कांग्रेस की तुष्टीकरण राजनीति पर चलते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मजहबी उन्मादियों को हिन्दुओं पर किसी न किसी बहाने हमले करने की शायद खुली छूट दी हुई है। शायद यही वजह है कि पुलिस प्रशासन मजहबी तत्वों पर नरम और हिन्दुओं पर सख्त रहता है। मंदिरों के लाउडस्पीकर बंद कराने का फरमान दिया जाता पर मस्जिदों से पांच वक्त की अजान गुंजाने पर कोई रोक नहीं
कांग्रेस के शासन तले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरपरस्ती में राजस्थान में पश्चिम बंगाल जैसे हालात बनते जा रहे हैं। मुस्लिम तुष्टीकरण के मामले में मुख्यमंत्री गहलोत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आगे निकलते दिख रहे हैं। कांग्रेस सरकार की इस तुष्टीकरण नीति का शिकार हमेशा की तरह राज्य में बहुसंख्यक हिन्दू हो रहे हैं। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही लव जिहाद, लैंड जिहाद, गोतस्करी—गोकशी, अवैध हथियार और अनुसूचित वर्ग पर मजहबी जिहादियों के हमलों में बेहताशा बढ़ोतरी हुई है। यह क्रम लगातार बढ़ता जा रहा है। राज्य सरकार के कथित संरक्षण में पल रहे जिहादी गुंडे हिन्दू बहु-बेटियों को बिना किसी डर के निशाना बनाने की फिराक में रहते हैं। रोकने-टोकने पर जिहादी उत्पाद मचाकर, समूह में इकट्ठे होकर हिन्दुओं पर लाठी, डंडों और पत्थरों से हमला करते हैं।
राजस्थान की राजधानी जयपुर के हालात तो और भी खराब हैं। यहां कई मोहल्ले हिन्दूविहिन हो चुके हैं। दर्जनों मंदिरों के ताले खोलने वाला कोई नहीं है। कभी शंख और घंटे-घड़ि़यालों के नाद से आह्लादित रहने वाले देवालय वीरान पड़े हैं। कई क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां नाममात्र के लिए हिन्दू परिवार बचे हैं। लेकिन वे भी डर के साये में जी रहे हैं। उनकी जमीनों, दुकानों और घरों को कौड़ि़यों के दाम पर भी कोई खरीदने को तैयार नहीं है। शहर के जिन इलाकों में बहुत सीमित मुस्लिम आबादी है, उसने भी छोटी—छोटी मस्जिदें बनाकर, उन पर तेज आवाज वाले लाउडस्पीकर लगाकर, कई किलोमीटर तक रहने वाले लोगों की नींद हराम कर रखी है। पुलिस प्रशासन कार्रवाई करने को तैयार नहीं है, बल्कि तुष्टीकरण के चलते शांतिप्रिय हिन्दुओं के मंदिरों पर प्रशासन कार्रवाई कर रहा है।
राज्य के बारां जिले के छबड़ा कस्बे में हुई पिछले दिनों हुई जिहादी हिंसा की आग अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि जयपुर, सवाई माधोपुर, झुंझुनू और चित्तौड़गढ़ जिलों में जिहादियों के कई कारनामे सामने आए हैं। ये घटनाएं थमने की बजाए और तेज होती जा रही हैं। राज्य की कांग्रेस सरकार अपने वोट बैंक के चलते मौन धारण किए हुए है। राजधानी जयपुर में तो कई बार पुलिस पर ही जिहादियों ने हमला किया है। हालत यह है कि मुस्लिम इलाकों में पुलिस जाने की हिम्मत नहीं करती है। मजहबी उन्मादी खुलेआम यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाते दिखते हैं, लेकिन मजाल है कि कोई पुलिस वाला उन्हें रोके। मुस्लिम समुदाय के प्रति कांग्रेस के विशेष ‘प्रेम’, उदार नीतियों एवं तुष्टीकरण ने सामाजिक ताने—बाने को खंडित कर दिया है। राज्य में बहुसंख्यक हिन्दू समाज स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहा है, वहीं आपराधिक प्रवृत्ति के लोग बेखौफ होकर कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
मंदिर के लाउडस्पीकरों पर रोक, मस्जिदों पर नहीं
