन को महामारी का दोषी मानते हुए उन्होंने आगे कहा कि चीन ने इस बारे में अहम जानकारियां छुपाकर महीनों तक दुनिया को भ्रम में रखते हुए इसे महामारी बनने दिया। वह देश आज भी अपने गलत कामों को छुपाने के लिए दुनिया को छलावे दे रहा है।
इधर ब्रिटेन के प्रोफेसर एंगुस दाल्गलीश और नार्वे वैज्ञानिक डा. बरजर सोरेनसन ने एक नया अध्ययन प्रकाशित किया है जिसमें साफ लिखा है कि नोवल कोरोना वायरस चीन के वैज्ञानिकों ने लैब में तैयार किया, फिर रिवर्स इंजीनियरिंग करके ऐसा दिखाया जैसे ये कुदरती तौर पर चमगादड़ों से उपजा है। दोनों लेखकों का कहना है कि रिवर्स इंजीनियरिंग के सबूत तो उनके पास एक साल से थे लेकिन बड़ी पत्रिकाओं और दूसरे विद्वानों ने इसे अनदेखा किया। डा. यांग की ही तरह डा. सोरेनसन का भी मानना है कि चीन ने डाटा जानबूझकर बिगाड़ा, छुपाया या मिटाया है। उनकी रपट में कहा गया है कि जिन चीनी वैज्ञानिकों जैविक हथियार की बात की उनमें से ज्यादातर को ‘चुप’ करा दिया गया या गायब कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका के राष्ट्पति जो बाइडन ने अपनी खुफिया एजेंसियों को प्रयास दुगुने करके 90 दिन के अंदर वायरस की उत्पत्ति संबंधी पूरी रपट सौंपने को कहा है। इधर भारत सहित दुनिया के अनेक देशों ने अमेरिका और विश्व स्वास्थ्य संगठन की नए सिरे से होने वाली जांच को पूरा समर्थन दिया है। दिलचस्प बात है कि चीन भी अपनी ‘दरियादिली’ दिखाता हुआ अनेक देशों के सामने ‘कोरोना से लड़ने में मदद’ देने की पेशकश दोहरा रहा है।
अब देखना है कि डा. ली मेंग यांग और नई रपट में चीन की कथित आपराधिक शरारत के बारे में नए अध्ययन और जांच क्या सामने लाते हैं।
-आलोक गोस्वामी
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