ऊमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने कोरोना वायरस को जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है ताकि दुश्मन देशों की अर्थव्यवस्था और चिकित्सा तंत्र को ध्वस्त कर सके। वह अमेरिका के साथ ‘ट्रेड वॉर’ और ‘हांगकांग आंदोलन’ को काबू में करना चाहता था। इसके लिए डोनाल्ड ट्रम्प को रास्ते से हटाना जरूरी था। ऐसे में कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने अमेरिका में बड़ी तबाही मचाई, जिसके कारण ट्रंप राष्ट्रपति का चुनाव हार गए। वास्तव में डोनाल्ड ट्रंप तेजी से आगे बढ़ रहे चीन की राह में बाधा बन कर खड़े थे। इधर, एशिया में भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय पटल पर तेजी से उभर रहा था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 2015 में भारतीय सेना ने म्यांमार की सीमा में घुसकर आतंकियों को मार गिराया था, जिन्हें चीन पाल-पोस रहा था।
इसके बाद 2016 और 2019 में पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक तथा पिछले साल गलवान घाटी में भारतीय सेना ने अपने इरादे साफ जता दिए थे कि यह नया भारत है। हाल में ही चीन के साथ गलवान घाटी में सैन्य संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। इसके कुछ महीने बाद ही भारत में कोरोना की दूसरी लहर आई, जिसने पूरे चिकित्सा तंत्र को लगभग ध्वस्त कर दिया। इस लहर में कोरोना ने पूरे देश में बड़ी तबाही मचाई। ऐसे में चीन पर यह शक गहराता जा रहा है कि भारत कहीं जैविक हमले का शिकार तो नहीं हुआ।
हालिया वैश्विक रिपोर्ट इस बात की पुष्टि भी कर रहे हैं। मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआत में अगस्त 2019 में कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटा दिया और गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में पीओके और अक्साई चिन को भारत का अभिन्न अंग बतलाया। इसलिए पाकिस्तान को डर सताने लगा था कि भारत का अगला कदम पीओके होगा, जो भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल है। चीन और पाकिस्तान पीओके में एक आर्थिक गलियारा बना रहे हैं। इसलिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों से चीन और पाकिस्तान को लग रहा था कि देर-सबेर मोदी सरकार पीओके पर हाथ अवश्य डालेगी और भविष्य में अक्साई चिन पर भी। रक्षा क्षेत्र में भारत अपनी स्थिति लगातार मजबूत भी कर रहा है।
अमेरिका से बदला, भारत और मोदी सरकार की तेज रफ्तार को रोकने के लिए चीन ने पहले वुहान में ह्यचाइनीज वायरसह्ण के फैलने का ड्रामा किया। 2019 तक लगातार तीन वर्ष से चीन की जीडीपी नीचे गिर रही थी, लेकिन कोरोना महामारी आने के बाद चीन की जीडीपी में तेजी से उछाल आया और अब तक उसमें 70 प्रतिशत वृद्धि हो चुकी है, जबकि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा भाग चीनी वायरस से लड़ने में खर्च हो रहा है। अमेरिका ने पहली लहर को हल्के में लिया और दूसरी लहर के प्रति भारत की चूक से चीन आसानी से अपनी योजना में सफल हो गया। दुनिया भर में वायरस के फैलने के तुरंत बाद ही चीन की वैक्सीन बाजार में आ गई। चीन ने वैक्सीन लगाकर अपना बचाव भी कर लिया और दुनिया भर में अपना सामान भी बेच लिया।
-शशांक द्विवेदी
(लेखक मेवाड़ यूनिवर्सिटी में निदेशक हैं)
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