राजस्थान में मंदिरों के लाउडस्पीकर पुलिस प्रशासन ने बंद करवा दिए हैं। ताजा मामला जयपुर के सांगानेर विधानसभा क्षेत्र भांकरोटा का है। यहां गणेशजी, ठाकुरजी, माताजी व हनुमान जी के प्राचीन मंदिर हैं, जहां सदियों से प्राचीन पद्धति व परंपराओं से ढोल, नगाड़ों के साथ पूजा—आरती होती आई है। आरती के समय लाउडस्पीकर भी बजते रहे हैं। लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से लॉकडाउन की आड़ में पुलिस प्रशासन इन्हें जबरन बंद करवा रहा है, जबकि मस्जिदों में दिन में 5 बार बड़े-बड़े लाउडस्पीकरों से अजान पर ऐसी कोई रोक—टोक नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी के सांगानेर से विधायक अशोक लाहोटी ने 24 मई, 2021 को जयपुर के पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर सांगानेर, जयपुर में स्थित सभी हिंदू मंदिरों में लाउडस्पीकरों को जबरन बंद करने का कारण पूछा है। जबकि क्षेत्र में मस्जिदों को इसके उपयोग की अनुमति दी गई है। लाहोटी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र की इस घटना और अपने पत्र को ट्विटर पर साझा किया। उन्होंने ट्वीट में लिखा, “मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लॉकडाउन की आड़ में भांकरोटा, सांगानेर में हिंदू मंदिरों में आरती—पूजा पर लाउडस्पीकर जबरन बंद करवा रहे हैं, जबकि सामने दूसरे उपासनास्थलों पर ये दिन में 5 बार बज रहे हैं। यह जनता बर्दाश्त नही करेगी।” उन्होंने कहा कि मजहब के आधार पर भेदभाव होने के कारण क्षेत्र की जनता में प्रशासन के प्रति रोष व्याप्त है। उन्होंने पुलिस से क्षेत्र में अन्य मजहबी संस्थानों में लाउडस्पीकरों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया। लाहोटी ने कहा कि सरकारी आदेशों का क्रियान्वयन सभी के संदर्भ में समान होना चाहिए।
लाहोटी ने पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर चेताया है कि लॉकडाउन की आड़ में पंथ के आधार पर पुलिस व प्रशासन की इस प्रकार की तुष्टीकरण की कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने क्षेत्र का दौरा कर सभी मंदिरों के पुजारियों व स्थानीय लोगों से चर्चा कर उन्हें आश्वस्त किया कि इस प्रकार के दोहरेपन को चलने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी मंदिरों में आरती के समय बजने वाले लाउडस्पीकर यथावत बजेंगे और यदि प्रशासन ने जबरन कोई कार्रवाई करने का प्रयास किया तो उस कार्रवाई का पुरजोर विरोध किया जाएगा।
सवाई माधोपुर में जिहादी आंतक
सवाई माधोपुर जिले के बड़ी उदेई कस्बे के चौकीदार मोहल्ले में मजहबी जिहादी युवक पानी भरने के दौरान हिन्दू महिलाओं से छेड़छाड़ करते थे, उन पर अश्लील फब्तियां कसते थे। इसी बात पर मीणा समाज के कुछ युवकों ने उन्हें ऐसा न करने को कहा। इस पर 23 मई 2021 की रात वे जिहादी तत्व झगड़े पर उतारू हो गए। देखते ही देखते जिहादियों की भीड़ लाठी, डंडों, हथियारों और पत्थरों से लैस होकर टूट पड़ी। भीड़ ने जमकर पथराव किया, जिसमें कई लोगों को चोट आई। घायलों में महिलाएं भी शामिल हैं। तनावपूर्ण हालात को देखते हुए कस्बे में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करना पड़ा।
सदर थाना अधिकारी राजकुमार मीणा के अनुसार, इस संबंध में करणसिंह मीणा ने फिरोज खां सहित 40 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। मामले की जांच पुलिस उपाधीक्षक कालूराम मीणा कर रहे हैं।
अनुसूचित वर्ग के मोहल्ले पर हमला
झुंझुनू शहर में अनुसूचित वर्ग के लोगों का उनके अपने मोहल्ले में मजहबी तत्वों को आने से रोकना मोहल्लावासियों को ही भारी पड़ गया। दरअसल 24 मई 2021 की रात खटीक समाज के मोहल्ले में पास मोयल कॉलोनी के रहने वाले मुस्लिम युवक पहुंचे, जिन्हें टोकने पर वे उन्मादी तत्व लौटकर अपने साथ अन्य मजहबी उपद्रवियों को लेकर आए और मोहल्ले में मारपीट करनी शुरू कर दी जिसमें दोनों पक्षों के कई लोग घायल हुए। अनुसूचित वर्ग के ना केवल पुरुष, बल्कि महिलाएं और बच्चों को भी निशाना बनाया गया। घायलों को बीडीके अस्पताल में भर्ती कराया गया। तनाव के चलते करीब आधा दर्जन थानों की पुलिस के अलावा आरएसी के जवान तथा पुलिसलाइन से अतिरिक्त बल मोहल्ले में लगाया गया।
शहर कोतवाल मदन कड़वासरा ने बताया कि इस विवाद को लेकर दोनों पक्षों की ओर से एक—दूसरे पर मामले दर्ज करवाए गए हैं। एक पक्ष ने जातिसूचक अपशब्द बोलने और जानलेवा हमले का आरोप लगाया है। वहीं दूसरे पक्ष की ओर से भी मामला दर्ज करवाया गया है। इस मामले में पुलिस ने अब्दुल, आफताब, हाशिम, आसिफ, शमशाद, हसन को गिरफ्तार किया है।
युवकों पर मजहबी उन्मादियों का हमला
चित्तौड़गढ़, जिले के बेगूं कस्बे में 25 मई 2021 की रात, अपने घर में सो रहे लोगों पर मजहबी जिहादियों ने हमला कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने हालात काबू करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया। पुलिस ने घायल हिन्दू युवकों को अस्पताल में भर्ती कराया है, जबकि हमलावरों की तलाश की जा रही है। बेगूं थानाधिकारी रतनसिंह के अनुसार आशीष पुत्र महेश शिल्पकार, देवीशंकर पुत्र कालूलाल कोली, विशालनाथ पुत्र भगवतीनाथ, तीनों बेगूं निवासी सत्यनारायण शिल्पकार के मकान में किराए पर रहते हैं। मंगलवार रात को समुदाय विशेष के कुछ युवक इनके घर में जबरदस्ती घुस आए और तीनों के साथ सरियों और लाठियों से मारपीट की। बीच-बचाव करने आए लोकेश, सीताराम और कालू को भी पीट-पीटकर घायल कर दिया।
इस सम्बंध में आशीष शिल्पकार ने रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस ने बिलाल पुत्र रहीम, इमरान उर्फ गावा पुत्र इकराम, उसका भाई बाबू पुत्र इकराम, समीर पुत्र अनवर, हबीब, सोहेल पुत्र वाहिद, ताकीद पुत्र हामिद, ताज हमाल पुत्र अजीज, टीपू, इस्लाम पुत्र फैयाज व मुजफ्फर के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
राजधानी जयपुर में भी मुस्लिम युवकों का आतंक बढ़ता जा रहा है। गत 6 मई 2021 को ऐसा ही मामला शहर के विधायकपुरी थाना क्षेत्र में सामने आया था, जहां बिना मास्क के बाइक पर आ रहे मुस्लिम युवकों को रोकना पुलिस के लिए भारी पड़ गया। युवकों ने अपने अन्य साथियों को बुलाकर पुलिस के साथ जमकर मारपीट की जिसमें महिला कांस्टेबल घायल हो गई थी। इसमें संदेह नहीं है कि राजस्थान में समय रहते जिहादी मानसिकता पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। अन्यथा ये जिहादी सभ्य समाज का रहना दुश्कर कर देंगे। सरकार को भी अपनी तुष्टीकरण राजनीति से बाज आना पड़ेगा।
जिन प्रदेशों में हिन्दुओं के हितों के बारे में सोचने वाली सरकारें नहीं हैं, वहां जिहादी तत्व स्वच्छंद होकर दंगे कर रहे हैं। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके मंत्रियों के सरंक्षण में मजहबी उन्मादी निर्दोष हिन्दुओं को निशाना बना रहे हैं। लैंड जिहाद कर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन भी मूकदर्शक बना हुआ है। आवाज उठाने वालों के खिलाफ ही मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। छबड़ा दंगा पीड़ितों को आज तक न्याय नहीं मिला।
-सुरेश उपाध्याय
मंत्री, विश्व हिन्दू परिषद (राजस्थान)
कब मिलेगा पीड़ि़त हिन्दुओं को न्याय?
बारां जिले के छबड़ा कस्बे में गत 11 अप्रैल को हुई छुरेबाजी, हिंसा, लूटपाट, आगजनी व मारपीट की घटना के बाद प्रशासन का दोहरा चरित्र खुलकर सामने आया है। मजहबी उपद्रवियों से पीड़ित हिन्दू व्यापारियों को आज तक न्याय नहीं मिल पाया है। उपद्रव के मुख्य आरोपियों में से सिर्फ एक, राजेश खान की गिरफ्तारी हुई। आरोपी पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष निजामुद्दीन का भतीजा है। बाकी आरोपी अब भी फरार हैं।
न्याय की मांग को लेकर हिन्दू सुरक्षा समिति, बारां के तत्वावधान में कोरोना काल के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए धरना-प्रदर्शन जारी है। पीड़ित जन सप्ताह में कम से कम एक बार अपने घर की चौखट, सीढ़ियों, चबूतरों पर 15 मिनट के लिए बैठकर विरोध दर्ज कराते हैं। इस दौरान ये हाथों में तख्तियां, झंडियां व पताकाएं लेकर न्याय की मांग करते हैं। इस अनूठे सांकेतिक धरने में बारां के सभी व्यापारिक संगठनों, सामाजिक संगठनों, धार्मिक संगठनों के साथ ही राजनीतिक संगठन शामिल होते हैं। जहां न्याय की मांग को लेकर अपने घरों के बाहर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे कुछ मासूम बच्चों और महिलाओं तक को पुलिस प्रशासन उठाकर थाने ले गई, वहीं नामज़द अपराधी अपने राजनीतिक रसूखों के चलते खुले घूम रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 11 अप्रैल को छबड़ा के धरनावदा चौराहे पर फलों के ठेले से अहमदपुरा निवासी कमल सिंह गुर्जर फल खरीद रहे थे। इसी दौरान मोटरसाइकिल टकराने की बात को लेकर तीन युवकों-फरीद, आबिद और समीर—से उनकी कहासुनी हो गई। इसके बाद मुस्लिम युवकों ने कमल सिंह पर चाकुओं से हमला कर दिया। मजहबी उपद्रवियों के हिन्दू युवकों पर चाकूओं से हमले के बाद जब हिन्दू समाज की ओर से मामला दर्ज करवाकर प्रशासन को ज्ञापन दिया जा रहा था उसी दौरान 100-150 उपद्रवियों की भीड़ हाथों में धारदार हथियार, तलवारें और ज्वलनशील पदार्थ लेकर आई। उपद्रवियों ने देखते ही देखते दर्जनों दुकानों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। उपद्रव के सारे रिकॉर्ड फोटो, सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल रिकॉर्डिंग थाने में दर्ज है। घटना में करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ, जिसकी भरपाई संभव नहीं है। इतना ही नहीं, उपद्रवियों के खिलाफ शिकायत लिखवाने गए हिन्दू समाज के निर्दोष अब तक जेल में बंद हैं।
छबड़ा से भाजपा विधायक प्रताप सिंह सिंघवी उपद्रव व हिंसा की जांच सीबीआई से कराने को और पीड़ित व्यापारियों को मुआवजा दिलाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दो बार पत्र भी लिख चुके हैं।
=ईश्वर बैरागी
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